Saturday, September 21, 2024
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छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले के अंतिम छोर में बसे आधा दर्जन गांवों में अब तक नहीं पहुंची कोई बुनयादी सुविधाए, लॉक डाउन के बाद भूख से बिलख रहे ग्रामीण, शहर के सेवाभावी संस्था माँ पाताल भैरवी ने संकट की घड़ी में सूखा राशन और राहत सामग्री पहुंचाने का उठाया बीड़ा, देखे वीडियो 

राजनांदगांव / राजनांदगांव जिला मुख्यालय से 145 किलोमीटर दूर जिले के अंतिम गांव काशिबाहरा, लमरा,छोटे लमरा, लक्षमंझिरिया, भावे और मलैदा जो अतिसंवेदन सील माओवादी प्रभावित गांव है  जिले के सुदूर वनांचल क्षेत्र प्रशासन की पहुंच से दूर है । पिछले 3 माह से यहां राशन तक नहीं मिल सका है |

इन क्षेत्रों में, बच्चे, महिलाएं, बुजुर्ग भूख से बिलख रहे है। नही पहुंच पा रही राहत सामग्री। इसे देखते हुए राजनांदगांव शहर के सेवाभावी संस्था माँ पाताल भैरवी के अध्यक्ष राजेश मारू ने कमलेश सिमनकर के साथ उनके मार्ग दर्शन में अपनी टीम जो संस्था से जुड़ी है, राहत सामग्री इकट्ठा कर जिले के अंतिम गांव और अंतिम व्यक्ति तक सूखा राशन पहुंचाने का बीड़ा उठाया। सूखा राशन में चांवल, चना, आलू, केला, अचार, नहाने का साबुन, कपड़ा धोने का साबुन, बच्चों के लिए फ्रूट, बिस्कुट इत्यादि।

जिला मुख्यालय से 175 किलोमीटर दूर माओवादी प्रभावित क्षेत्र के आधा दर्जन गांव के 400 परिवारों को सुखा राशन वितरण किया। ये ग्रामीण किसी देवी देवता से ये गुहार और प्रार्थना भी नही के सकते कि गांव तक प्रशासन पहुंचे, क्योंकि ये लोग देवी – देवताओं को जानते ही नही, ये तो प्रकृति को मानते है, पेड़ हिलाकर पूजा करते है। इन्हें इतना पता है कि कोई बीमारी है जिसके कारण सब बन्द है इस गांव में सड़क, बिजली कुछ भी नही है।

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