रायपुर। छत्तीसगढ़ विधान सभा का ग्रीष्मकालीन सत्र खत्म हुए अभी 2 दिन ही बीता है, कि कांग्रेस के भीतर नेताओं की गिरफ्तारी, उनके अंदर बाहर रहने को लेकर माथा-पच्ची हो रही है।राजनैतिक गलियारों में बीजेपी सरकार की घोषणाओं ने सरगर्मियां बढ़ा दीं हैं। मुख्य्मंत्री विष्णुदेव साय सरकार ने पूर्ववर्ती भू-पे सरकार के भ्रष्टाचार के दर्जनों मामलों में जांच की घोषणा की है। विधान सभा में की गई इन घोषणाओं से कांग्रेस के कई नेता भयभीत हैं, उन्हें अपनी गिरफ्तारी की आशंका सता रही है।कांग्रेस के पराजित उम्मीदवारों के साथ-साथ निगम मंडलों के कई पदाधिकारी भ्रष्टाचार और घोटालों की जांच को लेकर दुविधा में पड़ गए हैं। उन्हें अपने भविष्य की चिंता सताने लगी है। दरअसल विधान सभा में कांग्रेस शासनकाल में घटित भ्रष्टाचार और घोटालों की लंबी फेहरिस्त पर रोजाना चर्चा हुई थी। सरकारी धन के दुरूपयोग के तथ्यात्मक सबूत सदन के पटल पर रखे गए और संबंधित विभागीय मंत्रियों ने जांच के आदेश जल्द करने की घोषणाएं की।अब इन घोषणाओं को अमल में लाने का वक्त शुरू हो गया है।
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सदन की कार्यवाही में भ्रष्टाचार की परतें लगातार खुलते रहीं और कांग्रेसी विधायक बगलें झांकते रहे। बताते हैं कि सदन की कार्यवाही में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बचाव में आते ही कांग्रेसी विधायकों को कई बार शर्मशार होना पड़ता था। वे अपनी ही पार्टी के नेताओं के भ्रष्टाचार से मायूस रहे।पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के भ्रष्टाचारों की गूंज सदन में सुनाई देते ही कई कांग्रेसी विधायकों ने ऐसे मामलो से अपना पल्ला झाड़ लिया। मामलों की निष्पक्ष जांच को लेकर उन्होंने भी हामी भरी, यह कहते हुए कि दूध का दूध और पानी का पानी जांच से ही साफ होगा? छत्तीसगढ़ विधान सभा का ग्रीष्मकालीन सत्र 28 फरवरी को समाप्त हो गया है। यह सत्र सत्ताधारी बीजेपी के लिए नया पैगाम लेकर आया है।
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राजनीति के जानकार बताते हैं कि दर्जन भर से ज्यादा भ्रष्टाचार के मामलों की जांच की घोषणाओं से कांग्रेस में नया संकट खड़ा हो गया है।अंदेशा है कि इस पर अमल हुआ तो आधी कांग्रेस मैदान में और आधी, जेल में नजर आएगी। सूत्र बताते हैं कि जांच के निर्देश से तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उनके मंत्रिमंडल समेत संगठन के कई पदाधिकारीयों पर गिरफ्तारी की तलवार लटक गई है। उनका मानना है कि नौकरशाही ने कांग्रेस सरकार को बुरी तरह से फंसा दिया है। नाम ना छापने की शर्त पर एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि यदि विधान सभा की घोषणाओं पर जल्द अमल हुआ तो कांग्रेस के पहली पंक्ति के कई नेता लोकसभा चुनाव के पूर्व जेल की हवा खा सकते हैं। उन्हें अंदेशा है कि आधी कांग्रेस ही साफ हो जाएगी, कुछ एक अच्छी छवि और भ्रष्टाचार मुक्त नेता ही शेष बचेंगे।
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छत्तीसगढ़ विधान सभा में भ्रष्टाचार और घोटालों के जिन मामलों को लेकर जांच की घोषणाएं की गई हैं, उनमें प्रमुख रुप से पीएससी घोटाला, महादेव ऐप घोटाला, चांवल घोटाला, शराब घोटाला, गोबर घोटाला, गौधन न्याय योजना में भ्रष्टाचार, सहकारी संस्थाओं में भ्रष्टाचार, राजीव मितान क्लब योजना में भ्रष्टाचार, सड़क घोटाला, मेडिकल घोटाला, महिला बाल विकास विभाग की कई योजनाओं में घोटाला,NRDA और हाऊसिंग बोर्ड में घोटाला,PMGSY और जल जीवन मिशन में घोटाला, सिंचाई विभाग में घोटाला, वन विभाग के कैंपा फंड में भारी भरकम घोटाला शामिल हैं। इसके अलावा विभिन्न निगम-मंडलों में भी सरकारी रकम के दुरूपयोग और भ्रष्टाचार के कई आरोप भू-पे सरकार पर लगे हैं।
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राजनीति के जानकार बताते हैं कि भ्रष्टाचार और घोटालों की इस लंबी फेहरिस्त में कांग्रेस के कई नेता और सरकारी अधिकारी लपेटे में हैं। यदि जांच वाकई निष्पक्ष हुई तो उन पर गाज गिरना लाजिमी है। छत्तीसगढ़ विधानसभा में जहां विपक्ष पूरी तरह से कमजोर नजर आया वहीं पूरी सत्रावधि में सत्ताधारी बीजेपी के विधायक कांग्रेस पर हावी रहे। विधायक राजेश मूणत, अजय चंद्राकर, धरमलाल कौशिक, धर्मजीत सिंह ने तो भ्रष्टाचार के मामले उठाकर पूरी कांग्रेस को बैकफुट पर ला खड़ा किया है। आखिरकार सरकार को जन भावनाओं का आदर करते हुए घोटालों की निष्पक्ष जांच की घोषणाएं करनी पड़ीं है। यहां तक कि कुछ मामलों में विधायकों की कमेटी भी भ्रष्टाचार की जांच करेगी।
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बताते हैं कि भ्रष्टाचार के जद में कांग्रेस के जो नेता अग्रिम पंक्ति में नजर आ रहे हैं,उनमें सबसे पहला नाम तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उनकी करीबी उपसचिव सौम्या चौरसिया शामिल है। इसके अलावा उनके मंत्रिमंडल में शामिल रहे शिव डहरिया, कवासी लखमा, मोहम्मद अकबर, ताम्रध्वज साहू, प्रेमसाय सिंह, अमरजीत भगत, गुरु रूद्रकुमार का नाम शामिल हैं। यही हाल निगम मंडलों के लगभग दो दर्जन पदाधिकारियों का है। इसमें पार्टी के कोषाध्यक्ष रामगोपाल अग्रवाल, गिरीश देवांगन, सन्नी अग्रवाल, शैलेश नितिन त्रिवेदी, विनोद वर्मा, रुचिर गर्ग, का नाम प्रमुख रुप से लिया जा रहा है।बताया जाता है कि कांग्रेस के शासनकाल में सरकारी तिजोरी को दिन-दहाड़े ही लूट लिया गया था। इसमें सिर्फ भू-पे गिरोह ही आर्थिक अपराधों को अंजाम दे रहा था।
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आर्थिक मामलों के जानकार बताते हैं कि 15 साल के बीजेपी शासनकाल में तत्कालीन मुख्यमंत्री रमन सिंह ने लगभग 85 हजार करोड़ का ऋण लेकर मौजूदा छत्तीसगढ़ का खांका खींचा था। इस धन का सर्वाधिक उपयोग शिक्षा और बुनियादी ढांचा खड़ा करने में व्यय किया गया था। जबकि मात्र 5 सालों में कांग्रेस के शासनकाल में मुख्यमंत्री रहे भू-पे बघेल ने 85 हजार करोड़ का ऋण लेकर विभिन्न योजनाओं में खपा दिया था। बावजूद इसके विकास की झलक तक प्रदेश के किसी भी विधानसभा क्षेत्र में नजर नही आती है।
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कई नागरिकों के मुताबिक उनके इलाके में विकास कार्य उसी समय ठप हो गए थे जब 18 दिसंबर 2018 को बीजेपी सरकार की रवानगी हो गई थी। उनके मुताबिक विकास और दूसरी जनकल्याण की योजनाओं में सिर्फ इन 5 वर्षों में लीपापोती ही होती रही। कभी अधिकारी तो कभी नेता, दोनों मिलकर सरकारी तिजोरी पर चूना लगाते रहे।यहां तक कि बीजेपी शासनकाल में जनहित में जो नवनिर्माण हुए थे, उनको मेंटेन तक नही किया गया था।
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गौरतलब है कि कांग्रेस शासनकाल में सरकारी भ्रष्टाचार चरम पर होने के चलते जनता ने भू-पे सरकार को उखाड़ फेंका था। राज्य के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और उनकी सरकार भ्रष्टाचार पर “जीरो टॉलरेंस”की नीति पर अडिग है। वो जरूरी मामलों को CBI और NIA जैसी राष्ट्रिय एजेंसियों को जांच के लिए सौंप रही है।ऐसे में विधानसभा की घोषणाएं जल्द अमल पर लाई गई तो आधी कांग्रेस के सफाए का अंदेशा है, आधी कांग्रेस ही मैदान में नजर आ सकती है।कहते हैं कि प्रशासन के कदम ठोस होते हैं, इसलिए उठते जरा धीरे हैं। 5 साल से सुस्त पड़े कदम अब चहल कदमी करते नजर आ रहे हैं। जिस दिन उठेंगे? भ्रष्टाचारियों की खैर नही। जनता को ऐसे कदमों का बेसब्री से इंतजार है।
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राज्य के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और उनकी सरकार भ्रष्टाचार पर “जीरो टॉलरेंस”की नीति पर अडिग है। वो जरूरी मामलों को CBI और NIA जैसी राष्ट्रिय एजेंसियों को जांच के लिए सौंप रही है।ऐसे में विधानसभा की घोषणाएं जल्द अमल पर लाई गई तो आधी कांग्रेस के सफाए का अंदेशा है, आधी कांग्रेस ही मैदान में नजर आ सकती है।कहते हैं कि प्रशासन के कदम ठोस होते हैं, इसलिए उठते जरा धीरे हैं। 5 साल से सुस्त पड़े कदम अब चहल कदमी करते नजर आ रहे हैं। जिस दिन उठेंगे? भ्रष्टाचारियों की खैर नही। जनता को ऐसे कदमों का पर बेसब्री से इंतजार है।