रायपुर। छत्तीसगढ़ में शराब घोटाले का नशा अब भी चौंथे आसमान पर है। दागी अफसरों के हौसले इतने बुलंद हैं कि ना तो उन्हें ईडी और बीजेपी सरकार का खौफ है और ना ही जनता से कोई सरोकार.आबकारी विभाग में घोटालेबाजों का वर्चस्व अभी भी कायम रहने से शराब घोटाले की जांच प्रभावित हो रही है। छत्तीसगढ़ में नई सरकार के सत्ता संभालने के लगभग 2 महीने पूरे होते आ रहे हैं, इसके बावजूद आबकारी महकमे में पुरानी कांग्रेस सरकार का कामकाज और उपक्रम धड़ल्ले से जारी है। इसके तहत FL 10 A लाइसेंस जारी करने की कवायते जोरों पर है. बताते हैं कि सोम डिस्टलरी भोपाल के लिए इस लाइसेंस का नवीनीकरण भी कर दिया गया है।
कांग्रेस शासनकाल में भूपे के नेतृत्व में बड़े पैमाने पर शराब घोटाले को अंजाम दिया गया था। बताते हैं कि सालाना 20 हजार करोड़ की शराब की अफरातफरी तत्कालिन मुख्यमंत्री भूपे की सरपरस्ती में होती थी. हालाकि प्रवर्तन निदेशालय को लगभग 2 हजार करोड़ के ही पुख्ता सबूत हासिल हो पाए थे। लिहाजा इस मामले में चंद अफसर और ठेकेदार ही गिरफ्त में हैं. नए दौर में बीजेपी सरकार के सत्ता में आने के बाद शराब घोटाले में बच निकले आरोपियों को उनके असल ठिकाने भेजे जाने की कवायत भी शुरु हो गई है। इसके तहत FL 10 लाइसेंस जारी करने वालों की खोजबीन भी शुरू की गई है. बताया जाता है कि शराब घोटाले के बचे कुचे आरोपियों के अवशेष अभी भी आबकारी विभाग में अपनी जड़ें जमाए हुए हैं.यह तत्व नए लाइसेंस की आड़ में फिर शराब की अफरा तफरी करने के मामलों को नए सिरे से अंजाम देने में जुटे हैं।
जानकारी के मुताबिक दागी अफसरों ने शराब घोटाले की आधारशिला फिर तैयार करने के लिए FL 10 A लाइसेंस को फिर रिन्यू करना शुरू कर दिया है। ताजा लाइसेंस हाल ही में भोपाल की सोम डिस्टलरीज से जुड़े कर्ता धर्ताओं को पुनः सौंप दिया गया है. कांग्रेस शासनकाल में ईडी के रेड के पहले 3 कारोबारियों को यह लाइसेंस जारी किया गया था। इसका इस्तेमाल सिर्फ एक शख्स(होटल कारोबारी)के हाथो किया जा रहा था।
कांग्रेस सरकार के रवाना होते ही सोम डिस्टलरी के पक्ष में पुराने लाईसेंस का नवीनीकरण बड़े ही गोपनीय ढंग से कर दिए जाने की जानकारी सामने आई है। यह भी बताया जा रहा है कि ईडी के रेड के बाद सौरभ नामक लाइसेंसी ने अपना नवीनीकरण नही कराया था. आबकारी अमले ने इस लाइसेंस को किसी अन्य ठेकेदार को उपकृत करने में दिलचस्पी दिखाई है. इसके तार दिल्ली में शराब घोटाले में सुर्ख़ियों में आई “C”ग्राम नामक कंपनी से जुड़े बताए जा रहे हैं. सूत्र बता रहे हैं कि अब यह कंपनी भोपाल की सोम डिस्टलरी के साथ मिलकर छत्तीसगढ़ में अपना कारोबार नए सिरे से करेगी। इसकी रूपरेखा भी तैयार कर ली गई है। बताते हैं की इस गिरोह में वही सदस्य अभी भी शामिल है जिन्होंने अविभाजित मध्यप्रदेश के दौरान रायपुर के आबकारी विभाग में करोड़ों के फर्जी ड्राफ्ट कांड को अंजाम दिया था। इन्ही के द्वारा भूपे के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के राज में भी FL 10 A लाइसेंस का जमकर दुरूपयोग किया गया था. वही स्थिती मौजूदा सरकार में निर्मित किए जाने के आसार फिर बनने लगे हैं.
सूत्र बता रहे हैं कि मार्च महीने के खत्म होने के पहले ही एक बार फिर इस लाइसेंस को सोम डिस्टलरीज को सौंप दिए जाने से महकमे में सनसनी फ़ैल गई है. कई वरिष्ठ अफसर इससे नाराज बताए जा रहे हैं.यह तथ्य भी सामने आया है कि लाइसेंस के नवीनीकरण में वर्षों से जमे आधिकारियों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. उनके द्वारा जेल में बंद तत्कालीन आबकारी सचिव अरुणपति त्रिपाठी के निर्देशों का पालन अभी भी किया जा रहा है।
जानकारी के मुताबिक़ करोना संक्रमण काल के दौरान भोपाल में सोम डिसलरी के द्वारा GST घोटाला और सैनेटाइजर घोटाले को अंजाम दिया गया था.इस मामले में कंपनी प्रमुख जगदीश अरोड़ा और अजय अरोड़ा कई दिनों तक जेल में निरुद्ध भी रहे थे। बताते हैं कि भूपे ने इनके साथ सांठ-गांठ कर छत्तीसगढ़ में भी इस कंपनी को कारोबार के लिए विशेष तौर पर उपकृत किया था. इसकी परिणीति शराब घोटाले के रुप में सामने आई आबकारी विभाग के तत्कालीन सचिव अरुणपति त्रिपाठी और एक चर्चित होटल कारोबारी का नाम फिर सुर्खियों मे है। जानकारी है की यह गिरोह फिर सक्रिय हो गया है. सूत्र बताते हैं की दागी अफसर अभी भी अपनी कुर्सियों में जमे हुए हैं। इसके चलते पूर्व की कांग्रेस सरकार द्वारा जारी किया गया FL 10 A लाइसेंस का पुनः नवीनीकरण शुरू कर दिया गया है. दिलचस्प बात ये है कि कुछ जिम्मेदार अफसरों ने इस मामले को मौजूदा बीजेपी सरकार की नजरों से बचाए रखा था. लेकिन अब जानकारी उजागर हो रही है की लाइसेंस का खेल अभी भी जारी है।
जानकर बताते हैं की पूर्ववर्ती रमन सिंह सरकार ने इस तरह के लाइसेंस जारी करने पर पाबंदी लगाई हुई थी। बताते हैं की पूर्ववर्ती बीजेपी सरकार की आबकारी पॉलिसी को कांग्रेस सरकार ने जारी रखा था ।लेकिन, भूपे ने इसके कई प्रावधानों में तब्दीली कर दी थी. ताकि शराब घोटाले को अंजाम दिया जा सके। सूत्र बताते हैं कि मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार आबकारी घोटाले की उच्चस्तरीय जांच कराने और शेष घोटालेबाजों को उनके असल ठिकाने में भेजे जाने के लिए वचनबद्ध है, लिहाजा नए दागी अफसरों की शिनाख्ती का दौर शुरू हो गया है। ऐसे दागियों को ठिकाने लगाने के लिए मौजूदा बीजेपी सरकार ठोस कदम उठा रही है. माना जा रहा है कि पारदर्शिता पूर्ण नई शराब नीति अस्तित्व में आ सकती है।