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मध्यप्रदेश में निजी स्कूलों की मनमानी पर हाईकोर्ट का ब्रेक , कोरोना काल तक सिर्फ ट्यूशन फीस वसूलेंगे निजी स्कूल , निर्देशों के कड़ाई से पालन की जरूरत पर जोर दिया अभिभावकों ने
जबलपुर / मध्यप्रदेश में निजी स्कूलों की अवैध उगाही पर हाईकोर्ट ने ब्रेक लगा दिया है | अदालत ने कोरोना काल में निजी स्कूलों द्वारा मनमानी फीस वसूली पर पालकों और अभिभावकों को काफी राहत दी है | 6 अक्टूबर को सुरक्षित रखे फैसले को सुनाते हुए हाईकोर्ट ने प्रदेशभर के निजी स्कूलों को फीस वसूली के मामले में कड़े निर्देश दिए है | करीब 1 दर्जन याचिकाओं पर लंबित हाईकोर्ट का फैसला आज सामने आया है | इसमें हाईकोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि जब तक कोरोना काल रहेगा या फिर जब तक फिजिकल क्लासेस चालू नहीं होंगे, तब तक निजी स्कूल सिर्फ और सिर्फ ट्यूशन फीस वसूल सकेंगे | वहीं हाईकोर्ट ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि निजी स्कूल किसी भी तरीके से कोई एरियर बाद में वसूल नहीं कर सकेंगे. जब भी निजी स्कूल खुलेंगे तब से उस सत्र के बचे हुए महीनों की फीस बढ़ोतरी का फैसला शासन की कमेटी 1 माह के अंदर लेगी। अपने फैसले में हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि किसी भी सूरत में निजी स्कूल स्कूली छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से वंचित नहीं करेंगे |
जबलपुर के नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच,अभिभावक संगठन समेत कई संगठनों की ओर से जबलपुर हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी | याचिका में कहा गया था कि कोरोना काल में जब हर एक आदमी का बजट बिगड़ चुका है और स्कूल लग नहीं रहे हैं | उसके बावजूद भी निजी स्कूल मनमानी फीस वसूली कर रहे हैं | हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद अभिभावकों ने राहत की सांस लेते हुए मांग की है कि प्रशासन इन निर्देशों का कड़ाई से पालन करवाए | अभिभावकों का कहना है कि निश्चित तौर पर हाईकोर्ट के इस फैसले ने लाखों अभिभावकों को बड़े आर्थिक संकट से बचा लिया है |
दरअसल कोरोना संकटकाल में प्रदेश के ज्यादातर निजी स्कूल मनमानी पर उतर आये थे | ये स्कूल अनाप सनाप फीस की वसूली के लिए अभिभावकों पर दबाव बना रहे थे | कई स्कूलों ने जहां फीस वसूली को लेकर छात्रों को नोटिस दिए थे वहीं कुछ जगहों पर छात्रों का नाम काटने की भी शिकायत सामने आई थी |