नई दिल्ली / कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने एक बार फिर कांग्रेस को कड़ा संदेश देते हुए अपने रुख पर कायम हैं। सोनिया गांधी को लिखे गए असहमति पत्र पर हस्ताक्षर करने के कारण पार्टी में अलग-थलग किए जाने के चार दिन बाद उन्होंने पार्टी नेतृत्व को एक और संदेश दिया है। समाचार एजेंसी एएनआई से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि जो अधिकारी या राज्य इकाई के अध्यक्ष,जिला अध्यक्ष हमारे प्रस्ताव का विरोध कर रहे हैं उन्हें मालूम है कि चुनाव होने पर वे कहीं नहीं होंगे। राज्यसभा सदस्य आजाद ने कहा कि जो कोई भी वास्तव में कांग्रेस का हित चाहता है, वह पत्र का स्वागत करेगा।
उन्होंने कहा कि यदि निर्वाचित लोग कांग्रेस का नेतृत्व करेंगे तो पार्टी हित में होगा, अन्यथा कांग्रेस अगले 50 वर्षों तक विपक्ष में बैठी रहेगी। आजाद ने पत्र में सुझाव दिया कि राज्य कांग्रेस प्रमुखों, जिला अध्यक्षों, ब्लॉक अध्यक्षों और कांग्रेस कार्य समिति का चुनाव किया जाना चाहिए। चुनाव का यह लाभ होता है कि जब आप चुनाव लड़ते हैं, तो कम से कम आपकी पार्टी आपके साथ खड़ी होती है। उन्होंने तर्क दिया कि जब आप चुनाव लड़ते हैं तो कम से कम 51 फीसद आपके साथ होते हैं और आप पार्टी के भीतर केवल 2 से 3 लोगों के खिलाफ चुनाव लड़ते हैं। एक व्यक्ति जिसे 51 फीसद वोट मिलेंगे, अन्य को 10 या 15 फीसद वोट मिलेंगे। जो व्यक्ति जीतता है और अध्यक्ष पद का प्रभार ग्रहण करता है, इसका मतलब है कि 51 फीसद लोग उसके साथ हैं। चुनाव का लाभ है कि जब आप चुनाव लड़ते हैं, तो कम से कम आपकी पार्टी में 51 फीसद लोग आपके पीछे रहते है। अभी, अध्यक्ष बनने वाले व्यक्ति को एक प्रतिशत समर्थन भी नहीं मिल सकता है। यदि सीडब्ल्यूसी सदस्य चुने जाते हैं, तो उन्हें हटाया नहीं जा सकता है। इसमें समस्या कहां है?
आजाद का बयान कांग्रेस वर्किंग कमेटी (CWC) की मीटिंग के 3 दिन बाद आया है। सीडब्ल्यूसी की सोमवार को हुई मीटिंग में रिजॉल्यूशन पास कर सोनिया गांधी से अपील की गई कि जब तक ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी (AICC) का सेशन बुलाने की स्थितियां नहीं बनें, तब तक आप ही अंतरिम अध्यक्ष बनी रहें। आजाद उन 23 नेताओं में शामिल हैं, जिन्होंने सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखकर पार्टी में ऊपर से नीचे तक बदलाव करने की मांग की थी। सीडब्ल्यूसी की मीटिंग में यह बात सामने आई कि चिट्ठी लिखने वाले नेताओं पर राहुल गांधी ने भाजपा से मिलीभगत के आरोप लगा दिए। इस पर आजाद ने कहा था कि आरोप साबित हुए तो पार्टी छोड़ देंगे। हालांकि, बाद में सफाई दी कि राहुल ने मिलीभगत जैसी कोई बात नहीं कही थी।