छत्तीसगढ़ में सरकारी शराब दुकानें बंद लेकिन गैर सरकारी ठिकानों से चौगुनी कीमत पर मुहैया हो रही है शराब , आबकारी विभाग की छापेमारी का कोई नतीजा नहीं , ये क्या हो रहा है सरकार ? कारोबारियों-तस्करों को किसका संरक्षण ? ये पब्लिक है सब जानती है 

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रायपुर / छत्तीसगढ़ के तमाम जिलों में अवैध शराब भरपूर मात्रा में मुहैया कराई जा रही है | ग्राहकों को इसके लिए बस अपनी जेब ढीली करनी है , क्योकि यह शराब चौगुनी कीमत पर बेचीं जा रही है | शहरों से लेकर गांव तक लोगों को पता है कि किन किन ठिकानों में कौन इस अवैध कारोबार को अंजाम दे रहा है | लेकिन सिर्फ पुलिस और आबकारी अमला इस खबर से बेखबर है | आखिर क्यों ? हाल ही में आबकारी अमले ने रायपुर के लगभग आधा दर्जन ठिकानों में छापामार कार्रवाई की थी | लेकिन यह औपचारिकता ही साबित हुई , क्योकि उसके हाथ शराब की खाली बोतल तक नहीं लग पाई | 

छत्तीसगढ़ के सभी छोटे-बड़े शहरों में चौगुनी कीमत पर धड़ल्ले से शराब मुहैया हो रही है | रायपुर में शहर के बीचो-बीच से लेकर सभी प्रमुख मार्गों की कुछ होटलों और मयखानों में अवैध रूप से शराब बेचीं जा रही है | यहां अपनी कार और मोटर साईकिल से ग्राहक बे-हिचक शराब खरीद रहे है | शराब विक्रेता उन्हें बेफिक्री से मुँह मांगी कीमत पर शराब मुहैया करा रहे है | आखिर इन्हे किसका संरक्षण प्राप्त है , इसकी चर्चा जोरो पर है ? 

उधर राज्य में शराब की अवैध बिक्री और सप्लाई को लेकर कड़ी कार्रवाई के निर्देश PHQ और शासन स्तर पर दिए गए है | शुरुआती दौर में पुलिस ने अवैध शराब से लदे ट्रको को जब्त करना भी शुरू किया | लेकिन अब इस कार्रवाई को आखिर क्यों रोक दिया गया , यह भी चर्चा का विषय बना  हुआ है | सूत्र बता रहे है कि सिलतरा स्थित एक शराब निर्माण संयंत्र से रोजाना शराब की अवैध निकासी हो रही है | यह भी पुख्ता जानकारी है कि हरियाणा के अंबाला से निकली शराब की बड़ी खेप जयपुर के चांदवाजी थाने में पकड़ी गई | लगभग 38 लाख मूल्य की यह शराब एनवी डिस्लरी में निर्मित हुई थी |

इस पर सिर्फ छत्तीसगढ़ में बिक्री के लिए स्टिकर लगा हुआ था | जयपुर के चांदवाजी थाने में 923 पेटी शराब के दो ब्रांड जब्त किये गए है | यही दो ब्रांड छत्तीसगढ़ में भी लॉकडाउन के दौरान जमकर बेचे जा रहे है | यह भी पुख्ता जानकारी है कि शराब की यह अवैध खेप जिस ट्रक से परिवहन हो रही थी उस पर कोविड 19 का फर्जी पास लगा था | यह पास कलेक्टर अंबाला की फर्जी अनुमति वाले पत्र पर तैयार किया गया था | ट्रक पर सेनेटाइजर और मेडिसिन सप्लाई का हवाला देकर शराब की तस्करी की जा रही थी | 

इधर शराब के शौक़ीन अवैध शराब की मुँहमांगी कीमत से परेशान है , तो वही कारोबारी-तस्कर सरकार की छवि पर बट्टा लगा रहे है | यही नहीं जिस तरह से तस्करों ने लॉकडाउन के दौरान शराब बिक्री का तंत्र विकसित किया है , भविष्य में यह सरकारी तिजोरी पर जबरदस्त सेंधमारी करेगा | दूसरी ओर कई सामाजिक संगठन और घर परिवार सरकार से मांग कर रहे है कि पूर्ण शराबबंदी के अपने वादे को वो अब पूरा करे | उनके मुताबिक लॉकडाउन के दौरान शराब की लत से ना तो कोई मरीज अस्पताल में दाखिल हुआ है और ना ही किसी की मृत्यु की खबर है | ऐसे में सत्ताधारी कांग्रेस को अपने पार्टी घोषणापत्र पर गौर करना चाहिए |