खौंफ में हिमालय की वादियां, सैकड़ो घरो और सड़को पर दरारें, मंडराया प्राकृतिक आपदा का खतरा, बद्रीनाथ हाइवे पर हालात चिंताजनक

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देहरादून: हिमालय की वादियों में स्थित जोशीमठ पर खतरे के बादल मंडरा रहे है, जोशीमठ के इर्द – गिर्द प्राकृतिक आपदाओं का खतरा बना हुआ है, इस इलाके में लगातार जमीन खिसक रही है। अलकनंदा और गंगा समेत पहाड़ियों में बहने वाली कई और छोटी – बड़ी नदियों में आने वाली बाढ़ से सम्पूर्ण हिमालय की पहाड़ियों में जबरदस्त बदलाव देखा जा रहा है। यहाँ बसे कई शहरो में भू – स्खलन जैसी नौबत आ रही है। मिटटी के कटाव में आई तेजी हैरान करने वाली है। आमतौर पर पहाड़ो से खिसक कर नीचे गिरने वाले मलबे से इलाके के लोग वाकिफ है।

बताते है कि अब जिस तेजी से पहाड़ सरक रहे है उसे किसी बड़े खतरे का अंदेशा हो रहा है। हालांकि कई वैज्ञानिक और सरकारी संस्थाए हिमालय में बसे गांव पर नजर रखे हुए है। भारत सरकार भी इस इलाके की सुध ले रही है। पर्यावरणविदों ने भी इसे गंभीरता से लिया है। दरअसल उत्तराखंड के जोशीमठ में घरों और जमीन में आ रही दरारों के चलते यहां की आबादी डरी हुई हैं। बद्रीनाथ हाईवे पर स्थित जोशीमठ में अचानक दो बहुमंजिला होटलों की इमारतें तिरछी होकर एक-दूसरे से टिक गईं है। इसके बाद पूरे इलाके के कोहराम है।  

स्थानीय लोगों का कहना है कि रात में जो दरार हल्की दिखाई देती है, वो सुबह तक यानी 10 – 12 घंटो में काफी चौड़ी, हाथ डालने लायक हो जाती है। यही नहीं आसपास के पहाड़ भी दरक रहे है। कई सड़को में गड्ढे हो रहे है। धूप के बावजूद जमीन में गीलापन देखा जाता है। जोशीमठ में तो रोजाना घरो में दरार पड़ने की घटनाये सामने आ रही है। अब बीती रात ही डेढ़ दर्जन से ज्यादा घरो में दरारे आ गई। मात्र 8 – 10 दिनों में ही 100 से ज्यादा छोटे – बड़े घरों दरारें आ रही हैं। यही हाल आसपास के इलाको का है। भू-धसाव का यह दायरा दिनों-दिन बढ़ता जा रहा है। 

हिमालय में हो रहे इस भूस्खलन से लोगो ने देश का ध्यान इस समस्या की ओर दिलाया है। वे जनता से हिमालय में पर्यावरण की सुरक्षा की गुहार लगा रहे है। उनकी अपील है कि हिमालय को प्लास्टिक और प्रदुषण से बचाए | इसके लिए जोशीमठ के 3 हजार लोग सड़क पर उतरे। उन्होंने बाजार भी बंद रखे। ‘जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति’ के बैनर तले हुए इस प्रदर्शन में तपोवन-विष्णुगाड पावर प्रोजेक्ट का भी विरोध किया। बताते है कि यहाँ बना रहे NTPC और राज्य सरकार के इस प्रोजेक्ट का भी लोगो ने विरोध किया। संघर्ष समिति के अतुल सती ने कहा कि यह पावर प्रोजेक्ट की सुरंग जोशीमठ के नीचे से गुजर रही है। इसके चलते ही शहर का धंसाव हो रहा है। उन्होंने बताया कि हेलंग-विष्णुप्रयाग बाइपास के नाम पर जोशीमठ की जड़ को खोदने का काम शुरू किया गया है। 

धरने में शामिल कैलाशनाथ कहते है कि लोग चारधाम यात्रा में जमकर कूड़ा – करकट करते है। पर्यावरण के नियमो का पालन नहीं करते। उनके मुताबिक चार धाम यात्रा से जुड़ी ऑल वेदर रोड में भी कटान हो रहा है। उनके मुताबिक कार्य की गुणवत्ता पर भी सवाल उठा रहे हैं। शहर को लेकर अभी तक जो सर्वे हुए हैं, चाहे वे सरकारी टीमों ने किए हों या किसी संस्था ने, सभी में यही कहा गया कि जोशीमठ में निर्माण पर पाबंदियां जरूरी हैं। जोशीमठ नगर पालिका के अध्यक्ष शैलेंद्र पंवार ने न्यूज़ टुडे को बताया कि जहां भी भू-धसाव की सूचना मिलती है, वहां तुरंत टीम भेजकर निरीक्षण करा रहे हैं। उनके मुताबिक शासन ने जोशीमठ में 100×100 मीटर के अंतराल पर शहर की बियरिंग कपैसिटी की रिपोर्ट मांगी है। जबकि रुड़की के केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान से भी यहां की इमारतों की डिजाइन पर रिपोर्ट तलब की गई है। पवार के मुताबिक वे हर एक समस्या से सरकार को वाकिफ करा रहे है।