रायपुर। छत्तीसगढ़ में तीज त्यौहारो की शुरूआत हो गई है, यहां आदिवासी इलाकों से लेकर सामान्य गांव-कस्बों में हरेली की छटा बिखरी हुई नजर आ रही है। कहते हैं कि राज्य में लोक पर्व हरेली से सभी धार्मिक तीज त्यौहार और अनुष्ठान की शुरूआत होती है। लोक संस्कृति के इस पर्व पर खेती किसानी और खुशहाली का सामंजस्य नजर आता है। कृषि प्रधान इस प्रदेश में हरियाली अमावस्या को मनाया जाने वाला यह पर्व पर्यावरण की रक्षा से जुड़ा हुआ है। इस दिन से प्रदेश के गांव कस्बों तक में भक्ति की धारा शूरू हो जाती है। मौजूदा दौर में हरेली पर राजनैतिक रंग भी चढ़ गया है, लिहाजा नेता नगरी से लेकर लोगों के घरों तक सावन की बयार बह रही है।
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रायपुर में मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने “गाय और बछड़े” को लोंदी और चारा खिलाया, गौरी गणेश, नवग्रह की पूजा कर भगवान भोलेनाथ का अभिषेक भी किया, इस अनुष्ठान में विष्णु के साथ लक्ष्मी भी विराजमान रही।
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मुख्यमंत्री साय ने सपत्नीक पूजा अर्चना कर प्रदेश की खुशहाली और सुख समृद्धि कि कामना की। इस दौरान कृषि कार्य में प्रयुक्त होने वाले नागा, रापा, कुदाल और ऐसे ही यंत्रों की आरती भी उतारी।
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हरियाली अमावस्या को प्रदेश में धन-धान्य के रूप में पूजा जाता है। पशुधन संरक्षण के संदेश के साथ मुख्यमंत्री साय ने गाय व बछड़े को लोंदी और चारा खिलाया। पशुओं को आज के दिन विशेष भोजन परोसा जाता है, याचक उसके भी अच्छे स्वास्थ्य की कामना करता है।
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हरेली पर “एक पेड़ मां के नाम” अभियान के तहत पौधारोपण भी जोरशोर के साथ किया जा रहा है। मुख्यमंत्री साय ने अपने आवास में पौधारोपण कर प्रधानमंत्री मोदी के पर्यावरण संरक्षण कार्यक्रम को नई गति प्रदान की। इस अभियान के तहत प्रदेश भर में लाखों पौधे रोपे जा रहे हैं।
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मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने हरेली पर परंपरागत रस्मों को पूरी तरह से निभाया। उन्होंने गेड़ी पर चढ़कर अपनी बानगी दिखाई।
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जय जोहार के शंखनाद के साथ लोक गीतों के स्वरों ने वातावरण को आनंदित कर दिया। महिलाओं ने सावन का झूला झुला, एक दूसरे को फूल-पुष्पगुच्छ देकर अभिवादन किया।
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मुख्यमंत्री साय की तर्ज पर उनके मंत्रिमंडल के कई साथियों पर भी हरेली का रंग साफ झलक रहा था। परंपरागत वेश-भूषा में वे भी जमकर थिरके।
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मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के गलियारों की तुलना में बीजेपी के शक्ति केंद्रों में हरेली की ख़ूब धूम रही। कांग्रेसी खेमों में पूर्व मुख्यमंत्री बघेल के ठिकाने में उनके समर्थकों का तांता लगा रहा। बताते हैं कि बघेल ने इस पर्व को मनाने के लिए काफी बंदोबस्त किया था।फ़िलहाल राज्य का एक बड़ा वर्ग लोक संस्कृति के रंग में रंगा नज़र आ रहा है, हालाँकि इस पर्व को लेकर राजनीति भी खूब हो रही है।