रायपुर के मनी लॉन्ड्रिंग सेंटर MGM अस्पताल के निर्माण और अनुदान की सरकारी फाइलें गायब , जांच ठप्प , मंत्रालय और NRDA सवालों के घेरे में ,  आरोपी मुकेश गुप्ता ने सरकारी दस्तावेजों पर भी किया हाथ साफ , करोड़ों का दान आखिर किसकी तिजोरी में ? 

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रायपुर / छत्तीसगढ़ सरकार के सबसे महत्वपूर्ण सरकारी मुख्यालय महानदी-इंद्रावती भवन से सरकारी दस्तावेज गायब कराये जा सकते है | यदि कोई जालसाज और माफियां अपने गुनाहों को छुपाने के लिए महत्वपूर्ण सबूतों को नष्ट  कराना चाहता है तो ना केवल मंत्रालय बल्कि NRDA में भी ऐसे दागी मौजूद है जो लेन-देन कर सरकारी दस्तावेज ही नहीं बल्कि पूरी फाइल ही गायब कर देते है | ऐसे ही एक मामले का खुलासा हुआ है | यह मामला MGM अस्पताल के निर्माण और उसकी वैधानिक अनुमति के अलावा अस्पताल को मुहैया कराये जाने वाले तीन करोड़ के सरकारी अनुदान से जुड़ा है | सूत्र बता रहे है कि दोनों ही आपराधिक प्रकरणों में सीधा फायदा आरोपी एडीजी मुकेश गुप्ता का है , लिहाजा अंदेशा जाहिर किया जा रहा है कि अपने प्रभाव और पद का इस्तेमाल करते हुए उसने उन महत्वपूर्ण सरकारी दस्तावेजों को गायब करा दिया है जो मंत्रालय और NRDA की आलमारियों में कैद थे | 

रायपुर स्थित छत्तीसगढ़ विधान सभा मार्ग पर आम जनता के जोर जबरदस्ती दान से खड़ी की गई MGM अस्पताल की बिल्डिंग निर्माण की अनुमति संबंधी तमाम दस्तावेज गायब है | इसमें भवन निर्माण अनुज्ञप्ति , जमीन का रकबा और अन्य लेखा जोखा समेत नक्शा शामिल है | यह दस्तावेज कब और कैसे गायब किये गए इसे लेकर मंथन का दौर जारी है | बताया जाता है कि राज्य शासन के निर्देश पर MGM अस्पताल के निर्माण संबंधी दस्तावेजों की पड़ताल की जा रही है | लेकिन जांच अधिकारियों को मामले की फाइल ढूंढे नहीं मिल रही है | उन्हें एक मात्र दस्तावेज उपलब्ध हुआ है , जिससे प्रतीत होता है कि आरोपियों ने उसे जान बूझकर छोड़ा है | यह दस्तावेज MGM अस्पताल के सिर्फ निर्माण की अनुमति को दर्शाता है | लेकिन जमीन का रकबा , नक्शा , कमरे , भवन , और अन्य निर्माण संबंधी दस्तावेज इस फाइल से नदारद है | जांच अधिकारी यह पता करने में जुटे है कि MGM अस्पताल के निर्माण संबंधी औपचारिकता किस अधिकारी के कार्यकाल में संपन्न कराई गई थी | बताया जाता है कि वर्ष 2003-04 के शुरुआती दौर में विधानसभा के आसपास के इलाके को काडा के अंतर्गत रखा गया था | इसके उपरांत नई राजधानी के निर्माण और उसके विकास के लिए NRDA का गठन किया गया था | इस दौरान काडा से समस्त दस्तावेज NRDA को उपलब्ध कराये गए थे | इसमें MGM ट्रस्ट के भवन निर्माण सम्बन्धी दस्तावेज भी शामिल थे | लेकिन अब NRDA के पास ना तो इसकी फाइल और ना ही अन्य दस्तावेज | अब दस्तावेजों के आभाव में जांच ठप्प पड़ गई है |      

बताया जाता है कि निर्माण काल के दौरान MGM अस्पताल का रकबा काफी सीमित था | लेकिन जैसे जैसे आरोपी मुकेश गुप्ता ने अपने पद और प्रभाव का शिकंजा कसा वैसे वैसे रकबा और भवन के निर्माण में तेजी आई | MGM में दान पुण्य करने वाले सफ़ेदपोश यजमानों की संख्या भी लगातार बढ़ती चली गई | कई दानदाता ऐसे है , जिनका नाम कोयला ,शराब,कबाड़ ,स्मगलिंग और अन्य अपराधों में बतौर माफियां के रूप में लिया जाता है | यह भी बताया जाता है कि वर्दी का दुरूपयोग कर आरोपी एडीजी मुकेश गुप्ता ने अपने पिता के नाम से MGM ट्रस्ट का गठन कर स्थानीय दान दाताओं से कभी चेक के जरिये तो कभी भवन निर्माण सामग्री सेवा के रूप में इस ट्रस्ट के पक्ष में दान करवाई थी | 

MGM ट्रस्ट की गैर क़ानूनी गतिविधियों की जांच में जुटा सरकारी अमला उस समय हैरत में पड़ गया जब उसे MGM ट्रस्ट की अनुदान सम्बन्धी सरकारी फाइल भी गायब मिली | दरअसल पूर्व  मुख्यमंत्री रमन सिंह ने वर्ष 2016-17 में MGM ट्रस्ट को सरकारी तिजोरी से तीन करोड़ रूपये बतौर अनुदान सौंपे थे | इस अनुदान की प्रक्रिया को विधिपूर्ण तरीके से अमली जामा पहनाया जाता है | ऐसी संस्थाओं को सरकारी अनुदान से पूर्व क़ानूनी औपचारिकताएं पूर्ण करनी होती है | लेकिन MGM ट्रस्ट में सरकारी रकम के जमा होने और उसकी बंदरबाट के तमाम दस्तावेज भी गायब करा दिए गए है | बताया जाता है कि सरकारी अनुदान प्राप्त करने के लिए MGM अस्पताल प्रबंधन ने कई फर्जी दस्तावेजों का सहारा लिया था | रायपुर स्थित स्वास्थ्य संचालनालय के साथ MGM ट्रस्ट ने एक करार कर यह अनुदान हासिल किया था | जबकि तीन करोड़ के अनुदान को MGM ट्रस्ट के खाते में जमा करने से पूर्व स्वास्थ्य विभाग के अफसरों ने ना तो शासन से कोई अनुमति ली और ना ही इस मामले में कोई क़ानूनी खानापूर्ति की प्रक्रिया अपनाई गई | यह भी बताया जाता है कि तीन करोड़ की इस सरकारी रकम से किन मरीजों का इलाज किया गया , यह भी जांच का विषय है | सूत्र बता रहे है कि MGM ट्रस्ट में आँखों के इलाज के अस्पताल के संचालन की आड़ में सुनियोजित रूप से मनी लॉन्ड्रिंग के गोरखधंधे को अंजाम दिया जाता था | बताया जाता है कि बगैर औपचारिकता पूर्ण किये सरकरी रकम के अनुदान को लेकर स्वास्थ्य विभाग के तत्कालीन अफसरों से भी पूछताछ शुरू हो गई है | इस तीन करोड़ की सरकारी रकम की वापसी के लिए MGM ट्रस्ट को नोटिस जारी करने का भी फैसला लिया गया है | फ़िलहाल छत्तीसगढ़ शासन की विभिन्न एजेंसियां MGM ट्रस्ट की असलियत उजागर करने में जुटी है |