गणतंत्र दिवस पर गढ़बो छत्तीसगढ़ , मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की तीन बड़ी घोषणाएं , राज्य की बुनियादी जरूरतों पर आधारित , स्कूलों में स्थानीय भाषा ,  छत्तीसगढ़ी, गोंडी, हल्बी, भतरी, सरगुजिया, कोरवा, पांडो, कुडुख, कमारी में भी होगी पढ़ाई की व्यवस्था  

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जगदलपुर / मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपने मुख्यमंत्रित्व काल के दूसरे गणतंत्र दिवस समारोह को गढ़बो छत्तीसगढ़ को समर्पित कर दिया है दिया है | उन्होंने राज्य की जतना को आश्वस्त किया कि  उनकी सरकार राज्य की बेहतरी के लिए आगे बढ़ रही है | बघेल ने गणतंत्र दिवस समारोह के मौके पर अपनी भावी  योजनाओं का खुलासा किया | उन्होंने कहा कि हमने राज्य के संसाधनों का इस्तेमाल राज्य की जनता की बेहतरी के लिए करने का जो संकल्प लिया है, उससे हमारी प्राथमिकताएं तय हो गई हैं। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि हमने डीएमएफ के सदुपयोग के लिए नियमों में जो संशोधन किए उसके परिणाम मिलने लगे हैं। स्कूल-कॉलेजों में शिक्षक, अस्पतालों में डॉक्टर, बच्चों को फीस में छूट, कोचिंग और आवासीय प्रशिक्षण की सुविधा, स्वास्थ्य, पेयजल जैसी अनेक सुविधाओं से खनन प्रभावित अंचलों में नवजीवन का संचार हो रहा है। आदिवासी अंचलों में युवाओं को उनकी योग्यता के अनुसार नौकरी तथा अन्य रोजगार के अवसर मिले हैं। दंतेवाड़ा जिले में हाट बाजार क्लीनिक, ‘मेहरार-चो-मान’, कबीरधाम जिले में ‘शाला संगवारी’ दुर्ग जिले में ‘हेल्थ कूरियर वालंटियर (रनर्स) बस्तर में सुपोषण के नए आयामों से जनहित के जमीनी कार्यों को नई सोच नई दिशा, नई गति मिली है। किसानों, ग्रामीणों, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, महिलाओं, युवाओं सहित हर तबके को बेहतर अवसर और भागीदारी देने के लिए हमने विशिष्ट योजनाएं बनाई, जिसके कारण प्रदेश में नये उत्साह का संचार हुआ है।

दंतेवाड़ा से प्रारंभ हुआ गरीबी उन्मूलन के विशेष अभियान

बघेल ने कहा कि समयबद्ध परिणाममूलक योजनाएं और कार्यक्रम बनाए बिना, हम अपने लक्ष्यों को हासिल नहीं कर सकते, इसलिए हमने एक व्यापक कार्य योजना के साथ प्रदेश के सबसे पिछड़े अंचल को सबसे पहले गरीबी और उसके प्रभावों से उबारने का संकल्प लिया है। भारतीय रिजर्व बैंक एवं वर्ल्ड बैंक के अनुमानों के अनुसार बस्तर के जिलों में बी.पी.एल. परिवारों का प्रतिशत 50 से 60 के बीच है, जबकि देश में बी.पी.एल. परिवारों का औसत लगभग 22 प्रतिशत है। विगत दशकों में देश में गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले परिवारों की संख्या में कमी हुई है, लेकिन आदिवासी क्षेत्रों की मूलभूत समस्याओं का निदान नहीं हुआ। दंतेवाड़ा जिले में लगभग 57 प्रतिशत परिवार गरीबी रेखा के नीचे हैं, जो आर्थिक-सामाजिक सूचकांक में भी सबसे नीचे हैं। हमने यह लक्ष्य निर्धारित किया है कि आगामी चार सालों में दंतेवाड़ा जिले में गरीबी उन्मूलन हेतु विशेष अभियान चलाकर वहां रहने वाले बी.पी.एल. परिवारों की संख्या राष्ट्रीय औसत से कम अर्थात 22 प्रतिशत से कम की जाए। आगामी वर्ष इस कार्ययोजना का विस्तार दो अन्य जिलों में किया जाएगा, जहां बी.पी.एल. परिवारों का प्रतिशत सर्वाधिक है। इसके साथ ही हमने युद्ध स्तर पर अनेक राज्य स्तरीय योजनाएं, कार्यक्रम और अभियान शुरू किए हैं, जिसकी प्रगति उत्साहजनक है।

निर्दोष आदिवासी परिवारों को मिलेगी आपराधिक प्रकरणों की त्रासदी से मुक्ति

मुख्यमंत्री ने कहा कि बस्तर के निर्दोष आदिवासी परिवारों को आपराधिक प्रकरणों की त्रासदी से मुक्त कराने के लिए गठित जस्टिस ए.के. पटनायक  समिति की सिफारिश के आधार पर पहले चरण में 313 लोगों की मुक्ति का मार्ग प्रशस्त हुआ है, जो उनके लिए बहुत बड़ी आर्थिक और सामाजिक राहत भी है। आगे भी यह समिति सैकड़ों लोगों को  न्याय दिलाएगी। उन्होंने कहा कि ‘अनुसूचित जनजाति और अन्य परंपरागत वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम-2006’ के तहत निरस्त दावों की समीक्षा से हजारों परिवारों में नई उम्मीद जागी है। वहीं सामुदायिक वन अधिकारों के तहत स्थानीय लोगों को न्याय दिलाने की शुरूआत भी हमने की है। कोण्डागांव और धमतरी जिले के जबर्रा में हजारों एकड़ जमीन के सामुदायिक अधिकार पत्र देने से संबंधित गांवों में विकास की नई क्रांति हो रही है। इतना ही नहीं सर्वे तक को मोहताज रखे गये, अबुझमाड़ क्षेत्र के निवासियों को वन अधिकार पत्र देने की विशेष पहल की जा रही है। हमने तेंदूपत्ता संग्रहण पारिश्रमिक दर 2500 रू. प्रति मानक बोरा से बढ़ाकर 4000 हजार रू. प्रति मानक बोरा की है, जिसके कारण विगत वर्ष 15 लाख से अधिक परिवारों को 602 करोड़ रूपए का भुगतान हुआ। अब न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदी जाने वाली लघु वनोपजों की संख्या 8 से बढ़ाकर 22 कर दी है। एक हजार से अधिक हाट-बाजारों पर संग्रहण केंद्र तथा वन-धन-विकास केंद्र की स्थापना की गई है। 50 हजार आदिवासी महिलाओं को इन केन्द्रों से जोड़ा गया है। नई औद्योगिक नीति में कृषि व उद्यानिकी को भी स्थान दिया गया है। इसके अलावा स्थानीय संसाधनों से स्थानीय विकास और स्थानीय लोगों को रोजगार देने के लिए आकर्षक प्रावधान किए गए हैं।

नई पीढ़ी को शिक्षा और रोजगार से जोड़ने की पहल

मुख्यमंत्री ने कहा कि नई पीढ़ी को अच्छी शिक्षा से लेकर रोजगार दिलाने तक का का काम सामूहिक जिम्मेदारी का है। अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति के प्री-मैट्रिक छात्रावास, आवासीय विद्यालयों आश्रमों में निवासरत विद्यार्थियों की शिष्यवृत्ति बढ़ाकर 1000 रूपए प्रतिमाह करना, मैट्रिकोत्तर छात्रावासों के विद्यार्थियों की भोजन सहायता की राशि बढ़ाकर 700 रूपए प्रतिमाह करना, जाति प्रमाण पत्र जारी करने  की  सरल व्यवस्था, 17 नये एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय शुरू करना इसके कुछ उदाहरण है। हम दो दशकों के इतिहास में पहली बार लगभग 15 हजार स्थाई शिक्षक-शिक्षिकाआंे की भर्ती कर रहे हैं, जिससे 7 हजार से अधिक शिक्षक-शिक्षिकाएं आदिवासी अंचलों की शालाओं को मिलंेगे। उच्च शिक्षा को सुविधाजनक और गुणवत्तायुक्त बनाने के लिए प्रदेश में 10 आदर्श महाविद्यालयों की स्थापना, 54 महाविद्यालयों में अधोसंरचना विकास हेतु आर्थिक सहायता दी गई है, वहीं दूसरी ओर सहायक प्राध्यापक, ग्रंथपाल, क्रीड़ा अधिकारी के लगभग 1500 पदों पर भर्ती की जा रही है। 34 सरकारी कॉलेजों में लगभग 4 हजार तथा 56 अशासकीय कॉलेजों में 6 हजार सीटें बढ़ाई गई हैं। हर जिले में कन्या छात्रावास की उपलब्धता को अनिवार्य बनाया गया है। बस्तर, सरगुजा और बिलासपुर संभाग में स्थानीय लोगों की भर्ती में तेजी लाने के लिए कनिष्ठ सेवा चयन बोर्ड का गठन, जिला संवर्ग में भर्ती की समय-सीमा दो वर्ष बढ़ाना, सभी वर्गों के युवाओं को विभिन्न विभागों में हजारों पदों पर भर्ती, कौशल उन्नयन और रोजगारपरक प्रशिक्षण जैसे अनेक उपाय किए जा रहे हैं। इतना ही नहीं बल्कि युवाओं के सर्वांगीण विकास के लिए खेल प्राधिकरण का गठन, राज्य स्तरीय युवा महोत्सव का आयोजन शुरू किया गया है, जिससे युवाओं को चौतरफा संभावनाएं दिखाई पड़ने लगी हैं। हम युवाओं को यह संदेश देने में सफल हुए हैं कि  पढ़ाई के अलावा उनके कैरियर निर्माण के अन्य कई रास्ते तलाशे जा रहे हैं। गांव-गांव में युवा-शक्ति को रचनात्मक दिशा देने के लिए ‘राजीव मितान क्लब’ गठित किए जाएंगे। इन क्लबों को अपनी गतिविधियों के संचालन के लिए प्रतिमाह 10 हजार रूपए दिए जाएंगे।

दो हजार आंगनबाड़ी भवन निर्माण की मंजूरी

मुख्यमंत्री ने कहा कि मातृ शक्ति को समुचित अधिकार व आदर देने के साथ माताओं तथा शिशुओं की देखरेख में सहायक आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं, मिनी आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं एवं सहायिकाओं का मानदेय 700 रूपए से 1500 रूपए तक बढ़ाया गया है। 10 हजार आंगनबाड़ी केन्द्रों को नर्सरी स्कूल के रूप में विकसित करने 2 हजार आंगनवाड़ी केन्द्र भवनों के निर्माण की मंजूरी दी गई है। मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना के तहत् सहायता राशि 15 हजार से बढ़ाकर 25 हजार रूपए की गई हैै।

किसानों को चार हजार करोड़ रूपए से अधिक का ब्याज मुक्त कृषि ऋण

भूपेश बघेल ने कहा कि हमने किसानों को प्रति क्विंटल धान के लिए 2500 रूपए देने, अल्पकालीन ऋण माफी का वायदा निभाया है। इसके साथ ही मक्के की खरीदी समर्थन मूल्य पर करने, उद्यानिकी फसलों का विस्तार करने जैसे अनेक कदम उठाए हैं, जिससे किसानों की आय बढ़ाने में मदद मिल रही है। राज्य के इतिहास में पहली बार एक साल में ब्याज मुक्त कृषि ऋण प्रदाय ने 4 हजार करोड़ रूपए का आंकड़ा पार किया है, जो हमारी सरकार के प्रति किसानों के लगातार बढ़ते विश्वास के साथ ही। हमारी नीतियों को मिल रहे सहयोग और समर्थन का प्रतीक है। हमने प्रदेश के हर परिवार को खाद्यान्न और पोषण सुरक्षा देने के लिए सार्वभौम पीडीएस का वायदा निभाया है। अत्यंत जरूरतमंद परिवारों को 1 रूपए किलो की दर से 35 किलो चावल देने के अलावा ए.पी.एल. तथा अन्य वर्गों की जरूरतों का भी ख्याल रखा है। आदिवासी अंचलों में निःशुल्क रिफाइन्ड आयोडाइज्ड नमक, चना, गुड़ देने की व्यवस्था भी कर दी है।

‘नरवा, गरवा, घुरवा, बारी’ कार्यक्रम बन रहा जन आंदोलन

मुख्यमंत्री ने कहा कि ग्रामीण संस्कृति और अर्थव्यवस्था को समवेत करते हुए हमने ‘नरवा, गरवा, घुरवा, बारी’ के जरिये अपनी चिन्हारी को बचाने का बीड़ा उठाया, जिसके अंर्तगत 2 हजार से अधिक जलाशयों के वैज्ञानिक ढंग से विकास के कदम उठाए जा रहे हैं। 5 हजार से अधिक ग्राम पंचायतों में गौठानों का विकास किया जा रहा है, जिसमें से प्रत्येक विकासखंड में एक ‘मॉडल गौठान’ बनाया जा रहा है। लगभग 3 लाख 14 हजार मीट्रिक टन जैविक खाद का निर्माण और उपयोग किया गया है। अब यह कार्यक्रम आंदोलन का रूप ले रहा है।

पांच वर्षों में वास्तविक सिंचाई का रकबा दोगुना करने का लक्ष्य

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी सरकार ने पीने के पानी से लेकर सिंचाई और उद्योग तक के लिए पर्याप्त जल की व्यवस्था तेजी से करने की जरूरत समझी है। इसके लिए जल संसाधन नीति तैयार की जा रही है। सिंचाई विकास प्राधिकरण का गठन किया गया है। हमारा लक्ष्य है कि 5 साल में वास्तविक सिंचाई का रकबा दोगुना हो जाए। गांवों से लेकर शहरों तक अच्छी सड़कों का जाल बिछाने के लिए एक ओर जहां ‘प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना’ के अंतर्गत 3 हजार किलोमीटर से अधिक सड़कों का निर्माण कराया जा रहा है, वहीं ‘मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना’, ‘मुख्यमंत्री ग्राम गौरव पथ योजना’ सहित विभिन्न योजनाओं के तहत 10 हजार किलोमीटर से अधिक सड़कें बनाने की कार्ययोजना पर अमल किया जा रहा है। हमने प्रति माह 400 यूनिट तक बिजली खपत पर बिजली बिल आधा करने का वादा भी पूरा किया गया है। इसके अलावा प्रदेश को अधिक बिजली खपत वाला राज्य बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं। विद्युत अधोसंरचना के विस्तार तथा उपभोक्ता सेवा में सुधार का कार्य दु्रतगति से किया जा रहा है। मुख्यमंत्री बनने के बाद मैंने दोनों सालों की शुरूआत श्रमिक भाई-बहनों के बीच जा कर की है। यह हमारा स्पष्ट संदेश है कि मेहनत करने वालों को सम्मान और अधिकार मिलना ही चाहिए, इसलिए हमने श्रमिकों के कल्याण के लिए कई नई योजनाएं शुरू की है। औद्योगिक स्थापनाओं में सेवारत कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति आयु 58 से बढ़ाकर 60 वर्ष कर दी गई है। मासिक पेंशन योजना के तहत् 3 हजार रूपए दिए जाएंगे। असंगठित श्रमिकों के कल्याण हेतु समग्र नीति का निर्माण किया जा रहा है। संगठित श्रमिकों तथा निर्माण श्रमिकों के कल्याण हेतु नए कदम उठाए जा रहे हैं। इसके अलावा ‘दुकान एवं स्थापना अधिनियम’ के अंर्तगत पंजीकृत संस्थानों को वार्षिक नवीनीकरण तथा अन्य कई प्रावधानों से छूट दी गई है। श्रमजीवी पत्रकार साथियों की सेवानिवृत्ति की आयु भी बढ़ाकर 62 वर्ष कर दी गई है। हमने मध्यम वर्गीय परिवारों को आर्थिक समस्याओं से निजात दिलाने के लिए भी अनेक कदम उठाए हैं, जैसे छोटे भूखण्डों की खरीदी-बिक्री पर लगी रोक हटाई, गाइड लाइन दरों में 30 प्रतिशत तथा पंजीयन शुल्क में 2 प्रतिशत की कमी, नगरीय क्षेत्रों में 7500 वर्गफीट तक की सरकारी जमीन के 30 वर्षीय पट्टे, फ्री-होल्ड अधिकार, भू-भाटक से छूट, नामांतरण-डायवर्सन में सरलता, भुइयां सॉफ्टवेयर से जन सुविधा आदि। मेरा मानना है कि इन फैसलों से जनता को संवेदनशील सरकार की उपस्थिति का का अहसास हुआ है।

देश में सर्वश्रेष्ठ और सबसे बड़ी स्वास्थ्य सेवा योजना लागू

बघेल ने कहा कि सबको निःशुल्क उपचार की सुविधा देने के लिए हमने प्रदेश में दो नई योजनाएं लागू की हैं-‘डॉ. खूबचन्द बघेल स्वास्थ्य सहायता योजना’ एवं ‘मुख्यमंत्री विशेष स्वास्थ्य सहायता योजना’। इन योजनाओं से 50 हजार से लेकर 20 लाख रूपए तक निःशुल्क उपचार की सुविधा राशन कार्ड के जरिये मिलेगी। जांच व राज्य के बाहर उपचार की सुविधा प्रदान की जाएगी। इस तरह हमने देश में सर्वश्रेष्ठ और सबसे बड़ी स्वास्थ्य सेवा योजना लागू कर दी है। हमने शहरों और गांवों में रहने वाले अनुसूचित जाति, जनजाति परिवारों तथा ऐसे तबकों की सेहत संबंधी जरूरतों को काफी बारीकी से समझा है, जो अस्पताल तक नहीं पहुंच पाते। इस तरह  ‘मुख्यमंत्री हाट बाजार क्लीनिक योजना’ आदिवासी अंचलों में ऐसे परिवारों के लिए जीवनदायिनी बन गई है। इस योजना में अब-तक 2 हजार 309 हाट बाजारों में 13 हजार 214 शिविर आयोजित किए गए, जिसका लाभ 7 लाख 81 हजार मरीजों को मिला। ‘मुख्यमंत्री शहरी स्लम स्वास्थ्य योजना’ के अंतर्गत 1 हजार 403 शिविर आयोजित किए गए, जिसका लाभ लगभग 1 लाख से अधिक मरीजों को मिल चुका है। हमने नई पीढ़ी को शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ बनाने हेतु प्रदेश स्तरीय सुपोषण अभियान शुरू किया है, जिसके तहत् आंगनवाड़ी केन्द्रों में प्रोटीनयुक्त पोषण के लिए चना, फल, अण्डा व स्थानीय स्तर पर उपलब्ध उत्तम सामग्री वैकल्पिक रूप से देने की शुरूआत की गई है। इस अभियान में डीएमएफ, सीएसआर से लेकर जनभागीदारी तक सबका सहयोग लिया जा रहा है। मेरा मानना है कि कुपोषण के खिलाफ निर्णायक जंग में अब पूरा प्रदेश एकजुट है।

‘सिरपुर एकीकृत विकास’ कार्य योजना पर होगा

भूपेश बघेल ने कहा कि हमने अपनी संस्कृति को मां के समान सम्मान दिया है, क्योंकि संस्कृति की गोद में संस्कार पनपते हैं। राज्य के प्रमुख त्यौहारों पर सार्वजनिक अवकाश देने के साथ, इन्हें लोकप्रिय बनाने के कदम भी उठाए गए हैं। इसी प्रकार अपनी विरासत को सहेजने की दिशा में भी काम किया जा रहा है। भगवान राम के वनवास काल से जुड़ी आस्थाओं का सम्मान करते हुए ‘राम वनगमन पर्यटन परिपथ’ के विकास का निर्णय लिया गया है।  बौद्धकालीन विरासतों के सम्मान में ‘सिरपुर एकीकृत विकास’ कार्य योजना बनाई गई है। राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव के प्रथम आयोजन में भारत सहित 7 देशों, 24 राज्यों की भागीदारी से हम यह संदेश देने में सफल हुए हैं कि छत्तीसगढ़ सर्वधर्म-सर्वसमभाव-समरसता-सद्भाव और संस्कृतियों को बचाने वाला राज्य है। जनता की मांग पर अब यह आयोजन प्रतिवर्ष करने का निर्णय लिया गया है, ताकि हमारे प्रदेश की आदिवासी संस्कृति को दुनिया में सम्मान मिले और हम विश्व बंधुत्व के विस्तार में योगदान दे सकें। स्वामी विवेकानंद के प्रवास की यादों को चिरस्थायी और प्रेरणादायी बनाने के लिए रायपुर में वे जिस भवन में ठहरे थे, उसे स्मारक बनाने की कार्यवाही शुरू कर दी गई है। हमने पुलिस को जनसेवक के रूप में आचरण करते हुए जन-विश्वास अर्जित करने का लक्ष्य दिया है। मुझे खुशी है कि नक्सली मोर्चे से लेकर विभिन्न अपराधों की रोकथाम में सफलता मिली है। आगे भी सुरक्षा, विश्वास और विकास की त्रिवेणी पुलिस की कार्यप्रणाली का मुख्य अंग रहेगी। मैं आज सबसे अपील करता हूं कि हमारे पुरखों के बलिदान और योगदान का सम्मान करने की प्रतिज्ञा लें। हमारे देश की स्वतंत्रता और संविधान से ही हमारा भविष्य सुरक्षित रहेगा। छत्तीसगढ़, संविधान की भावना के अनुरूप देश को प्रगति के शिखर पर पहुंचाने में अहम योगदान देगा। इसके लिए हम सब पूरी लगन, मेहनत और समर्पण से अपनी भूमिका निभाएंगे।