छत्तीसगढ़ में हाई प्रोफाइल सेरोगेसी सुर्खियों में, पशोपेश में भू-पे, जमानत के लिए झूठे अदालती दावों पर एजेंसियों की नजर, जुड़वा बच्चों के अनुवांशिकी माता-पिता की होगी जांच…

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रायपुर/बिलासपुर। छत्तीसगढ़ में सिर्फ कागजों में माता-पिता बनने का घालमेल सामने आया है। इन जुड़वा बच्चों के अनुवांशिकी माता-पिता की तलाश है। ये बच्चे लगभग 3 साल के हो चुके हैं और अपने असली माता-पिता से कोसों दूर हैं। सूत्र दावा कर रहे हैं कि ये बच्चे टेस्ट्यूब बेबी से नही बल्कि “सेरोगेसी”( किराए की कोख) से छत्तीसगढ़ की पावन धरा में पैदा हुए हैं। इनके जन्म प्रमाण पत्र और आधार कार्ड में झूठी जानकारी दर्ज किए जाने की शिकायत सुर्खियों में है। यह दोनों बच्चे पूर्व मुख्यमंत्री भू-पे और उनकी तत्कालीन उप सचिव सौम्या चौरसिया के कब्जे में बताए जाते हैं। बच्चों के अनुवांशिकी माता-पिता भी चर्चा में हैं।

उधर मामले की पड़ताल के खबर लगते ही पूर्व मुख्यमंत्री भू-पे पशोपेश में हैं। शायद अब उन्हें जगजाहिर करना पड़ेगा की इन बच्चों के असली माता-पिता कौन हैं ? आखिर क्यों इन मासूमों को भू-पे ने अपनी उपसचिव के हाथों में सौंप दिया ? इन सवालों के जवाब गौरतलब बताए जाते हैं , जवाब का इंतजार हो रहा है। फिलहाल तो इन मासूमों का उपयोग “जमानत के औजार” के रूप में हो रहा है। इनके पालन पोषण का हवाला देकर आरोपी सौम्या चौरसिया लगातार जमानत की मांग कर रही है। उधर बताया जा रहा है कि जब आरोपी कभी अधिकृत तौर पर “मां” ही नही बनी , और ना ही बच्चों को जन्म दिया , तो फिर किस आधार पर अदालत में बच्चों की परवरिश का दावा किया जा रहा है।

पूर्व सुपर सीएम सौम्या चौरसिया ने रायपुर की जिला अदालत से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक जमानत के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। इसके लिए अदालत में जो कारण बचाव पक्ष ने गिनाए हैं , अब उसकी भी पड़ताल होगी , ताकि अदालत के समक्ष सच्चाई रखी जा सके। सूत्र बताते हैं कि राज्य और केन्द्र की एजेंसियां झूठे दावे कर अदालत को गुमराह करने के मामले में वैधानिक कार्यवाही करने पर विचार कर रही है। मामला पूर्व मुख्यमंत्री भू-पे और उनकी तत्कालीन उपसचिव सौम्या चौरसिया से जुड़ा है। भू-पे राज में सौम्या ने अचानक मां बनने की घोषणा कर दी थी। ठीक वैसे , जैसे पुराने राजघरानों में बच्चों के जन्म की राजकीय उद्घोषणा की जाती थी।

दिलचस्प बात यह है कि इस दौरान सौम्या ना तो प्राकृतिक रूप से कभी गर्भवती हुई थी और ना ही देश-प्रदेश के किसी अस्पताल में उनकी डिलीवरी का कोई रिकॉर्ड दर्ज है। यही नही देश-प्रदेश के किसी भी सरकारी-गैर सरकारी अस्पताल में सौम्या के द्वारा “शिशु जन्म संबंधी” ब्यौरा भी मौजूद नही है। ऐसे में उक्त दंपत्ति के अचानक सामने आए माता-पिता चर्चा में हैं। सौम्या , भू-पे और उनके पति के DNA टैस्ट की मांग जोर पकड़ रही है।

इस मामले को प्रकृति के साथ छेड़छाड़ के रूप में देखा जा रहा है।सरकारी सूत्र बताते हैं कि इस प्रभावशील महिला अधिकारी ने ना तो शासन के नियमों के तहत गोद पुत्र-पुत्री ग्रहण किए हैं , और ना ही अधिकारी गोदनामा संबंधी प्रक्रिया का पालन किया गया है। इसका कोई रिकॉर्ड महिला और बाल विकास विभाग , समाज कल्याण और कलेक्टर कार्यालय में भी उपलब्ध नही है। ऐसे में आरोपी का जमानत प्राप्ति के लिए बच्चों की परवरिश का अदालती दावा सुर्खियों में है।

छत्तीसगढ़ में राजनैतिक संरक्षण में प्राकृतिक प्रजनन सिद्धांतो को दरकिनार कर कागजों में माता-पिता बनने का यह अनोखा मामला सामने आया है। अभी तक सरकारी योजनाओं में भ्रष्टाचार और अनियमितता के सैकड़ो मामले रोजाना चर्चा में रहते हैं, अब इसमें केवल कागजों में ही माता-पिता बन जाने का प्रकरण भी जुड़ गया है। बताते हैं कि राजनैतिक रसूख और मुख्यमंत्री की कुर्सी के प्रभाव से अंजान संतानों को अपने कब्जे में ले लेने का यह अनोखा मामला सामने आया है। कोल खनन परिवहन और शराब घोटाले में लिप्त आरोपी सौम्या चौरसिया अपनी जमानत के लिए कई कानूनी दांव-पेच आजमा रही है।

बच्चों की परवरिश का हवाला देकर उसने अदालत से जमानत की मांग दोहराई थी। हाल ही मे रायपुर की एक विशेष अदालत में सौम्या ने एक बार फिर बच्चों की परवरिश का हवाला देते हुए जमानत की मांग की थी। हालाकि कोर्ट ने उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी। अब सौम्या के दावों की पड़ताल की जा रही है।रायपुर की विशेष अदालत में जमानत की अर्जी खारिज होने के बाद बचाव पक्ष हाईकोर्ट बिलासपुर का दरवाजा खटखटाने में जुटा है। इस बीच सौम्या के मां बनने के तौर तरीकों और दावों की पड़ताल चर्चा में है।

बताते हैं कि सौम्या-भू-पे के कब्जे में पल-बढ़ रहे जुड़वा बच्चों के अनुवांशिकी माता-पिता का मामला गहरा गया है। जुड़वा बच्चों के असली माता-पिता को उनके बच्चे सौंपे जाने की मांग की जा रही है। बताते हैं कि जोर जबर्दस्ती और अनुचित दबाव डालकर इन बच्चों की सेरोगसी कराई गई है। इसके लिए कोई वैधानिक अनुमति शासन-प्रशासन से नही ली गई थी। यह मामला प्रकृति के साथ सीधे तौर पर छेड़छाड़ का बताया जा रहा है। ठीक इसी तर्ज पर घटित , पंजाबी सिंगर सिद्धू मूसेवाला के पिता को सेरोगेसी के एक ऐसे ही प्रकरण में कानूनी कार्यवाही का सामना करना पड़ रहा है। भू-पे सौम्या का मामला भी कानून के उल्लंघन से जोड़ कर देखा जा रहा है।

सूत्रों के मुताबिक सौम्या ने अवैध रूप से इन बच्चों को अपने कब्जे में लेकर राजमाता बनने का जबरिया ऐलान किया था। अदालत में ED की चार्जशीट में भी कहा गया है कि सौम्या चौरसिया महज डिप्टी कलेक्टर के रूप में सरकारी सेवक होने के बावजूद मुख्यमंत्री के अधिकारों का उपयोग कर रहीं थीं। IAS , IPS , IFS और अन्य प्रभावशील पदों पर ट्रांसफर पोस्टिंग जैसे निर्णय भी सौम्या चौरसिया द्वारा अंजाम दिए जाते थे। बताया जाता है कि दर्जन भर से ज्यादा बड़े घोटालों में तत्कालीन मुख्यमंत्री कार्यालय भ्रष्टाचार में आकंठ डूबा है। ऐसे गंभीर मामलों की जांच जारी है।