छत्तीसगढ़ में गैंग ऑफ़ बघेलखंड, मुश्किल में कांग्रेस, अपराधियों के कई गिरोह सक्रिय, पूर्व मुख्यमंत्री से लेकर महामंत्री तक धोखाधड़ी और ठगी के कारोबार में लिप्त, देखे फेहरिस्त……

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रायपुर : छत्तीसगढ़ में गैंग ऑफ़ बघेलखंड के काले कारनामों से कई इलाकों में कानून व्यवस्था ख़राब हो रही है। हालत ये है कि कानून व्यवस्था बनाये रखने को लेकर राज्य की बीजेपी सरकार को जहाँ जमकर पापड़ बेलने पड़ रहे है, वही पार्टी के भीतर आपराधिक तत्वों का जमावड़ा होने से कांग्रेस अपने सबसे मुश्किल दौर से गुजर रही है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपे बघेल से लेकर महामंत्री और पार्टी के अन्य कई पदाधिकारी एक के बाद एक कई गंभीर आपराधिक मामलों में नामजद हो रहे है। उनके खिलाफ दर्ज होने वाली FIR में ऐसे पदाधिकारियों का काला चिटठा भी सामने आ रहा है।

कांग्रेस का झंडा-डंडा उठाकर कई आपराधिक तत्व समाज सेवा की अनूठी मिसाल पेश करने के लिए किसी की जान तक लेने से परहेज नहीं कर रहे है। बाप बड़ा ना भइया, सबसे बड़ा रूपया, यही इनका नारा है। इस अभियान को गांव कस्बों तक पहुंचाने के मामले में पूर्व मुख्यमंत्री भूपे बघेल का नाम अव्वल नंबर पर बताया जाता है। राजनीति के अपराधीकरण पर नजर रखने वाले पत्रकार तस्दीक करते है कि गैंग ऑफ़ बघेलखंड का मुखिया ‘भू-पे’ ही है। कांग्रेस राज के बीते 5 सालों में इस गैंग ने जनता के हितो पर ध्यान देने के बजाय खुद की गरीबी दूर करने का अनोखा अभियान छेड़ा था। इसके लिए सरकारी तिजोरी के करोड़ों-करोड़ों पर हाथ साफ़ किया गया।

जन-कल्याण से जुड़ी दर्जनों योजनाओं की रकम डकार ली गई, जबकि ऐसी योजनाए सरकारी रजिस्टर में सिर्फ खानापूर्ति साबित हुई। छत्तीसगढ़ में सड़के-पुल-पुलिया और फ्लाई ओवर समेत सैकड़ों नव निर्माण वर्ष 2018 के पूर्व तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के कार्यकाल में निर्मित बताये जाते है। ऐसे में 2018 से लेकर 2023 तक मुख्यमंत्री की कुर्सी पर काबिज भूपे ने सालाना अरबों की रकम कहाँ खर्च की, इसका लेखा-जोखा खोज का विषय बताया जा रहा है। इस बीच प्रदेश में गैंग ऑफ़ बघेलखंड की चर्चा जोरो पर है।

इस गैंग के कई सदस्य जेल की हवा खा रहे है, कई सरकारी योजनाओं पर हाथ साफ़ कर फरार बताये जाते है, तो कई आये दिन पुलिस के हत्थे चढ़ रहे है। ऐसे कांग्रेसी कार्यकर्त्ता किसी राजनैतिक धरना प्रदर्शन में नहीं बल्कि अपने अपराधों को लेकर सुर्ख़ियों में है। उनके खिलाफ गंभीर धाराओं में अपराध दर्ज है। ऐसे पदाधिकारियों की गिरफ्तारी से कांग्रेस की फजीहत हो रही है। उनके आपराधिक क्रियाकलापों को लेकर पार्टी नेताओं को जबाव देना भी मुश्किल हो रहा है। अंदेशा जाहिर किया जा रहा है कि, यही हाल रहा तो आने वाले दिनों पार्टी के कई महत्वपूर्ण नेताओं का पता ठिकाना कांग्रेस मुख्यालय ‘राजीव भवन’ ना लिख कर सेंट्रल जेल रायपुर ही बताना होगा ?

राजनीति के जानकार बताते है कि पार्टी के भीतर गैंग ऑफ़ बघेलखंड का बोलबाला कांग्रेस की सेहत के लिए हानिकारक साबित हो रहा है। पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार की तर्ज पर मौजूदा बीजेपी सरकार के कार्यकाल में भी कई पदाधिकारियों के गैर-क़ानूनी कृत्य यथावत जारी रहने से कांग्रेस की मुश्किल ख़त्म होने का नाम ही नहीं ले रही है। रायपुर के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में एडमिशन दिलाने के नाम पर रायपुर के दो लोगों से 40 लाख रूपये ठगी करने के आरोप में यूथ कांग्रेस के जिला महासचिव राज गायकवाड़ और उसके साथी दीप गायकवाड़ को पुलिस ने गिरफ्तार किया है।

मामले की जानकारी देते हुए अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अभिषेक सिंह ने बताया कि कसडोल के ग्राम खर्चे निवासी चंद राम यादव के बेटे का मेडिकल कॉलेज में दाखिला कराने के नाम पर दस लाख रुपये नकद और तीस लाख रुपये ऑनलाइन भुगतान किया गया था। राज गायकवाड़ यूथ कांग्रेस के जिला महासचिव के पद पर है। बताते है कि कांग्रेस राज में पूर्व मुख्यमंत्री बघेल और तत्कालीन डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव के संज्ञान में मामला होने के बावजूद पीड़ितों की सुध नहीं ली गई थी। आखिरकार मौजूदा बीजेपी सरकार के कार्यकाल में पीड़ितों को न्याय की उम्मीद जगी है। इस मामले में पुलिस और भी खुलासे कर सकती है। पुलिस को शक है कि आरोपियों ने अन्य कई लोगों को भी निशाना बनाया है। फ़िलहाल आरोपियों से पूछताछ जारी है।

उधर पूर्व मुख्यमंत्री बघेल का करीबी तांत्रिक को पुलिस ने वांटेड घोषित किया है। इसका नाम केके श्रीवास्तव बताया जाता है। बिलासपुर निवासी के के श्रीवास्तव पर ठगी का आरोप है, वह लंबे वक्त से फरार चल रहा है। रायपुर पुलिस ने उस पर 10 हजार का इनाम घोषित किया है। स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में 500 करोड़ का कार्य दिलाने के एवज में उसने दिल्ली की एक कंपनी से 15 करोड़ से ज्यादा की रकम ठग ली। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, आरोपी के के श्रीवास्तव के खाते की जांच में करीब 30 करोड़ रुपए के लेन-देन की जानकारी मिली है।

इसके अलावा पुलिस को पांच और बैंक खाते भी मिले हैं, जिसमें करीब 300 करोड़ रुपए का लेनदेन पाया गया है। दिलचस्प बात यह है कि ये बैंक खाते EWS मकानों में रहने वाले गरीब लोगों के नाम पर है। तेलीबांधा थाना में आरोपी कृष्ण कुमार श्रीवास्तव और कंचन श्रीवास्तव के विरुद्ध भारतीय दंड विहिता की धारा 420, 467, 468, 471, 506, 120-बी के तहत अपराध दर्ज किया गया है. इस मामले में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक लखन पटले ने कहा कि पीड़ित की शिकायत पर अपराध दर्ज किया गया है. पूरे प्रकरण की जांच चल रही है. जल्द आरोपियों की गिरफ्तारी की जाएगी।

सूरजपुर में कांग्रेसी महामंत्री ने एक पुलिस कांस्टेबल पर खौलता तेल डालकर घायल कर दिया। फिर उसकी पत्नी और बेटी को तलवार से काट डाला। घटना के बाद बिफरे लोगों ने आरोपी महामंत्री का घर जला दिया। यहां कोतवाली थाना इलाके में प्रधान आरक्षक तालिब शेख उसकी पत्नी और एक मासूम बच्ची की उसने निर्मम हत्या कर दी।

इस नृशंस हत्याकांड को अंजाम देने के बाद आरोपी कुलदीप साहू इलाके से फरार हो गया था। हालांकि पुलिस ने उसे धर दबोचा। हत्या का आरोपी कांग्रेसी कार्यकर्ता का पुराना आपराधिक रिकॉर्ड है, वो पूर्व मुख्यमंत्री बघेल का समर्थक बताया जाता है। उसे NSUI का महासचिव के पद पर नियुक्त किया गया था। छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भू-पे बघेल के साथ तस्वीरो में नजर आ रहा यह शख्स कुलदीप साहू ही है।

राजनांदगांव में कांग्रेस की टिकट दिलवाने के नाम पर एक महिला कार्यकर्ता को पार्टी के ही एक नेता ने 30 लाख की चपत लगा दी। पुलिस के मुताबिक नगर निगम में पार्षद और एमआईसी मेंबर राजेश गुप्ता के खिलाफ स्थानीय महिला कांग्रेस नेता के साथ ठगी करने के आरोप में FIR दर्ज की गई थी। डोंगरगढ़ की रहने वाली महिला कांग्रेस की सचिव नलिनी मेश्राम की शिकायत पर थाना बसंतपुर में FIR में पार्षद राजेश गुप्ता पर 30 लाख रुपये की ठगी के आरोप है। पुलिस ने राजेश को जुआ खेलते हुए रंगे हाथों पकड़ा था। उसके खिलाफ जुआ एक्ट के तहत भी मामला दर्ज किया गया था।

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महासमुंद में कांग्रेसी कार्यकर्ता ने पार्टी के एक अन्य नेता को इसी तर्ज पर विधानसभा चुनाव 2023 में टिकट दिलाने का झांसा देकर 20 लाख की ठगी की वारदात को अंजाम दिया। इस आरोपी से भी पूर्व मुख्यमंत्री के गहरे तालुकात बताये जाते है। FIR के मुताबिक कंवरपाली सिंघोड़ा निवासी डोलचंद पटेल की मुलाकात परसागुड़ा भनपुरी थाना क्षेत्र के निवासी विराट रामकर (35) से हुई थी। डोलचंद और विराट दोनों ही कांग्रेस के कार्यकर्ता हैं और एक दूसरे को जानते है। उन्हें पूर्व मुख्यमंत्री से करीबी तालुकात का हवाला देकर आरोपी विराट रामकर ने 26 सितंबर 2023 को पिथौरा नेशनल हाईवे 53 पर स्थित काठी ढाबा के पास कार में बैठे हुए आरोपी को 5 लाख रुपए पेशगी के रूप में दिए थे।

इसके बाद रायपुर तेलीबांधा रोड के पास बुड क्रिस्टल होटल में 16 अक्टूबर 2023 को दूसरी किश्त 15 लाख रुपए दिए गए थे। लेकिन पीड़ित को टिकट नहीं मिली और ना ही आरोपी ने रकम वापस की। पुलिस में शिकायत के बाद ठगी का सच जानने के लिए साइबर सेल की टीम को जांच में लगाया गया था। टीम ने प्रार्थी के बयान के आधार पर बुड क्रिस्टल होटल की CCTV फुटेज खंगाली गई थी। सबूत मिलने के बाद आरोपी विराट को बस्तर से गिरफ्तार कर महासमुंद कोर्ट में पेश किया गया था। यहाँ से उसे न्यायिक रिमांड पर जेल भेज दिया गया है।

Teacher Suicide Case में एक शिक्षक के सुसाइड केस में कांग्रेस सरकार में मंत्री रहे मोहम्मद अकबर के खिलाफ आत्महत्या के लिए विवश करने का अपराध दर्ज है। उनका नाम ठगी का केस दर्ज होने के बाद सामने आया था। उन पर 4.70 लाख रुपये की ठगी का भी आरोप है। बालोद जिले में एक सरकारी स्कूल के शिक्षक को आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में पुलिस ने पूर्व मंत्री मोहम्मद अकबर समेत तीन के खिलाफ केस दर्ज किया है। मृतक शिक्षक देवेंद्र ठाकुर के मृत्यु पूर्व लिखे सुसाइड लेटर में मोहम्मद अकबर का नाम दर्ज था।

बालोद जिले के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अशोक कुमार जोशी ने बताया, ‘‘शिक्षक देवेंद्र ठाकुर के कथित सुसाइड नोट के आधार पर अकबर, मदार खान उर्फ सलीम खान, हरेंद्र नेताम और प्रदीप ठाकुर के खिलाफ डौंडी पुलिस थाने में भारतीय न्याय संहिता की धारा 108 (आत्महत्या के लिए उकसाना) एवं 3(5) (सामान्य इरादा) के तहत मामला दर्ज किया गया है। जोशी ने बताया कि ठाकुर क्षेत्र के ओडगांव गांव स्थित सरकारी प्राथमिक स्कूल में पदस्थ था। उन्होंने तीन सितंबर को घोटिया गांव में अपने घर पर फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी।

पुलिस अधिकारी ने बताया कि पुलिस ने जब शव की तलाशी ली तब ठाकुर की जेब से एक सुसाइड नोट बरामद किया गया, जिसमें उसने पूर्व मंत्री अकबर, खान, नेताम एवं प्रदीप ठाकुर को आत्महत्या के लिए उकसाने का जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने बताया कि सुसाइड नोट में कहा गया है कि चारों ने कथित तौर पर नौकरी दिलाने के लिए पैसे लिए, लेकिन उन्होंने न तो नौकरी दी और न ही पैसे लौटाए। एक अन्य पुलिस अधिकारी ने बताया कि डौंडी पुलिस ने मदार खान उर्फ सलीम खान, हरेंद्र नेताम और प्रदीप ठाकुर के खिलाफ रविवार को एक और प्राथमिकी दर्ज की है, जिसमें कथित तौर पर पिछली कांग्रेस सरकार के दौरान वन विभाग में नौकरी दिलाने के नाम पर लोगों को ठगा गया था। उन्होंने बताया कि ओडगांव गांव के चंदर सिंह की शिकायत के आधार पर तीनों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 420 (धोखाधड़ी) और 34 (सामान्य इरादा) के तहत मामला दर्ज किया गया है।

अधिकारी ने बताया कि शिकायत के अनुसार, 2022 में (पिछली कांग्रेस सरकार के दौरान) राज्य के वन विभाग में वन रक्षक और अन्य पदों पर भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किया गया था। सिंह ने कथित तौर पर वन रक्षक के रूप में भर्ती होने के लिए देवेंद्र ठाकुर (शिक्षक) के माध्यम से नेताम, खान और प्रदीप ठाकुर को 4.70 लाख रुपये दिए थे। उन्होंने बताया कि सिंह की तरह, लगभग 70 अन्य लोगों ने नौकरी के लिए इन व्यक्तियों को लगभग 3.70 करोड़ रुपए दिया था। अधिकारी ने बताया कि खान ने खुद को भूपेश बघेल सरकार में तत्कालीन वन मंत्री अकबर के रिश्तेदार के रूप में पेश किया था और उम्मीदवारों से मिला था। उन्होंने बताया कि जब उम्मीदवारों को नौकरी नहीं मिली तब उन्होंने अपने पैसे वापस मांगे, लेकिन तीनों आरोपियों ने कथित तौर पर पैसे वापस करने से इनकार कर दिया। अधिकारियों ने बताया कि शिक्षक देवेंद्र ठाकुर ने इसी मामले के कारण आत्महत्या का कदम उठाया था। दोनों मामलों में अब तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है।

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छत्तीसगढ़ में 6 हज़ार करोड़ के महादेव ऐप घोटाले में तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपे बघेल मुख्य आरोपी है। उनकी जल्द गिरफ्तारी के आसार लगाए जा रहे है। जबकि उनके पुत्र चैतन्य बघेल उर्फ़ बिट्टू एवं पुत्री को भिलाई पुलिस तलब कर चुकी है। मामला ऑनर किलिंग से जुड़ा बताया जाता है। पुलिस के मुताबिक भिलाई के एक कॉलेज के प्रोफ़ेसर विनोद शर्मा पर कातिलाना हमले को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री के पुत्र-पुत्री से 3 घंटे से अधिक समय तक पूछताछ की गई थी। उनके मोबाइल फ़ोन भी जब्त किये गए है। यही नहीं विभिन्न घोटालों को लेकर चैतन्य बघेल से ED, दो से अधिक बार पूछताछ कर चुकी है।

महादेव ऐप घोटाले में गिरफ्तार किये गए ज्यादातर सटोरिये और कारोबारियों के तार सीधे तौर पर पूर्व मुख्यमंत्री से जुड़े पाए गए है। इसमें 2000 सिम कार्ड और 1700 बैंक अकाउंट सामने आये है। घोटालेबाजी में गैंग ऑफ़ बघेलखंड पूरी तरह से लिप्त पाया गया है। इस सिलसिले में 32 आरोपी जेल की हवा खा चुके है। महाराष्ट्र में 15000 करोड़ और छत्तीसगढ़ में 6 हज़ार करोड़ के महादेव बैटिंग ऐप स्कैम को पूर्व मुख्यमंत्री बघेल के करीबी लगभग आधा दर्जन आईपीएस अधिकारी संचालित कर रहे थे।

इसमें 2001 बैच के आईपीएस आनंद छाबड़ा, 2004 बैच के अजय यादव, 2005 बैच के शेख आरिफ और 2007 बैच के आईपीएस प्रशांत अग्रवाल का नाम शामिल बताया जाता है। इन्हे ऐप प्रमोशन और संरक्षण के लिए हर माह 20 से 50 लाख तक प्राप्त होते थे। महादेव बेटिंग ऐप घोटाले की जांच सीबीआई के हवाले है।

600 करोड़ के कोल खनन परिवहन घोटाले में उनकी करीबी उपसचिव सौम्या चौरसिया, कोयला दलाल सूर्यकांत तिवारी, आईएएस रानू साहू, आईएएस समीर विश्नोई, आदिवासी विभाग की आयुक्त माया वारियर समेत गैंग ऑफ़ बघेलखंड के दर्जनों सदस्य जेल की हवा खा रहे है। 2200 करोड़ के शराब घोटाले में भी पूर्व मुख्यमंत्री के संगी-साथी ही बतौर आरोपी जेल की सीखचों के भीतर बंद है।

इनमे रिटायर आईएएस अनिल टुटेजा, कारोबारी अनवर ढेबर, आबकारी विभाग के तत्कालीन सचिव अरुणपति तिपाठी और भिलाई के भाटिया बंधुओं का नाम शामिल है। यही नहीं छत्तीसगढ़ PSC घोटाले में भी पूर्व मुख्यमंत्री बघेल के करीबी अफसरों और नेताओं की औलादों का चयन चर्चा में है। कई योग्य उम्मीदवारों को दरकिनार कर गैंग ऑफ़ बघेलखंड से जुड़े तत्वों के पुत्र-पुत्रियों को बैकडोर से डिप्टी कलेक्टर और DSP समेत कई पदों पर नियुक्ति दे दी गई थी। इस मामले की जांच भी सीबीआई के हवाले है।

इधर पूर्व मुख्यमंत्री के खास सहयोगी रामगोपाल अग्रवाल लम्बे अरसे से नदारत बताये जाते है। उनकी तलाश ED, EOW के अलावा सीबीआई को भी है। बताते है कि सरकारी तिजोरी की लूट के हिस्सेदारों में रामगोपाल का नाम सुर्ख़ियों में है। उसके खिलाफ कई विभागों में गंभीर शिकायते लंबित है। कांग्रेस के कोषाध्यक्ष रामगोपाल की अवैध वसूली ने खदानों के आबंटन और ठेकों में नई प्रतिस्पर्धा को जन्म दिया था। बघेल के गुरु और नौकरशाही के घंटाल पूर्व मुख्य सचिव विवेक ढांड इन दिनों स्विट्ज़रलैंड की सैर पर बताये जाते है।

1 हज़ार करोड़ के समाज कल्याण घोटाले में उनकी भूमिका और कार्यप्रणाली किसी डकैत से कम नहीं बताई जाती। बिलासपुर हाईकोर्ट ने कांग्रेस कार्यकाल में इस घोटाले की सीबीआई जांच की सिफारिश की थी। मामला सालों से सुप्रीम कोर्ट में लंबित है, सरकार के मौजूदा कर्णधार भी इस मामले में सुध तक लेने में परहेज बरत रहे है। बहरहाल छत्तीसगढ़ में पूर्व मुख्यमंत्री बघेल और उनके काले कारनामों से आपराधिक जगत में हलचल तेज है। इसका खामियाजा कांग्रेस को उठाना पड़ रहा है।

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