जोधपुर / राजस्थान के जोधपुर जिले से एक दिलचस्प मामला सामने आया है | यहां 20 साल की एक युवती ने अपने लिए बेहतर भविष्य की तलाश में अदालत की शरण ली है | दरअसल इस युवती की शादी महज ढाई साल की उम्र में कर दी गई थी | युवती ने अदालत में कहा है कि इस तरह का बाल विवाह उसके लिए अस्वीकार्य है और वह आगे की पढ़ाई करके अपना भविष्य बनाना चाहती है |
बताया गया कि समता की शादी 2003 में जोधपुर जिले के ओसियां तहसील में हुई थी, जब वह केवल ढाई साल की थी | उसके ससुराल वाले लगातार उस पर उनके घर आकर रहने का दबाव बना रहे हैं, लेकिन समता इस बात का विरोध करती रही है | ससुराल वाले उसके परिवार को धमकाने भी लगे हैं | समता ने अंतत: अदालत का दरवाजा खटखटाया है | उसने जोधपुर के पारिवारिक न्यायालय-1 में अपने बाल विवाह को रद्द करने का अनुरोध किया |
शिकायत के आधार पर, न्यायाधीश महेंद्र कुमार सिंघल ने समता के तथाकथित पति को समन भेजा है | समता ने न्यूज़ टुडे को बताया कि “बाल विवाह मेरे लिए अस्वीकार्य है और मैं अपने उज्जवल भविष्य के लिए आगे पढ़ाई करना चाहती हूं |”उन्होंने आगे कहा कि उन्हें सारथी ट्रस्ट की प्रबंध ट्रस्टी और पुनर्वास मनोवैज्ञानिक डॉ. कृति भारती की ओर से चलाए जा रहे बाल विवाह के खिलाफ अभियान के बारे में जानकारी मिली | बिना किसी देरी के, उसने भारती से शादी रद्द करने में मदद के लिए संपर्क किया |
डॉ. कृति भारती की मदद से समता ने जोधपुर परिवार न्यायालय-1 में बाल विवाह को रद्द करने के लिए मुकदमा दायर किया है | प्रारंभिक सुनवाई के बाद, परिवार न्यायालय-1 के न्यायाधीश महेंद्र कुमार सिंघल ने उनके तथाकथित पति को तलब किया है |