दिल्ली / केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण और वित्त राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर ने राष्ट्रपति भवन पहुंचकर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से बजट की औपचारिक मंजूरी ली | सुबह 11 बजे वित्त मंत्री का संसद में बजट भाषण शुरू होगा | इससे पहले सुबह 10:15 बजे कैबिनेट की बैठक होगी, जिसमें बजट को आधिकारिक मंजूरी जाएगी | इस बजट को लेकर लोगों को काफी उम्मीदें हैं | वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण भी कह चुकी हैं कि इस बार का बजट पहले के सभी बजटों से अलग होगा |
आम बजट 2021-22 पेश करेंगी, तो कोरोना महामारी से संक्रमित देश की अर्थव्यवस्था को उनसे सामान्य ‘बहीखाते’ के बजाय खास ‘आर्थिक वैक्सीन’ की उम्मीद रहेगी। हालांकि जनता को राहत मिलेगी या फिर नए करो का सामना करना पड़ेगा | यहाँ तो पिटारा खुलने के बाद ही पता पड़ेगा | उम्मीद की जा रही है कि वित्तमंत्री महामारी से प्रभावित आम आदमी को राहत देने के साथ-साथ देश को आर्थिक रिकवरी की राह पर लौटाने के अपने वादे के बीच संतुलन बैठाने का प्रयास करेंगी। इसके लिए आम बजट में स्वास्थ्य सेवाओं और पड़ोसी देशों के साथ चल रहे तनाव के बीच ढांचागत निर्माण व सुरक्षा पर ज्यादा खर्च बढ़ाए जाने पर जोर दिया जा सकता है |
मोदी सरकार अपना नौवां आम बजट देश के कोविड-19 महामारी के संकट से उबरने के दौरान पेश कर रही है। बजट में रोजगार सृजन व ग्रामीण विकास पर खर्च बढ़ाने, विकास योजनाओं के लिए खजाना खोलने, छोटे करदाताओं के हाथ में ज्यादा पैसा उपलब्ध कराने और विदेशी निवेश आकर्षित करने के लिए नियमों में ढील दिए जाने की उम्मीद है।
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बजट में अर्थव्यवस्था की सबसे निचले पायदान पर मौजूद परिवारों की आय बढ़ाने के उपायों की उम्मीद है। साथ ही कोरोना के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में वापस लौटे प्रवासी मजदूरों को आर्थिक सुरक्षा देने के लिए सरकार मनरेगा के मद में आवंटन भी बढ़ा सकती है। महामारी का असर कम होने के संकेत हैं और टीकाकरण कार्यक्रम में क्रमिक प्रगति से बेहतर भविष्य की आशा बढ़ी है। ऐसे समय पर सतत आर्थिक सुधार के लिए बेहतर नीति की जरूरत है, जो सरकार आगामी बजट में पूरा कर सकती है।
जानकारों की दलील है कि वित्तमंत्री को बजट में इन पांच समस्याओ को सुलझाना होगा | इसमें कोरोना महामारी से दिखाई दीं स्वास्थ्य ढांचे की कमियां, बाजार में मांग को दोबारा बढ़ाने के उपायों की जरूरत, अहम आर्थिक कड़ी यानी बैंकिंग सेक्टर में जरूरी सुधार, राजकोष में आ रही गिरावट से बाहर निकलने पर जोर, 15वें वित्त आयोग की रिपोर्ट को लागू करने का तरीका, अर्थव्यवस्था पिछले बजट के समय 224 लाख करोड़ की थी लेकिन अब तक उसका आकार सिमटकर 194 लाख करोड़ पर आ चुका है | ऐसे में जनता को राहत मिलेगी या फिर करो का शिकंजा, यह तो बजट आने पर पता पड़ेगा |