रायपुर: कांग्रेस और बीजेपी की सरकार में सुर्ख़ियों में रहे कारोबारी गुरुचरण सिंह होरा को लेकर बड़ी खबर सामने आ रही है। राजधानी रायपुर के सिविल लाइंस थाने में धोखाधड़ी के आरोपों से घिरे इंदरपाल से पूछताछ शुरू हो गई है। उन्हें स्थानीय पुलिस ने बीती रात अपने कब्जे में लिया था। हालांकि इंदरपाल की गिरफ्तारी की आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। जबकि केबल कारोबारी गुरुचरण सिंह होरा भूमिगत बताये जाते है। पुलिस सूत्रों के मुताबिक, धोखाधड़ी के शिकार हुए लोगों की शिकायत के बाद गुरुचरण सिंह होरा समेत अन्य को पूछताछ के लिए बुलाया गया था। इस दौरान इंदरपाल के पुलिस के हत्थे चढ़ने की खबर सामने आई है। यह भी बताया जा रहा है,कि अन्य आरोपियों के खिलाफ भी जल्द ही कानूनी कार्यवाही हो सकती है।

उधर, होरा पीड़ित संघ ने आरोपियों की धरपकड़ की मांग को लेकर रायपुर में धरना दिया। आजाद चौक और गांधी प्रतिमा के पास आज दिनभर धरना-आंदोलन करने वालों का जमावड़ा देखा गया। पीड़ितों ने शांतिपूर्ण विरोध के तहत सामूहिक रूप से हनुमान चालीसा का पाठ कर आरोपियों की तत्काल गिरफ्तारी की मांग की। होरा पीड़ित संघ के सत्येन्द्र सोनकर, देवनाथ देवांगन, सुरेश शर्मा, निथलेश देवांगन, ज्योति तिवारी, हेमराज अग्रवाल, पुष्पा साहू, भास्कर शर्मा, सुनील देवांगन, विवेक शर्मा, करूणा शर्मा, अक्षत देवांगन, प्रांजली शर्मा ने आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की मांग की है।

हरिवल्लभ अग्रवाल ने आरोप लगाया कि थाने में धोखाधड़ी और कूटरचना का केस दर्ज होने के बाद भी प्रभावशील आरोपी अपने भांजे का बोर्ड लगाकर औने-पौने में जमीन बेचने के लिए लोगों को गुमराह कर रहा है। पीड़ित परिवारों के मुताबिक, उनके द्वारा चंगोरा भाठा क्षेत्र में 500, 700 और 1000 वर्ग फीट के छोटे-छोटे प्लॉट अपने मकान बनाने के लिए खरीदे थे,लेकिन जब वे निर्माण कार्य शुरू करने पहुंचे तो गुरु चरण सिंह होरा और उसके गुंडों द्वारा पत्थरबाजी की गई। धरने में शामिल पीड़ित परिवारों का आरोप है, कि लगभग 19 वर्ष पहले मृत हो चुकी सब्जी विक्रेता चमारीन बाई सोनकर को कागज़ों में ‘जीवित’ दिखाया गया और उसके नाम पर फर्जी दस्तावेज तैयार कर चंगोरा भाठा की बहुमूल्य भूमि की रजिस्ट्री करा दी गई। पीड़ितों का दावा है कि इन फर्जी दस्तावेजों में होरा के चार भांजे—रंजीत, मंजीत, इंद्रपाल और हरपाल और जेल में बंद आईएएस अनिल टूटेजा के साले व अन्य रिश्तेदारों के नाम शामिल हैं। पीड़ित संघ का कहना है, कि भारी भ्रष्टाचार, फर्जीवाड़े और धमकी की शिकायतों के बावजूद अब तक गिरफ्तारी नहीं हुई है। इसी कारण उन्हें महात्मा गांधी की प्रतिमा के समक्ष धरना देने और धार्मिक पाठ के माध्यम से न्याय की गुहार लगाने को मजबूर होना पड़ा।

जानकारी के मुताबिक, इंदरपाल के पुलिस के कब्जे में आने के बाद से होरा का मोबाइल स्विच ऑफ आ रहा है। पुलिस सूत्र तस्दीक करते है, कि तमाम आरोपियों के खिलाफ वैधानिक कार्यवाही शुरू कर दी गई है, दोनों पक्षों से ज़मीन के दस्तावेज मांगे गए है। इधर, मोबाइल स्विच ऑफ होने से पूर्व कारोबारी होरा ने घटना क्रम को लेकर अपनी प्रतिक्रिया में कहा, कि उन्हें राजनैतिक मंशा से फंसाया जा रहा है, जबकि जमीनों के वैधानिक दस्तावेज उनके पास उपलब्ध है। उन्होंने न्यूज़ टुडे से चर्चा करते हुए कहा, कि मामले को लेकर अदालत के समक्ष वो अपना पक्ष रखेंगे।
ये है मामला –
जानकारी के मुताबिक, 1980 में मृत महिला चमारिन बाई सोनकर को 1999 में जीवित बताकर चंगोराभाठा रिंग रोड की भूमि खसरा नंबर 78 रकबा 1.627 हेक्टेयर की फर्जी रजिस्ट्री कराने के आरोप में 8 अक्टूबर 25 को गुरुचरण सिंह होरा एवं रिश्तेदारों समेत अन्य लोगों पर धारा 420, 467, 471, 506, 34 भादवि के तहत अपराध दर्ज किया गया था। इसमें 12 पीड़ित तथा अन्य शासकीय गवाहों ने अपना बयान दर्ज कराया था। पीड़ितों का आरोप है, कि FIR की जद में आये प्रभावशील आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं हो रही है।

एबीवीपी के राष्ट्रीय अधिवेशन और बैठक में सुर्ख़ियों में आए होरा ना केवल कांग्रेस राज में चर्चा में बने रहे, बल्कि सत्ताधारी दल बीजेपी में भी उनकी ऊंची पैठ बताई जाती है। पार्टी कार्यक्रमों में चंदा और होटल सुविधा की सहायता उपलध कराने के अलावा एबीवीपी को राष्ट्रवाद की शिक्षा देने में भी होरा पीछे नहीं रहे। उन्हें एबीवीपी ने आयोजन समिति का प्रमुख बना कर उनकी सेवाओं के लिए सम्मानित भी किया था। फ़िलहाल, होरा की गिरफ़्तारी की मांग को लेकर राजनैतिक गलियारा भी सरगर्म है, जबकि पुलिस मामले की विवेचना में जुटी है।
