
दिल्ली / अहमदाबाद / रायपुर : – गुजरात में 19 मंत्रियों के साथ मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल का नया मंत्री मंडल विस्तार सामने आया है। इस बार मात्र आधा दर्जन मंत्रियो को ही मंत्री मंडल में दोबारा जगह मिल पाई है, शेष सभी चेहरे नए शामिल हुए है, इनमे से ज्यादातर पहली बार विधायकी से मंत्री के पायदान पर पहुंचे है। इसके साथ ही मिशन – 2027 विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी मैदान में उतर चुकी है। जबकि छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश और राजस्थान में मिशन – 2028 की रणभेरी बजाने के लिए पार्टी आलाकमान अलर्ट मोड़ पर बताया जा रहा है। जानकार सूत्र तस्दीक कर रहे है कि पहली कड़ी में छत्तीसगढ़ और राजस्थान में पुरानी बोतल में नई शराब डालने का उपक्रम शुरू हो जाएगा। हालांकि छत्तीसगढ़ में दो नए चेहरों को मौंका देकर मंत्री मंडल विस्तार की औपचारिकताएँ हालियां पूर्ण कर दी गई है। लेकिन इस पर अभी विराम नहीं लगा है।

पार्टी सूत्र तस्दीक करते है कि छत्तीसगढ़ में गुजरात फार्मूला नए साल से पूर्व अस्तित्व में आ जायेगा। उनके मुताबिक इस राज्य में संगठन और सरकार के बीच समन्वय स्थापित करने के लिए कारगर पहल शुरू कर दी गई है। कहा जा रहा है कि विष्णुदेव साय के मुख्यमंत्री की कुर्सी में बैठने के बाद सत्ता और संगठन के बीच खाई तेजी से खींच चुकी है। मंत्री मंडल में शामिल नेता तो खुश है, लेकिन पार्टी विधायकों के भीतर ”सरकार” के कामकाज को लेकर असंतोष की भावना तेजी से फ़ैल रही है।

पूर्व मुख्यमंत्री और मौजूदा विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह के जन्मदिन के मौंके पर दर्जनों विधायक उनके आवास पर पहुंचे थे। पूर्व मुख्यमंत्री को बधाई देने वालो की फेहरिस्त में शामिल ज्यादातर विधायकों ने शुभकामनाओं के साथ उनके समक्ष अपना दुखड़ा भी रोया है। राजनैतिक गलियारों में चर्चा है कि इन विधायकों ने विकास के कार्यो में भी नौकरशाही के नकारात्मक रवैये को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री के साथ अपना दुःख – दर्द साझा किया है। बक़ौल संगठन के एक वरिष्ठ पदाधिकारी के मुताबिक प्रदेश के ताजा राजनैतिक हालात से केंद्रीय नेतृत्व को भी अवगत करा दिया गया है। उनके मुताबिक प्रदेश का आगामी राजनैतिक घटनाक्रम केवल प्रशासनिक नहीं, बल्कि राजनीतिक रूप से भी अगले चुनाव अर्थात मिशन – 2028 की तैयारी का हिस्सा साबित होगा। छत्तीसगढ़ पर करीब से नजर रख रहे इस वरिष्ठ पदाधिकारी ने एक चर्चा के दौरान उम्मीद जाहिर की कि राज्य में सत्ता और संगठन के बीच बन रहे संघर्ष के हालातों पर जल्द काबू पा लिया जायेगा। उन्होंने दबी जुबान ही सही, यह भी साफ़ किया कि प्रदेश में अचानक ऐसे हालात आखिर क्यों बने की कोषाध्यक्ष के पद पर एक जिले विशेष से जोर देकर वरिष्ठ कार्यकर्त्ता को रायपुर लाना पड़ा।

उधर, विधानसभा चुनाव की सरगर्मियां तेज होते ही गुजरात में राजनीतिक चहल – पहल शुरू हो गई है। बीजेपी मुख्यालय में मंत्रिमंडल विस्तार के बाद गुजरात प्रभारी पदाधिकारियों की बैठक जारी बताई जा रही। अहमदाबाद में संगठन के नेताओं ने नए मंत्रिमंडल विस्तार को सौराष्ट्र और पाटीदार समुदाय के लिए निर्णायक बताया। उन्होंने अहमदाबाद और कच्छ से ब्राह्मण समुदाय की सालों पुरानी मांग पूरी किये जाने पर ख़ुशी जाहिर की। इन नेताओं ने उम्मीद जाहिर की कि जातिगत समुदाय को ध्यान में रख नए चेहरों को मंत्रिमंडल में शामिल किये जाने से अच्छा संदेश गया है, खासकर कांग्रेस और आम आदमी पार्टी जिस तर्ज पर स्थानीय समुदायों को बरगला रहे थे, आज मुद्दा विहीन हो गए है। फ़िलहाल, गुजरात में राजनीतिक उठापटक के बाद ज्यादातर नेता दिवाली का त्यौहार मनाने के लिए अपने इलाकों का रुख करने लगे है। जबकि गुजरात मामलों के पार्टी प्रभारी और चुनिंदा नेता आगामी कार्यक्रमों को लेकर मुख्यमंत्री को टिप्स देने में भी व्यस्त नजर आये। मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष जगदीश विश्वकर्मा और प्रदेश भाजपा महासचिव संगठन रत्नाकर ने विभाग बटवारे को लेकर मंथन शुरू कर दिया है। बताते है कि इन नेताओं ने सामूहिक रूप से दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात कर गुजरात चुनाव के साथ – साथ मंत्रियों के विभागों की रूपरेखा खींच ली है। हालांकि बैठक के एजेंडे और विभागों के बटवारे पर अभी कोई आधिकारिक जानकारी शेयर नहीं की गई है, लेकिन अटकलें लगाई जा रही है कि मुख्यमंत्री कार्यालय से आज शाम ही मंत्रियों के विभागों का ऐलान कर दिया जाएगा।