अच्छी खबर : टॉयलेट की डिजाइन करने पर 26 लाख का ईनाम, नासा ने 17 अगस्त तक डिजाइन भेजने के लिए कहा, प्रथम, द्वितीय और तृतीय ईनाम, बस पूरा करना होगा ये चैलेंज, भारतीयों से नासा को बड़ी उम्मीदे

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दिल्ली वेब डेस्क / अमेरिकी अंतरिक्ष एंजेंसी नासा ने भारतीयों से बड़ी उम्मीदे लगा रखी है | उसने दुनिया के बेहतरीन डिजाइनरों को एक चैलेंज देते हुए कहा है कि जो इसे पूरा करेगा उसे 26.08 लाख रुपए का ईनाम मिलेगा |

दरअसल अंतरिक्ष और चांद पर जाने वाले एस्ट्रोनॉट्स के लिए प्रतियोगियों को टॉयलेट की डिजाइन करना होगा | नासा के इस चैलेंज में टॉयलेट ऐसा होना चाहिए जो माइक्रोग्रैविटी और लूनर ग्रैविटी में काम करने लायक हो |

इस टॉयलेट की जरूरत इसलिए है ताकि अंतरिक्ष यात्री ज्यादा समय तक स्पेस या चांद पर बिता सकें | माना जा रहा है कि नासा की योजना चांद पर एक बेस कैंप बनाने की है जहां अंतरिक्ष यात्री लंबे समय तक रह सकें | नासा के मुताबिक इस चैलेंज को लूनर लू नाम दिया गया है | नासा ने अपने बयान में कहा है कि स्पेस टॉयलेट्स पहले से मौजूद हैं | उपयोग भी हो रहा है | लेकिन अब अत्याधुनिक टॉयलेट की जरूरत है |

इस दौरान जो तीन डिजाइन बेस्ट होंगे उन्हें तीन श्रेणियों में यह रकम बांटी जाएगी | जिसकी डिजाइन बेस्ट होगी उसे 15 लाख रुपए, दूसरे को 7.60 लाख और तीसरे 3.80 लाख रुपए का पुरस्कार मिलेगा | नासा के मुताबिक ये टॉयलेट ऐसा हो जो हल्का हो और बेहतरीन रिसाइकिलिंग भी कर सके |

डिजाइन भेजने की अंतिम तारीख 17 अगस्त है | इसका रिजल्ट अक्टूबर में जारी किया जाएगा | उनके मुताबिक स्पेस पर एस्ट्रोनॉट्स को टॉयलेट जाने के लिए अत्याधुनिक टॉयलेट की जरूरत पड़ेगी |

दरअसल स्पेस में वैज्ञानिक बाथरूम संबंधी समस्याओं से जूझते है | उन्हें इसके समाधान की जरूरत है | 1975 से लेकर अब तक यह अंतररिक्ष में गंभीर समस्या बनी हुई है |

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बताया जाता है कि 45 साल पहले जब अपोलो मिशन खत्म हुआ तब इंजीनियरों ने मलमूत्र विसर्जन को अंतरिक्ष यात्रा के लिए एक गंभीर चुनौती बताया था | नासा ने 2024 में अपने अर्टेमिस मून मिशन के जरिए पहली बार किसी महिला वैज्ञानिकों को चांद पर भेजने की योजना तैयार की है | ऐसे में वहां एक यूनीसेक्स टॉयलेट की जरूरत पड़ेगी |