रायपुर / कभी मीलों पैदल चले, तो कभी ट्रेक्टर पर बैठे, उबड़ खाबड़ रास्ते में गिरे तो कहीं धूल में कपड़े सने, कहीं बारिश में पूरी तरह भीगे लेकिन गीले कपड़ों में ही पहुंच गए सुकमा जिले के सुदूर अंचलों में । अक्सर शरीर के ताप से ही कपड़े सूख जाते है या कभी गीले कपड़ों में ही पूरे गांव की मलेरिया जांच करते हुए स्वास्थ्य विभाग ने स्वास्थ्य सेवाओं को सुदूर अंचलों में लोगों के द्वार तक पहुंचाया। खंड चिकित्सा अधिकारी कोंटा डॉ. कपिल देव कश्यप के नेतृत्व में सुकमा जिले के सुदूर अंचलों के घोर नक्सल प्रभावित –तिमापुरम, मोरपल्ली, किस्टाराम, पोलमपाड़, बोड़केल, रावगुड़ा और चिंतागुफा में घर घर जाकर मलेरिया की जांच करके अपने सामने दवा खिलाकर ही उपचार शुरू करते है।
सीएमएचओ (सुकमा) डॉ. सी बी प्रसाद बंसोड़ ने कहा मलेरिया मुक्त बस्तर अभियान के प्रथम चरण में 2.86 लाख लोगों का टेस्ट किया गया था जिसमें 16,599 लोग पॉजिटिव आए थे । उन सभी का फॉलोअप के बाद स्लाइड टेस्ट किया गया, जिसमें 550 पॉजिटिव आए और उन सभी का पूर्ण उपचार भी किया गया। वहीं अभियान के द्वितीय चरण में भी 2.86 लाख लोगों का टेस्ट करने का लक्ष्य रखा गया है । 21 जुलाई तक लगभग 2.34 लाख लोगों तक पहुंचा गया है जिसमें 3,723 लोग पॉजिटिव आए है जो पूर्व की तुलना में काफी कम हैं ।
पोलमपाड़ के निवासी हिंगा (बदला हुआ नाम) बताते हैं उनका क्षेत्र काफी दुर्गम और नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में है जहाँलोग दवाई से ज्यादा झाड़-फूंक में विश्वास करते हैं । लोगों को मलेरिया (जुड़ी बुखार) जब होता है तो वह स्थानीय बैगा से झाड़-फूंक करवाते हैं । जब हालत ज़्यादा नाजुक हो जाती है तब स्वास्थ्य केंद्र पर जाते हैं । ‘मलेरिया से बचने के लिए सरकार द्वारा चलाया जा रहा मलेरिया मुक्त बस्तर अभियान कार्यक्रम बहुत अच्छा है । हम तो स्वास्थ्य कर्मियों से यही कहेंगे आप लोग हमेशा यहॉ आते रहा करिए,’’ उसने कहा ।
खंड चिकित्सा अधिकारी कोंटाडॉ. कपिल देव कश्यप ने बताया मलेरिया मुक्त बस्तर अभियान का द्वितीय चक्र तीन चरणों में चलाया जा रहा है ।प्रथम चरण में बरसात में सम्पर्क बाधित हो जाने वाले क्षेत्र में आर.डी. किट से सभी लोगों के रक्त की जांच और सकारात्मक लोगों का पूर्ण उपचार 15 जून से 30 जून तक सम्पन्न किया गया है । उसके बाद 1 जुलाई से 31 जुलाई तक ऐसे क्षेत्र जहाँ मलेरिया बुखार के प्रकरण अधिक पाये गये हैं । उन क्षेत्रों में सभी लोगों के खून की जांच से की जायेगी । साथ ही पूर्ण उपचार सुनिश्चित किया जायेगा।इसके बाद सामान्य क्षेत्र में लोगों का रक्त परीक्षण उपचार की गतिविधियां सम्पन्न होगी।
डॉ. कश्यप ने कहा मलेरिया मुक्त बस्तर अभियान का द्वितीय चक्र में 21 सदस्यीय टीम के साथ सुकमा जिले के सुदूर अंचलों के जगरगुंडा क्षेत्र के घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्रों जैसे तिमापुरम, मोरपल्ली, किस्टाराम, पोलमपाड़, बोड़केल, रावगुड़ा और चिंतागुफा के पालामड़गू में घर घर जाकर 3 दिनों में लगभग 3000 से अधिक लोगों की मलेरिया की जांच की गयी। इसमें 55 लोगों को मलेरिया के लक्षण पाये गये थे जिनका उपचार शुरु किया गया है । गर्भवती महिलाओं की मलेरिया की जांच, हिमोग्लोबिन जांच,टीकाकरण , वज़न , मच्छरदानी की उपलब्धता एवं अन्य मरीजों का इलाज भी किया गया।टीम में राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके)के डॉ. वेद साहू,ग्रामीण चिकित्सा सहायक (आरएमए)मुकेश बख्शी, युवराज साहू और यूनिसेफ से आदर्श कुमारके साथ स्वास्थ्य विभाग के अन्य साथी भी थे।
मेडिकल आफिसर डॉ.व्यंकटेशने बताया जिस जगह भी जाना होता है वहॉ पर स्थानीय सम्पर्क के माध्यम से लोगों को संदेश भेजा जाता है ताकि टीम जब पहुंचे तो सभी लोग मिल जायें जिससे ज़्यादा से ज़्यादा लोगों को स्वास्थ्य का लाभ मिले ।टीम के द्वारा मलेरिया जॉच ही नही अन्य जॉचें भी की जाती है । स्थानिय लोगों का सहयोग भी रहता है ।
सीएमएचओ डॉ.सीबी प्रसाद बंसोड़ ने बताया क्षेत्र के कई इलाकों में पहुंच पाना अपने आप में एक चुनौती से कम नही है । कई क्षेत्र नक्सल प्रभावित होनें के साथ पहुंच विहीन भी है। बारिश में कई ग्राम टापू में तब्दील हो जाते हैं।स्वास्थ्य विभाग के मलेरिया वारियर्स कभी ट्रेक्टर में बैठकर तो कहीं मीलों पैदल चलकर मलेरिया मुक्त बस्तर के संकल्प को पूर्ण करने में अपना योगदान दे रहे है। उन सभी का फॉलोअप के बाद स्लाइड टेस्ट किया जायेगा, पॉजिटिव आने वालेसभी लोगों का पूर्ण उपचार भी किया जायेगा।दोनो चरणों में अब तक 1.47 लाख मच्छरदानियों का वितरण और उसका उपयोग सुनिचित किया गया है ।ज्ञात रहे प्रथम चरण 15 जनवरी से 14 फरवरी तक चला वहीं द्वितीय चरण 15 जून से 31 जुलाई तक चलाया जा रहा है ।
क्षेत्र में मलेरिया उन्मूलन की दिशा में सपोर्टिव गतिविधियों के तहत मच्छरदानी का उपयोग सभी परिवारों द्वारा सुनिश्चित करवाया जा रहा है ,सभी घरों में मलेरिया रोधी कीटनाशक दवा का छिड़काव सुनिश्चित हो, और लार्वा नियंत्रण के लिये प्रति सप्ताह रविवार के दिन प्रातः 10बजे 10 मिनट अपने घरों के आसपास एवं सार्वजनिक जगहों में 10मीटर की दूरी को साफ सुथरा बनाये, और पानी का जमाव न होने देने पर जोर दिया जा रहा है|