नईदिल्ली वेब डेस्क / ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस के डायरेक्टर डॉक्टर रणदीप गुलेरिया ने कोरोना को लेकर लोगों के बीच फैली भ्रांतियों को दूर किया है | उन्होंने कहा कि इससे डरना नहीं बल्कि सतर्कता से मुकाबला करना है | उन्होंने कहा कि अगले दो-तीन महीने में कोरोना की दवा आने की संभावना है | उन्होंने कहा कि वैक्सीन साल के अंत तक या अगले साल की शुरुआत में आ सकती है | उधर अमेरिका ने भी कोरोना वैक्सीन तैयार करने के दावों की पुष्टि की है | उसने तो यहाँ तक कहा है कि अमेरिकी कंपनियों ने शोधकर्ताओं के निर्देश पर करीब 20 लाख डोज की पहली खेप की तैयारी शुरू कर दी है | इस खबर के साथ ही भारत से लेकर अमेरिका तक के कई लोगों ने राहत की साँस ली है | ये लोग कोरोना को लेकर इतने तनाव में देखे गए थे कि उन्हें इसका संक्रमण थमते नजर नहीं आ रहा था |
उधर कोरोना वायरस के पॉजिटिव मामलों के आंकड़ों की लिस्ट में भारत छठे नंबर पर आ गया है. देश में बढ़ते संक्रमण के मामलो पर डॉक्टर गुलेरिया ने कहा कि हमारी ये कोशिश हो कि कोरोना के बढ़ने का रेट कम हो. वो इतना ज्यादा न हो कि हेल्थ केयर फैसिलिटी में मरीज देखने की क्षमता न हो | उनके मुताबिक ऐसी स्थिति नहीं बननी चाहिए कि अस्पतालों में मरीजों को एडमिशन न मिल पाए | उन्होंने कहा कि इसी आंकड़े को अगर हम मोर्टेलिटी मृत्यु दर के साथ देखें तो और देशों के मुकाबले भारत में कम मौत हुई हैं | ये बहुत पॉजिटिव चीज है | डॉक्टर गुलेरिया ने कहा कि आंकड़े तो कुछ हद तक बढ़ेंगे क्योंकि हमारी आबादी ज्यादा है | हालांकि, परसेंटेज के हिसाब से हमारे यहां केस कम हैं |
डॉक्टर गुलेरिया लॉकडाउन के अनलॉक होने को लेकर कहा कि कोरोना वायरस से लड़ने की जिम्मेदारी अब हर एक शख्स की है. धीरे-धीरे चीजें खुल रही हैं लेकिन मास्क लगाना और सोशल डिस्टेंसिंग के पालन में कमी आ रही है | लोग ये समझ रहे है कि अगर लॉकडाउन हट गया तो कोरोना वायरस भी खत्म हो गया | ये बात सही नहीं है | लॉकडाउन उठ रहा है लेकिन कोरोना अभी भी है | उन्होंने लोगों को आगाह किया कि जैसे-जैसे लॉकडाउन हट रहा है वैसे-वैसे हमारी जिम्मेदारियां भी बढ़ रही हैं |
उन्होंने जोर देते हुए कहा कि हमें मौतों की संख्या पर अधिक फोकस करना है | उनके मुताबिक डेथ रेट अगर हम रोकने में कामयाब होते हैं तो ये बड़ी सफलता होगी | उन्होंने कहा की अगर देश में डेथ रेट कम हो और संक्रमितों की संख्या अधिक भी हो तो ये चिंता की बात नहीं है | डॉ गुलेरिया ने उम्मीद जतायी है कि अगले दो से तीन महीने में कोरोना वायरस की दवा आ जाएगी | उन्होंने कहा, ”अगर इस साल के आखिर तक नहीं बनी, तो अगले साल की शुरुआत में तो जरूर कोरोना की दवा तैयार हो जाएगी |’
एक महत्वपूर्ण सवाल का जवाब देते हुए डॉ रणदीप ने कहा कि, भारत की आबाद काफी ज्यादा है और ऐसे में संख्या और बढ़ेगी लेकिन यहां मरने वालों की संख्या बेहद कम है जिससे हमें घबराना नहीं है | सिर्फ हमें इसको कंट्रोल में ही रखना होगा. उन्होंने N-2 , थ्री लेयर के अलावा तरह-तरह के मास्क को लेकर कहा कि आम जानता कपड़े का मास्क पहन सकती है. क्योंकि उससे इंफेक्शन रूकेगा. ऐसे मास्क से बच सकते हैं | लेकिन अस्पताल में हमे सर्जिकल मास्क की जरूरत पड़ती है लेकिन आम लोग किसी भी तरह का मास्क पहन सकते हैं |
हवा में वायरस को फैलाव को लेकर रणदीप गुलेरिया ने कहा कि, कोरोना वायरस हवा में 10 से 15 मिनट से अधिक देर नहीं रह सकता है | यह वायरस कुछ देर हवा में रहता है और फिर सरफेस में बैठ जाता है. इसलिए बार-बार कहा जाता है सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने के लिए. अगर कोरोना वायरस एक बार हवा से सरफेस में बैठ जाता है तो फिर छूने से भी फैलने का खतरा बन जाता है |
उन्होंने बताया कि बिना लक्षण वाले रोगी को अस्पताल में भर्ती होना जरूरी नहीं है | उनको घर में सही तरीके से अलग-थलग रहना चाहिए | उन्होंने कहा कि 99 प्रतिशत मामलों में बिना लक्षण वाले रोगी ऐसे ही ठीक हो जाते हैं | ऐसे लोग दूसरों को इन्फेक्शन दे सकते हैं | ये गंभीर समस्या है. तो पॉजिटिव टेस्ट होती ही इन्हें आइसोलेट हो जाना चाहिए.
हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन को लेकर डॉ गुलेरिया ने कहा कि, ये सेफ मेडिसिन है. इसके साइड इफेक्ट ज्यादा नहीं हैं | वहीं इस दवा से कोरोना वायरस के लक्षण कम हो सकते हैं | उन्होंने बताया कि इस दवा से हृदय पर कोई गंभीर विपरीत प्रभाव नहीं देखा गया इसलिए यह सुखद समाचार है कि डब्ल्यूएचओ ने अपने आंकड़ों की समीक्षा करने के बाद इसका क्लिनिकल ट्रायल पुनः शुरू कर दिया है |