Saturday, September 21, 2024
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भगवान भोलेनाथ के भक्तों के लिए खुश खबर : कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए अब नहीं जाना होगा चीन , उत्तराखंड के रास्ते अब हो सकेगी कैलाश मानसरोवर की यात्रा, पीएम मोदी ने पूरा किया सपना , हैरत में चीन 

दिल्ली वेब डेस्क / भगवान भोलेनाथ के दरबार मानसरोवर यात्रा पर जाने वाले भक्तों के लिए अच्छी खबर आ रही है | अब उन्हें चीन पर निर्भर नहीं होना पड़ेगा | इस चीनी मार्ग पर पड़ने वाली दिक्क्तों को एक नए मार्ग ने काफी हद तक दूर कर दिया है | पीएमओ से हरी झंडी मिलने के बाद जल्द ही भगवान भोलेनाथ के भक्त इस नए मार्ग पर नजर आएंगे |  उत्तराखंड के पिथौरागढ़ से कैलाश मानसरोवर की यात्रा एक नए अध्याय के साथ शुरू होगी | दरअसल अब उत्तराखंड के पारंपरिक लिपुलेख सीमा तक की सड़क बन जाने के बाद तीर्थयात्री सड़क मार्ग से कैलाश मानसरोवर के दर्शन करके एक-दो दिन में ही भारत लौट सकेंगे |

 रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शुक्रवार को पिथौरागढ़ धारचूला से लिपुलेख को जोड़ने वाली सड़क का वीडियो कांफ्रेंस के जरिए उद्घाटन किया | इस मौके पर सीडीएस जनरल बिपिन रावत सेना प्रमुख जनरल एम.एम. नरवणे और बीआरओ के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल हरपाल सिंह मौजूद थे | हालांकि कैलाश मानसरोवर तक पहुंचने के लिए भक्तों को अभी कुछ दिनों का इंतजार करना होगा | 

अब तक इस यात्रा के लिए भोलेनाथ के भक्त कभी चीन तो कभी नेपाल पर निर्भर थे | इस यात्रा पर काफी वक्त और मोटी रकम भी खर्च होती थी | नया मार्ग 17 हजार से ज्यादा फीट की ऊंचाई पर 80 किलोमीटर लंबा यह सफर कैलाश मानसरोवर को जोड़ने वाले लिपुलेख तक जायेगा | इस रोड के निर्माण का काम कई सालों से चल रहा था लेकिन ऊंचे पहाड़ और मुश्किल हालात से इसमें काफी दिक्कतें आ रही थी | अभी तक कैलाश मानसरोवर जाने में 3 हफ्ते से ज्यादा का वक्त लगता है  | यात्रियों को सबसे अधिक दिक्क्त चीनी प्रशासन और सरकार से होती थी | जबकि लिपुलेख के रास्ते अब मात्र 90 किलोमीटर की सड़क यात्रा कर कैलाश मानसरोवर पहुंचा जा सकेगा | 

 बताया जाता है कि इस कार्य में ऊंचे पहाड़ों पर सड़क बनाने के इस काम में वायुसेना के एमआई-17 और 26 हेलीकॉप्टरों का भी इस्तेमाल किया गया है | पीएमओ के अधिकारी खुद इस परियोजना पर नजर रख रहे थे | पहली बार देश में पहाड़ काटने के लिए ऑस्ट्रेलिया से विशेष अत्याधुनिक मशीनें मंगवाई गई थी | इन मशीनों की मदद से करीब तीन माह के अंदर 35 किलोमीटर से अधिक दूरी तक पहाड़ काटा जा सका | 

बताया जाता है कि खुद पीएम मोदी भगवान भोलेनाथ के भक्त है | लिहाजा उन्होंने आम भक्तों को आ रही परेशानियों को समझते हुए इस मार्ग के जरिये मानसरोवर यात्रा जारी करवाने का प्लान तैयार किया था | जानकारी के मुताबिक घटियाबगढ़ से लेकर लिपुलेख तक करीब 75.54 किलोमीटर रोड का काम बीआरओ कर रहा है | लिपुलेख की तरफ 62 किलोमीटर तक रोड का काम पूरा हो चुका है | घटियाबगढ़ से आगे की तरफ पहाड़ काटकर बीआरओ को सड़क बनाने में ऊंचे पहाड़ होने के वजह से बहुत मुश्किलें आई थी | मोदी सरकार के एजेंडे में कैलाश मानसरोवर की यात्रियों की सुविधा का मुद्दा हमेशा से अहम रहा है | 

कुछ माह पूर्व चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की भारत यात्रा के दौरान भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनसे सिक्किम में नाथुला मार्ग खोलने का आग्रह किया था, जिसे उन्होंने मान लिया था | लिपुलेख दर्रे के पार चीन में सीमा से मानसरोवर की दूरी महज 72 किलोमीटर है और सीमा से वहां चीन ने शानदार सड़क पहले ही बना रखी है | लेकिन भविष्य में दोनों देशों के बीच संबंधों को ध्यान में रखते हुए पीएम मोदी ने भारतीय इलाके से मानसरोवर मार्ग विकसित करने का फैसला लिया था | इस मार्ग में धारचुला में पर्यटक आधार शिविर भी विकसित किया गया है |  जहां से तीर्थयात्री एक दिन में ही मानसरोवर के दर्शन करके भारत लौट सकेंगे  | उन्हें ना तो पासपोर्ट की जरूरत होगी और ना ही वीजा की | 

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