वायरल डेस्क / विश्व परसिद्ध खिलाडी और फुटबॉल के जादूगर डिएगो माराडोना को अंतिम विदाई देने के लिए पूरी दुनिया से फुटबाल के प्रेमी जुटे | जर्मनी के सभी मुख्य मार्ग लोगों से भरे हुए थे | भीड़ इतनी अधिक थी कि लोगों को पैर रखने की जगह नहीं मिल रही थी | आम लोग हो या फिर फुटबाल के खिलाडी या कोच , हर कोई इस महान खिलाडी को अंतिम विदाई देने लिए पहुंचा था |
उनकी अंतिम यात्रा में प्रशंसक फुटबॉल के गीत गा रहे थे जबकि कुछ ने राष्ट्रध्वज लपेटा हुआ था। उन्होंने प्लाजा डे मायो से 20 ब्लॉक की दूरी पर लंबी कतार बना रखी थी। यह वही जगह है जहां माराडोना की अगुवाई में 1986 विश्व कप जीतने पर जश्न मनाया गया था। उनके अंतिम दर्शन का समय कम करने से क्रोधित प्रशंसकों को नियंत्रित करने के लिये पुलिस को बल प्रयोग करना पड़ा। प्रशंसकों ने पुलिस पर पत्थर फेंके जिसके जवाब में पुलिस ने रबर बुलेट चलाई।
हिंसा की वजह से कइयों को चोटे आई और गिरफ्तारियां भी हुई जिससे माराडोना के परिवार ने सार्वजनिक दर्शन बंद करने का फैसला लिया। इसके बाद ताबूत को कार पर रखा गया जिस पर माराडोना का नाम लिखा था। उन्हें अंतिम विदाई देने को आतुर प्रशंसक राष्ट्रपति भवन की दीवारों पर चढ गए मानों वह फुटबॉल का स्टेडियम हो। दमकलकर्मी उन्हें हटाने के लिये जूझते रहे। उनके जनाजे के रवाना होने के साथ ही लोग नारे लगाने लगे ,‘‘ डिएगो मरा नहीं है , डिएगो लोगों के दिलों में रहता है।’’ इंग्लैंड के खिलाफ विश्व कप 1986 क्वार्टर फाइनल में दो गोल दागकर वह अर्जेंटीना के महानायक बन गए थे। अर्जेंटीना के लिये वह जीत महज एक फुटबॉल की जीत नहीं थी बल्कि फाकलैंड युद्ध में मिली हार का बदला भी थी।