महादेव ऐप सट्टा और हवाला कारोबारियों को हाईकोर्ट से झटका, जमानत ख़ारिज, पुलिस अधिकारी CB वर्मा ने सरकारी गवाह बनने की जताई इच्छा….   

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बिलासपुर: छत्तीसगढ़ में 15 हज़ार करोड़ के महादेव ऐप सट्टा घोटाले में सीबीआई सक्रिय हो गई है। अंदेशा है कि आने वाले दिनों इस कारोबार में लिप्त कई राजनेता और नौकरशाह उसके हत्थे चढ़ सकते है। इस बीच बिलासपुर हाई कोर्ट ने मामले में जेल में निरुद्ध दो आरोपियों की जमानत अर्जी खारिज कर दी है। इनमे से एक आरोपी पूर्व मुख्यमंत्री बघेल और उनके सलाहकार विनोद वर्मा का खासम-खास पुलिस ASI चंद्रभूषण वर्मा है।

यही वो शख्स है जो रायपुर के तत्कालीन IG आनंद छाबड़ा, IG शेख आरिफ, एसएसपी प्रशांत अग्रवाल समेत पुलिस के कई आलाधिकारियों को प्रोटेक्शन मनी के रूप में हर माह लाखों की नगदी दिया करता था। इन स्थानों पर उसकी नियमित आवाजाही होती थी। लेकिन महादेव ऐप सट्टा के कारोबार का खुलासा होते ही दागी अफसरों ने CCTV रिकॉर्ड और अन्य साक्ष्य नष्ट कर खुद के बचाव का रास्ता निकाल लिया है। इन अफसरों की प्रतिमाह काली कमाई करोड़ों में बताई जाती थी। एएसआई पर आरोपियों और राजनेताओं के बीच पुल के तौर पर काम करने का आरोप है। 

यही नहीं, बताया जाता है कि इन अफसरों ने मुख्यमंत्री आवास समेत अन्य विशेष स्थानों पर ASI चंद्रभूषण वर्मा की आवाजाही से जुड़े तमाम साक्ष्य नष्ट कर दिए है। मुख्यमंत्री आवास, मंत्रालय, पुलिस के दफ्तरों और अन्य स्थानों में लगे CCTV कैमरे और सरकारी रजिस्टरों में चंद्रभूषण वर्मा का नाम अक्सर दर्ज किया जाता था।

इधर बिलासपुर हाईकोर्ट में एएसआई वर्मा समेत एक अन्य आरोपी की जमानत अर्जी खारिज कर दी है। पुलिस और ED दोनों ने महादेव ऐप सट्टे को लेकर आपराधिक प्रकरण दर्ज किया है। पुलिस ने सार्वजनिक जुआ अधिनियम और ईडी ने ईसीआईआर दर्ज कर मनी लॉन्ड्रिंग के मामले की जांच शुरू की थी। 

दुर्ग पुलिस ने 29 फरवरी 2022 को मोहन नगर थाने में आलोक सिंह राजपूत, रामप्रवेश साहू, खड़ग उर्फ राजा सिंह, अभिषेक और पिंटू के खिलाफ सार्वजनिक जुआ (छ.ग. संशोधन) अधिनियम, 1976 की धारा 4ए, आईपीसी की धारा 420, 120बी और आईटी एक्ट की धारा 66डी के तहत FIR दर्ज की थी। जबकि ईडी ने तमाम आरोपियों के ठिकानों पर छापा मार कर लैपटॉप सेट, ऑनलाइन आईडी, नगदी समेत कई साक्ष्य बरामद किये थे। 

जानकारी के मुताबिक इन आरोपियों ने आईडी के माध्यम से ऑनलाइन क्रिकेट मैच, घुड़दौड़, ग्रेहाउंड रेसिंग, कबड्डी समेत कई खेलों में सट्टे के कारोबार को संचालित किया था। एजेंसियों की पूछताछ में आरोपियों ने अभिषेक और पिंटू के नाम के दो अन्य साथियों की जानकारी दी थी। महादेव ऑनलाइन बुक के प्रमोटर सौरभ चंद्राकर और रवि उप्पल ऑनलाइन मोड के माध्यम से इनके कई साथी सट्टेबाजी के विभिन्न ऐप चला रहे थे।

प्रमोटरों ने भारत के अलावा विदेशों में भी ऑनलाइन सट्टेबाजी ऐप के पैनलों को फ्रेंचाइज बांट कर बड़ा नेटवर्क सिस्टम स्थापित किया था। इस कारोबार के संचालन में एएसआई चंद्रभूषण वर्मा ने भूपे बघेल, विनोद वर्मा समेत पुलिस के कई अधिकारीयों और राजनीतिक से जुड़े लोगों और सौरभ चंद्राकर के बीच मुख्य कड़ी के रूप में कार्य किया था। जानकार बता रहे है कि हाई कोर्ट से जमानत रद्द होने के बाद चंद्रभूषण वर्मा ने महादेव ऑनलाइन सट्टा कारोबार की असलियत जाहिर करने के लिए सरकारी गवाह बनने की गुहार भी लगाई है।