नई दिल्ली/ ढाका: बांग्लादेश में हिंसा का दौर अभी भी जारी है। अब हिन्दू अल्पसंख्यकों पर हमले तेज हो गए है। ताजा जानकारी के मुताबिक हिंसा में मरने वालों का आंकड़ा अब तक 400 पार पहुँच गया है। पीएम शेख हसीना के भारत में शरण लेने के बाद हिन्दुओं पर हमले आम हो चले है। हसीना के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने और देश छोड़ने के बाद भी प्रदर्शनकारी सड़कों पर डटे हुए हैं, वे चुन -चुन कर अल्पसंख्यकों को निशाना बना रहे है।
कई पीड़ित भारत बांग्लादेश सीमा का पैदल ही रुख कर रहे है। हिन्दू कारोबारियों का हाल सबसे बुरा है। उन्हें जानमाल का बड़ा नुकसान उठाना पड़ा है। यहाँ कोलकाता से आकर बसे ज्यादातर मारवाड़ी अग्रवाल समुदाय के लोग प्रभावित बताये जाते है। तमाम जिलों के हालात इतने बदतर हो गए है कि देश में अल्पसंख्यकों के घरों और व्यापारिक प्रतिष्ठानों को निशाना बनाया जा रहा है। हिन्दुओं पर हमले तेज होने के बाद ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल बांग्लादेश ने सरकार के अधिकारियों से हिंसा प्रभावित देश में अल्पसंख्यकों और सरकारी संपत्तियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का आह्वान किया है।
उसने अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों को छात्र आंदोलन की मूल भावना के खिलाफ करार दिया है। यहां हिंसा में मरने वालों की संख्या बढ़कर 440 हो गई है। वहीं, राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन ने मंगलवार को संसद भंग कर दी थी। 84 वर्षीय नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस को आगामी अंतरिम सरकार का प्रमुख नियुक्त किया गया है। वे भी हिंसा रोकने में ना कामयाब रहे है। ढाका में हिन्दू समुदाय के दो नेताओं के अनुसार, कई हिंदू मंदिरों, घरों और व्यवसायों में तोड़फोड़ की गई है और हसीना की अवामी लीग पार्टी से जुड़े कम से कम दो हिंदू नेता हिंसा में मारे गए हैं।
लोकप्रिय लोक बैंड जोलर गान के फ्रंटमैन राहुल आनंद के आवास पर बड़े पैमाने पर तोड़फोड़ की गई। जिसके बाद गायक और उनके परिवार को एक गुप्त स्थान पर शरण लेनी पड़ी है। मीडिया रिपोर्ट में जोलर गान से जुड़े लोगों में से एक सैफुल इस्लाम जरनल के हवाले से बताया गया कि राहुल और उनका परिवार पूरी तरह से जोखिम में है। उन्होंने एक गुप्त जगह पर शरण ली है। हम अभी तक उनसे संपर्क नहीं कर सके हैं।’
बताया जाता है कि कट्टरपंथियों ने तीन हजार से अधिक संगीत वाद्य यंत्रों को जला दिया है। सैफुल इस्लाम जरनल ने आगे बताया कि ‘यह उनका घर नहीं था। वह दशकों से किराये के घर पर रह रहे थे। पहले भीड़ ने घर का मुख्य द्वार तोड़ दिया। उसके बाद फर्नीचर, शीशे से लेकर कीमती सामान तक जो कुछ भी ले जा सकते थे, बाहर निकाल लिया। उसके बाद उनके घर पर तोड़फोड़ शुरू कर दी। फिर राहुल आनंद के संगीत वाद्ययंत्रों के साथ पूरे घर को आग लगा दी। उनके 3,000 से अधिक संगीत वाद्ययंत्रों को आग के हवाले कर दिया।’
ढाका ट्रिब्यून अखबार के अनुसार, ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल बांग्लादेश (टीआईबी) ने सत्ता परिवर्तन के महत्वपूर्ण दौर में अल्पसंख्यकों के घरों, पूजा स्थलों, मंदिरों और व्यवसायों पर हमलों सहित जिलों में सांप्रदायिक हिंसा की घटनाओं की कड़ी निंदा की। भ्रष्टाचार विरोधी संगठन ने कहा कि इस तरह की सांप्रदायिक गतिविधियां देश को समानता, न्याय और अच्छे शासन के साथ पुनर्निर्माण करने के अवसर को पटरी से उतार सकती हैं और संदेह पैदा कर सकती हैं।
टीआईबी के कार्यकारी निदेशक डॉ. इफ्तेखारुज्जमां ने मंगलवार को एक बयान में सभी जिम्मेदार अधिकारियों से धार्मिक अल्पसंख्यकों और राज्य संपत्ति की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए तत्काल कदम उठाने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि यह बेहद निराशाजनक है कि हमें आंदोलन की जीत के बीच धार्मिक अल्पसंख्यकों और राज्य की संपत्ति की सुरक्षा की मांग करनी पड़ रही है, जहां सैकड़ों छात्रों और नागरिकों ने समानताऔर सभी के समान अधिकारों की मांग करने के लिए खून बहाया।’
उन्होंने कहा, ‘भेदभाव के खिलाफ चल रहा आंदोलन इसलिए सफल रहा क्योंकि जाति, धर्म, वर्ग या पेशे की परवाह किए बिना आम लोगों की सहज भागीदारी रही। जिन छात्रों को हम उनकी धार्मिक पहचान के कारण अल्पसंख्यक कह रहे हैं, वे आंदोलन में शामिल हो गए! वे शहीद हुए और घायल हुए! हम उनके परिवारों का सामना कैसे करेंगे? अल्पसंख्यकों पर इस तरह के हमले भेदभाव विरोधी छात्र आंदोलन की मूल भावना के खिलाफ हैं।’ उन्होंने कहा, ‘हम सभी जिम्मेदार गुटों से ईमानदारी से आग्रह करते हैं कि वे अपनी आवश्यक जिम्मेदारियों को पूरा करें ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि छात्रों और नागरिकों के बलिदान से हमारे देश के पुनर्निर्माण का अवसर सांप्रदायिक ताकतों और संकीर्ण हितों के हाथों में न जाए।’
संसद भवन, अदालत परिसर, मुख्य न्यायाधीश के आवास, सरकारी संस्थानों, पुलिस थानों, घरों और व्यवसायों पर हाल ही में हुई हिंसा और हमलों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि जो लोग बदला लेने के लिए राज्य की संपत्ति को नष्ट कर रहे हैं, उन्हें सोचना चाहिए कि सत्ता में आने वाली किसी भी सरकार को इन राज्य संस्थानों का पुनर्निर्माण करना होगा। डॉ. इफ्तेखारुज्जमां ने धार्मिक अल्पसंख्यकों, मंदिरों, पूजा स्थलों और राज्य संपत्ति की सुरक्षा के लिए प्रभावी कदम उठाने की भी जोरदार मांग की। उन्होंने कहा, ‘हर किसी के धर्म, रंग, वर्ग या पेशे की परवाह किए बिना मैं ईमानदारी से सभी से एक ऐसे देश की स्थापना में अपनी विशेष जिम्मेदारियों को निभाने का आह्वान करता हूं जो आक्रोश और स्वार्थी, निहित स्वार्थों पर काबू पाने के द्वारा न्यायसंगत, न्यायपूर्ण और अच्छी तरह से शासित हो।’