नई दिल्ली / कोरोना काल में केंद्र सरकार अपने उन कर्मियों को तोहफा देने के तैयारी में जुटी है जो अस्थाई कर्मियों के रूप में कार्यरत है | लंबे समय से काम कर रहे ऐसे लाखों अस्थायी कर्मियों की नौकरी अब पक्की करने की तैयारी हो रही है। खबरों के मुताबिक जल्द ही केंद्र सरकार इस मामले में फैसला ले सकती है | कर्मियों की नौकरी स्थायी होने के बाद वे सरकार की कई योजनाओं से लाभांवित हो सकेंगे | हालांकि इसके लिए उन्हें कुछ शर्तें पूरी करनी होंगी। सूत्रों द्वारा बताया जा रहा है कि कर्मियों की योग्यता को लेकर जो ब्यौरा तैयार किया जा रहा है उसमे मुख्य रूप से शर्त रखी जा रही है कि संबंधित कर्मी को स्वीकृत पद पर अस्थायी रूप से काम करते हुए कम से कम दस साल हो गए हों। यही नहीं वह सीधी भर्ती प्रक्रिया के जरिए विभाग में आया हो और उसका अदालत में कोई प्रकरण नहीं होना चाहिए।
नौकरी पक्की करने से पूर्व कर्मी को लिखित परीक्षा या साक्षात्कार देना होगा | इस बारे में जो भी शर्ते विभाग तय करेगा, वह पास करने के बाद उस कर्मी को स्थायी कर दिया जाएगा। मंत्रालय या विभाग को सामान्य नियमों के तहत ये नियुक्ति प्रक्रिया छह माह में पूरी करनी पड़ती है, लेकिन यहां कहा गया है कि जब तक ऐसे सभी योग्य कर्मी स्थायी होने की प्रक्रिया में नहीं आ जाते, तब तक इसे जारी रखा जाएगा।
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बताया जाता है कि डीओपीटी ने इस बारे में कुछ आदेश अपने सभी मंत्रालयों और विभागों के लिए जारी किए हैं। अब ये आदेश इसलिए जारी किए गए हैं, क्योंकि अनेक विभागों द्वारा इस संबंध में डीओपीटी को लगातार सवाल भेजे जा रहे थे। इनमें पूछा गया था कि अस्थाई कर्मी कई सालों से अस्थायी पद पर कार्यरत है, उन्हें स्थायी करना है या नहीं। अफसरों ने इस बारे में मार्गदर्शन की मांग करते हुए कहा था कि ऐसे कर्मियों को अगर स्थायी करना है, तो उसकी प्रक्रिया क्या होगी?
डीओपीटी ने स्पष्ट कर दिया है कि ऐसे मामलों में सुप्रीम कोर्ट द्वारा सेक्रेटरी स्टेट ऑफ कर्नाटक बनाम उमा देवी केस के तहत काम किया जाए। इसमें कहा गया है कि कोई भी नियुक्ति संविधान के दायरे में हो। इस फैसले के पैरा 44 में लिखा है कि केंद्र, राज्य सरकार या अन्य कोई संस्थान ‘एक बारगी उपाय’ के तहत इसका इस्तेमाल कर सकता है।
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जिस कर्मी की नौकरी पक्की किया जाना है, वह संबंधित पोस्ट के लिए जरुरी योग्यताएं को पूरी करता हो। अनुभव के मामले में वह कर्मी दस साल तक काम कर चुका हो | यही नहीं ऐसे कर्मी का केस किसी अदालत या ट्रिब्यूनल में न हो। निर्देशों में साफ़ कर दिया गया है कि ऐसे कर्मी से मतलब है कि उसकी नियुक्ति अदालती आदेशों के तहत नहीं होनी चाहिए। ऐसे सभी अस्थायी कर्मी उमा देवी केस के आधार नियमित सेवा में आ सकते हैं। फ़िलहाल केंद्र सरकार ऐसे कर्मियो का ब्यौरा जुटाने में लगी है |