High Milk Prices Impact : महंगे दूध के चलते बड़ी तादाद में लोग अब कम कर रहे दूध की खपत,तीन में एक परिवार ने की दूध में कटौती ,देश भर में बढ़ा शराब का चलन

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दिल्ली / रायपुर /मुंबई /चंडीगढ़ : एक सर्वे में दूध की खपत को लेकर भाग लेने वाले किसी भी व्यक्ति ने ये नहीं कहा कि वे अब खपत नहीं कर रहे हैं | इस सर्वे में 20 फीसदी लोगों ने कहा कि पहले के मुकाबले दूध की खपत उन्होंने कम कर दी है | दूसरी ओर छत्तीसगढ़ समेत दिल्ली,पंजाब हरियाणा ,महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश समेत ज्यादातर राज्यों में शराब की खपत बढ़ी है | इन राज्यों में दूध की पैदावार की तुलना में शराब से होने वाले राजस्व में जबरदस्त बढ़ोतरी दर्ज़ की गई है | बहरहाल दूध की खपत को लेकर एक सर्वे चर्चा में है | इस सर्वे में हाल के दिनों में दूध के दाम में हुई लगातार बढ़ोत्तरी के असर को बताया गया है | सर्वे में कहा कि देश में हर तीन परिवार में से एक परिवार ने दूध खरीदना कम कर दिया है. या फिर दूसरे विकल्पों पर गौर करने लगे हैं |

शराब बिक्री के मामले में दिल्ली की आप पार्टी सरकार ने मेट्रो रेलवे स्टेशनो में शराब दुकाने खोल दी | वही छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार ने वर्ष 2018 में अपने पार्टी घोषणा पत्र में शराब बंदी का वादा किया था | लेकिन सत्ता में आने के बाद अपने वादे से मुकर गई | सरकार बनने के लगभग 4 साल पूरे हो रहे है | लेकिन कांग्रेस ने अब तक वादा पूरा नहीं किया | अलबत्ता लोगो को शराब बंदी को लेकर कमेटियों के गठन का घूंट पिलाती रही |

बताया जाता है कि गरीब प्रदेश होने के बावजूद शराब की बिक्री और खपत के मामले में इस प्रदेश का राजस्व देश में अव्वल नंबर पर है | राज्य में शराब की होम डिलेवरी की योजना को लागू कर कांग्रेस सरकार ने मतदाताओं को चौंका दिया | यह भी कहा जाता है कि सरकार की तिजोरी में शराब से सालाना 5 हजार करोड़ से ज्यादा की रकम आती है ,जबकि इसकी अवैध बिक्री से शराब माफियाओ के ठिकानो में लगभग इतनी ही रकम इकट्ठा होती है |

साल दर साल इसमें बढ़ोत्तरी हो रही है | अब तो शराब माफियाओ ने छत्तीसगढ़ के अलावा झारखण्ड में भी एक क्षत्र राज स्थापित कर लिया है | मुख्यमंत्री बघेल अब तक ठोस रूप से ऐलान नहीं कर पाए है कि आखिर कब शराब बंदी का वादा पूरा होगा ? बहरहाल गौर करे तो देश के तमाम राज्य दूध के बजाय शराब की नीतियों की कामयाबी पर ज्यादा जोर दे रहे है |    

अगस्त महीने में अमूल से लेकर मदर डेयरी ने लागत में बढ़ोतरी का हवाला देकर दूध के दाम 2 रुपये प्रति लीटर बढ़ा दिए थे | इसके बाद देश भर में दूध के दामों में बढ़ोतरी हो गई | अब आम आदमी दूध की भी महंगाई की मार से परेशान है. दूध के दामों में बढ़ोतरी ने घर के बजट को ही बिगाड़ दिया है | अगस्त महीने में सबसे पहले अमूल ने तो उसी दिन मदर डेयरी ने 2 रुपये प्रति लीटर तक दूध के दाम बढ़ा दिए |

लोकल सर्किल ने दूध के दामों में बढ़ोतरी को लेकर किये गए सर्वे में 311 जिलों के 21000 लोगों की प्रतिक्रिया प्राप्त हुई | सर्वे में 68 फीसदी लोगों ने कहा है कि दूध के खपत उनकी पहली ही जितनी है लेकिन पहले के मुकाबले ज्यादा पैसे चुकाने पड़ रहे हैं. जबकि 6 फीसदी लोगों ने कहा कि वे अब सस्ते ब्रांड वाले या फिर स्थानीय सप्लायर से दूध लेने लगे हैं. जबकि 4 फीसदी लोगों ने कहा कि उन्होंने इसी ब्रांड के सस्ते वाले दूध खरीदने लगे हैं | दूध के दामों में बढ़ोतरी के बावजूद 68 फीसदी परिवार वही दूध खरीद रहे जो पहले खरीदा करते थे. लेकिन 32 फीसदी लोगों ने खपत कम कर दी है या फिर उसी ब्रांड के सस्ते दूध खरीदने लगे हैं |  

सर्वे में भाग लेने वाले किसी भी व्यक्ति ने यो तो नहीं कहा कि वे अब खपत नहीं कर रहे हैं | 20 फीसदी लोगों ने कहा कि पहले के मुकाबले दूध की खपत उन्होंने कम कर दी है | सर्वे में भाग लेने वाले 10,522 लोगों में से 72 फीसदी ने कहा कि वे 500 एमएल या 1 लीटर वाले प्लास्टिक पाउच वाले दूध खरीद रहे हैं. 12 फीसदी लोकल फॉर्म या बाटलिंग प्लांट से सीधे दूध खरीद रहे हैं. वहीं 14 फीसदी लोग अनपैक्ड दूध लोकल वेंडर्स से खरीद रहे हैं. केवल 2 फीसदी लोग टेट्रा पैक वाले दूध की खपत कर रहे हैं | बहरहाल देश में यही हाल रहा तो आने वाले दिनों नई कहावत “इस देश में दूध की नहीं बल्कि शराब की नदियां बहेंगी” लोगो की ज़ुबान पर होगा |