छत्तीसगढ़ सीएम हाउस में गुरुचरण होरा की एंट्री बैन, 10 एकड़ सरकारी जमीन पर कब्जे को लेकर होरा की सफाई, कहा- वे अकेले ही नहीं बल्कि इस जमीन पर रेरा के मौजूदा चैयरमेन संजय शुक्ला समेत दर्जनभर से ज्यादा अफसरों और कारोबारियों का भी कब्ज़ा…..

0
332

रायपुर: रायपुर जिला प्रशासन ने सरकारी जमीनों को अतिक्रमण मुक्त करने की कार्यवाही शुरू कर दी है। बहुमुखी कारोबारी गुरुचरण सिंह होरा के 10 एकड़ कब्जे वाले इलाके को अतिक्रमण मुक्त करने के बाद साय का बुलडोजर साय-साय रफ़्तार भरने के लिए अगले आदेश की प्रतीक्षा कर रहा है। पूरे प्रदेश में सरकारी जमीनों की बंदरबाट, हेरफेर और आबंटन के तमाम मामलों पर सरकार की पैनी निगाह है। राज्य की बीजेपी सरकार ने शहरों-गांव कस्बों से लेकर जंगलों तक की जमीनों की पड़ताल के लिए तमाम कलेक्टरों को निर्देशित किया है।

इसके साथ ही पूर्ववर्ती कांग्रेस की अगुवाई वाली भूपे सरकार की जमीन आवंटन प्रक्रिया और उससे जुड़े तमाम आदेशों के अमल पर रोक लगा दी है। विष्णुदेव साय सरकार ने अब सरकारी जमीनों की पुनर्वापसी के लिए तमाम नगरीय निकायों में जमीनों के आबंटन और उसके मालिकाना हक़ से जुड़े दस्तावेजों की पड़ताल भी शुरू कर दी है। माना जा रहा है कि आने वाले दिनों हज़ारों एकड़ सरकारी भूमि को अतिक्रमण मुक्त कर उसे जनहित में विकसित किया जायेगा। इसकी शुरुआत रायपुर से की गई है।

बताते है कि शहर के कौशल्या माता विहार, कमल विहार में रायपुर विकास प्राधिकरण की लगभग 10 एकड़ बेशकीमती जमीन को कब्ज़ा मुक्त किया गया है। इस मामले को लेकर गुरुचरण सिंह होरा की प्रतिक्रिया सामने आई है।

DEMO PIC

रायपुर में सरकारी जमीनों की जांच पड़ताल के बीच जानकारी सामने आ रही है कि गुरुचरण सिंह होरा की सीएम हाउस एंट्री पर बैन लगा दिया गया है। इसके पूर्व होरा मुख्यमंत्री के साथ आखिरी और पहली बार उस समय नजर आये थे, जब मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय गुरु का आशीर्वाद लेने एक स्थानीय गुरूद्वारे पहुंचे थे। यहाँ सिख संगत समेत दर्जनों लोगों ने उनकी अगुवाई की थी। इस हुजूम में वो तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया में खूब वायरल हो रहा था, जिसमे होरा नजर आ रहे थे। बताते है कि गुरूद्वारे में आगमन के दौरान मुख्यमंत्री की अगुवाई करने वालों में होरा सबसे पहली की पंक्ति में थे। इस वाकये के बाद सामने आई प्रतिक्रिया में मुख्यमंत्री के सुरक्षा तंत्र को दो-चार होना पड़ा था।

सूत्रों के मुताबिक मुख्यमंत्री साय ना तो होरा को जानते -पहचानते थे, और ना ही इसके पूर्व कभी उनकी कोई मेल मुलाकात हुई थी। लोगों के हुजूम के बीच होरा का परिचय विभिन्न खेल संघों के प्रमुख पदाधिकारी के रूप में उन्हें कराया गया था। चंद पलो की इस मुलाकात की तस्वीरें और वीडियो के साथ- साथ लोगों की प्रतिक्रिया चर्चा का विषय बनने से बीजेपी के कई नेता हैरत में पड़ गए थे। सूत्र तस्दीक कर रहे है कि फ़िलहाल गुरुचरण सिंह होरा की सीएम हाउस एंट्री बैन कर दी गई है। यही नहीं मुख्यमंत्री को होरा से मिलाने वाले पार्टी के एक कार्यकर्ता की भी खबर ली गई है। मुख्यमंत्री के सुरक्षा घेरे को सतर्क रहने के निर्देश भी दिए गए है।

उधर कमल विहार इलाके में 10 एकड़ जमीन पर कब्जे को लेकर गुरुचरण सिंह होरा का बयान सामने आया है। न्यूज़ टुडे छत्तीसगढ़ से चर्चा करते हुए होरा ने इसे अपने खिलाफ साजिश करार दिया है। उन्होंने कहा कि सिर्फ वे अकेले ही नहीं बल्कि इस जमीन पर रेरा के मौजूदा चैयरमेन संजय शुक्ला समेत दर्जनभर से ज्यादा अफसरों और कारोबारियों की हिस्सेदारी है। उन्होंने दस्तावेजों की जांच पड़ताल और वैधानिक दस्तावेजों के उपलब्ध होने के बाद ही यह जमीन खरीदी थी। लेकिन बुलडोजर सिर्फ उनके कब्जे वाले स्थान पर चलाया गया है। होरा के मुताबिक आईएफएस संजय शुक्ला और उनके परिजनों के नाम भी जमीन का हिस्सा है।

उधर मौके पर पहुंची न्यूज़ टुडे छत्तीसगढ़ की टीम को स्थानीय लोगों ने बताया कि RDA की इस जमीन पर सालों से देवार डेरा था। इससे सालों पहले प्रशासन ने खाली कर सरकारी भूमि का बोर्ड भी लगाया था। लेकिन कांग्रेस शासन काल में इस जमीन पर कब्जे होते चले गए। स्थानीय लोगों ने तस्दीक की कि कौशल्या विहार-कमल विहार इलाके में कई बड़े भू-माफिया और प्रभावशील अधिकारियों ने सैकड़ों एकड़ जमीन पर कब्ज़ा कर मालिकाना हक़ अपने परिजनों के नाम प्राप्त कर लिया है।

इसके पूर्व न्यू स्वागत विहार इलाके में एक गैर-क़ानूनी कॉलोनी को मंजूरी देने के मामले में प्रमोटी आईएएस और रायपुर तत्कालीन SDM तारण प्रकाश सिन्हा और पूर्व मुख्यमंत्री सचिव विवेक ढांड का नाम सामने आया था। बताते है कि स्वर्गीय संजय बाजपाई के रियल एस्टेट कारोबार से जुड़े न्यू स्वागत विहार में दोनों ही अफसरों और उनके परिजनों के नाम दर्जनभर प्लाट दर्ज थे।

इस प्रोजेक्ट में भी दर्जनों एकड़ सरकारी जमीन पर बिल्डर का बेजा कब्ज़ा पाया गया था। हालांकि प्रभावशील अफसरों के प्रकरण से तत्कालीन प्रशासन ने मुँह मोड़ लिया था। इस प्रोजेक्ट में जमीनों की खरीद फरोख्त को लेकर सैकड़ों लोग सरकारी दफ्तरों और कोर्ट कचहरी का चक्कर काट रहे है। इस मामले में उच्च स्तरीय जांच आज भी लंबित बताई जाती है।

फ़िलहाल सरकारी और गैर-सरकारी जमीनों पर कब्जे और जोर जबरदस्ती मालिकाना हक़ प्राप्त करने की कई शिकायते गुरुचरण सिंह होरा के नाम दर्ज है। रायपुर-दुर्ग, भिलाई, कोरबा और अन्य इलाको में सिर्फ जमीन ही नहीं बल्कि होटल और केबल कारोबार से जुड़ी शिकायतों की पड़ताल शुरू कर दी गई है। लंबे अरसे बाद पुलिस ने होरा के खिलाफ प्राप्त सभी प्रकार की शिकायतों को संज्ञान में लिया है।

गुरुचरण सिंह होरा के कई ऐसे ऑडियो भी वायरल हुए है, जिससे पता पड़ता है कि वे पूर्व मुख्यमंत्री बघेल और उनकी टोली के संकटमोचक के रूप में सक्रीय थे। भूपे सरकार की रवानगी के बाद जेल की हवा खा रहे प्रमोटी आईएएस अनिल टुटेजा के हिडन कारोबार में होरा का नाम भी सुर्ख़ियों में रहा है। इस सिलसिले में आयकर और ED दोनों ही एजेंसियां उनसे पूछताछ कर चुकी है। यह देखना गौरतलब होगा कि आने वाले दिनों होरा, किस मोड़ पर खड़े नजर आते है।