बिलासपुर / छत्तीसगढ़ में बीजेपी सरकार की रवानगी के बाद कांग्रेस ने सत्ता तो संभाल ली है, लेकिन आयोगों में हुई नियुक्ति को लेकर उसे क़ानूनी झंझटों का सामना करना पड़ रहा है | कांग्रेस सरकार ने निगम मंडलों और आयोगों में अपने कार्यकर्ताओं की नियुक्ति शुरू कर दी है | लेकिन आयोगों में इन कार्यकर्ताओं को कार्यभार संभालने में नाको चने चबाने पड़ रहे है | बीजेपी शासन काल में नियुक्त हुए कुछ आयोगों के चेयरमैन और अन्य पदाधिकारियों ने कांग्रेस के सत्ता संभालते ही इस्तीफे दे दिए | लेकिन कुछ ने अपना कार्यकाल बचा रहने का हवाला देकर इस्तीफे देने से इंकार कर दिया | उन्होंने उन्हें हटाए जाने की कार्रवाई को अनुचित ठहराते हुए अदालत का दरवाजा खटखटाया है | मामला राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष डॉ.सियाराम साहू की बिलासपुर हाईकोर्ट में दायर याचिका का है | इस पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने राज्य शासन को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने के निर्देश दिए हैं।
प्रकरण की अगली सुनवाई के लिए 21 अगस्त की तिथि निर्धारित की गई है। याचिका के मुताबिक पूर्ववर्ती भाजपा सरकार ने अगस्त 2015 में डॉ.साहू को राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष के पद पर नियुक्ति दी थी। तीन वर्ष का कार्यकाल पूरा होने के बाद राज्य सरकार ने अगस्त 2018 में एक आदेश जारी कर डॉ.साहू को तीन वर्ष के लिए दोबारा आयोग के अध्यक्ष पद पर नियुक्ति दे दी। इसी बीच प्रदेश में सत्ता परिवर्तन हो गया। 20 जुलाई 2020 को राज्य सरकार ने एक आदेश जारी कर डॉ. साहू को राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष पद से हटा दिया था।
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इसके खिलाफ डॉ.साहू ने शासन के आदेश को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट में याचिका दायर कर दी है। याचिका में कहा गया है कि आयोग का अध्यक्ष का पद संवैधानिक पद होता है। तत्कालीन राज्य शासन ने तीन वर्ष के लिए नियुक्ति आदेश जारी किया था। इसलिए कार्यकाल समाप्ति के पूर्व उन्हें पद से हटाया नहीं जा सकता। याचिका में कांग्रेस सरकार के आदेश को नियम व संवैधानिक व्यवस्थाओं के विपरीत बताया गया है। मामले की सुनवाई जस्टिस पी सैम कोशी की सिंगल बेंच में हुई। प्रकरण की सुनवाई के बाद जस्टिस कोशी ने राज्य शासन को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने कहा है। इसके लिए दो सप्ताह की मोहलत दी है। प्रकरण की अगली सुनवाई के लिए 21 अगस्त की तिथि तय कर दी गई है। इस प्रकरण को लेकर राजनैतिक गलियारों में भी माथा पच्ची हो रही है |