सरकारी आवास पैतृक संपत्ति नहीं, एक निश्चित समय बाद खाली करना ही होगा, नेताओं और अफसरों के बाद आई कलाकारों की बारी, सरकारी घर खाली कराने में जुटी सरकार, आदेश देखकर दिग्गज कलाकारों में नाराजगी

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नई दिल्ली / दिल्ली में सरकारी बंगलों और घरों में सालों से कब्ज़ा जमाये विभिन्न पार्टियों के नेताओं और पूर्व नौकरशाहों से बंगले खाली कराने के बाद अब बारी कलाकारों की है | सरकार ने दो दर्जन से ज्यादा नामचीन कलाकारों को सरकारी आवास खाली करने के आदेश दिए है | सरकार के इस फैसले से कलाकारों के बीच खलबली मची है | पद्मश्री विजेता भारती शिवाजी समेत देश के दिग्गज कलाकारों ने उन्हें आवंटित सरकारी आवास खाली करने के आदेश पर नाराजगी जताई है। कलाकारों ने कहा, सरकार के इस फैसले से वह अपमानित और दुखी महसूस कर रहे हैं। वही दूसरी ओर अफसरों ने साफ़ कर दिया है कि सरकारी आवास कोई पैतृक संपत्ति नहीं है | यह सुविधा के बतौर कुछ निश्चित समय सीमा के लिए ही आवंटित किया जाता है | उम्र भर या पीढ़ी दर पीढ़ी रहने के लिए हर किसी को अपने निजी आवास की ओर रुख करना पड़ेगा | सरकार के दो टूक जवाबों से कलाकारों में बेचैनी है |

इस साल अक्तूबर में केंद्र सरकार ने पंडित बिरजू महाराज, पंडित भजन सोपोरी, जतिन दास, उस्ताद एफ वसीफुद्दीन डागर और रीता गांगुली समेत 27 कलाकारों को 31 दिसंबर तक दिल्ली में सरकारी आवास खाली करने का नोटिस दिया था। इस नोटिस के बाद कुछ कलाकारों ने अपने निजी आवास का रुख कर लिया है, तो कई ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है |

प्रसिद्ध मोहिनीअट्टम नर्तकी भारती शिवाजी ने न्यूज़ टुडे से कहा कि आदेश मिलने के बाद से वह अब तक सदमे की स्थिति में हैं। यह उत्पीड़न है। उन्होंने कहा कि मेरे पास अलग से कोई जमीन या संस्थान नहीं है। मैं अपनी सारी गतिविधियां घर से करती हूं। लेकिन लगता है कि सरकार को पारंपरिक कला का कोई मूल्य नहीं है। कम से कम सरकार को पारंपरिक कला का संरक्षण करने के लिए जीतोड़ मेहनत करने वाले कलाकारों को वैकल्पिक आवास मुहैया कराना चाहिए।

उधर कुचिपुड़ी नर्तकी वनश्री राव ने भी न्यूज़ टुडे से कहा कि यह आदेश ऐसा है, जैसे हम अवैध रूप से यहां रह रहे हैं। उन्होंने कहा कि आवास आवंटन के तीन साल बाद हमें 2014 तक विस्तार दिया गया। इसके बाद से हम सरकार के निर्देशानुसार इसका किराया दे रहे हैं। 2018 में सरकार ने बीते चार वर्ष के लिए आठ से नौ लाख रुपये पूर्वव्यापी किराया राशि भेजी, जिसका हम भुगतान कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हर महीने हम 60 हजार तो कभी एक लाख रुपये किराया देते हैं क्योंकि इतनी बड़ी राशि एक साथ देना संभव नहीं है। वनश्री ने कहा कि मैं अपमानित महसूस कर रही हूं। 88 साल की उम्र में मुझे घर खाली करने को कहा जा रहा है, जहां मैं बीते 20 साल से रह रही हूं। दिल्ली में निवासरत कई कलाकारों के स्वयं के निजी आवास और बंगले है | लेकिन ज्यादातर में अपने आवास औद्योगिक संस्थानों के गेस्ट हाउस और कारोबारियों को किराये पर दे रखे है |

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