गणेश चतुर्थी 2020 : आज घर-घर विराजेंगे विघ्नहर्ता, जानें- गणेश स्थापना के शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, महत्व व सब कुछ , पढ़े इस खबर को

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नई दिल्ली / देशभर में आज से गणेशोत्सव का त्यौहार मनाया जाएगा। लोग गणपति को घर लाकर विराजमान करने से लेकर उनके विसर्जन को भी धूमधाम से करते हैं। 10 दिन चलने वाले इस त्यौहार पर गणपति की स्थापना की जाती है। गणेश उत्सव भाद्रपद मास की चतुर्थी से चतुर्दशी तक यानी दस दिनों तक चलता है। इसके बाद चतुर्दशी को इनका विसर्जन किया जाता है। हिंदू धर्म में भगवान गणेश को अत्यंत ही पूजनीय माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार, गणेश जी का नाम किसी भी कार्य के लिए पहले पूज्य है। इसलिए इन्हें ‘प्रथमपूज्य’ भी कहते हैं। वह गणों के स्वामी हैं, इस वजह से उनका एक नाम गणपति भी है। इसके अलावा हाथी जैसा सिर होने के कारण उन्हें गजानन भी कहते हैं। मान्यता है कि भाद्रपद की चतुर्थी को गणेश जी का जन्म हुआ था, इसलिए इस दिन गणेश चतुर्थी त्योहार मनाया जाता है। यह त्योहार पूरे भारत में हर्षोल्लास और उमंग के साथ मनाया जाता है। इस बार यह त्योहार 22 अगस्त को मनाया जाएगा।

गणेश चतुर्थी शुभ मुहूर्त :

पूर्वाह्न 11.07 से दोपहर 01. 42 मिनट तक

दूसरा शाम 4.23 से 7. 22 मिनट तक

रात में 9.12 मिनट से 11. 23 मिनट तक

वर्जित चंद्रदर्शन का समय – 8:47 रात से 9:22 रात तक

चतुर्थी तिथि आरंभ – 21 अगस्त की रात 11:02 बजे से।

चतुर्थी तिथि समाप्त : 22 अगस्त की रात 7:56 बजे तक।

 गणेश विसर्जन :

1 सितंबर 2020 दिन मंगलवार

कैसे करें भगवान गणेश की स्थापना?

भगवान गणेश की स्थापना गणेश चतुर्थी के दिन मध्याह्न में की जाती है। माना जाता है कि गणपति का जन्म मध्याह्न काल में हुआ था। हालांकि, इस दिन चंद्रमा देखना भी वर्जित है। गणेश जी की स्थापना की विधि इस प्रकार है:

  • आप चाहें तो बाजार से लाकर या फिर अपने हाथों से बनाई हुई गणेश जी की मूर्ति स्थापित कर सकते हैं।
  • गणेश जी की स्थापना करने से पहले स्नान कर लें और साफ धुले हुए वस्त्र धारण कर लें। 
  • इसके बाद अपने माथे पर तिलक लगाएं और पूर्व दिशा की ओर मुंह कर आसन पर बैठ जाएं।
  • ध्यान रहे कि आसन कटा-फटा न हो। साथ ही पत्थर के आसन का प्रयोग न करें।
  • इसके बाद भगवान गणपति की प्रतिमा को कसी लकड़ी के पटरे या गेहूं, मूंग, ज्वार के ऊपर लाल वस्त्र बिछाकर स्थापित करें।
  • गणपति जी की प्रतिमा के दाएं और बाएं रिद्धि-सिद्धि के प्रतीक स्वरूप एक-एक सुपारी रखें। 

गणेश चतुर्थी पूजा विधि :

भगवान गणेश की पूजा के लिए पान, सुपारी, लड्डू, सिंदूर, दूर्वा आदि सामग्री घर ले आएं। भगवान की पूजा करें और लाल वस्त्र चौकी पर बिछाकर स्थान दें। इसके साथ ही एक कलश में जलभरकर उसके ऊपर नारियल रखकर चौकी के पास रख दें। दोनों समय गणपति की आरती, चालीसा का पाठ करें। प्रसाद में लड्डू का वितरण करें।

गणेश जी को क्या क्या चढ़ाएं :

चावल,सिंदूर, केसर, हल्दी, चन्दन,मौली औऱ लौंग जरुर चढ़ाएं, पूजा में दूर्वा का काफी महत्व है। कहा जाता है कि इसके बिना गणेश पूजा पूरी नहीं होती है। गणेश जी को दक्षिणा अर्पित कर उन्हें 21 लड्डूओं का भोग लगाएं। गणेश जी के पास पांच लड्डू रखकर बाकी बांट देने चाहिए।

इस मंत्र का करें जाप :

घर में अगर गणेश जी की स्थापना हो रही है तो इस बात का ध्यान रखे की गणपति की आरती सुबह औऱ शाम दोनों पहर होनी चाहिए। गणेश जी की कथा और गणेश चालीसा का पाठ अवश्य करें और “ओम् गं गणपतये नमः” मंत्र की एक माला का जाप करना चाहिए।

गणेश चतुर्थी के दिन चांद के दर्शन ना करें :

गणेश चतुर्थी के दिन रात्रि में चंद्रमा के दर्शन न करें। इस दिन चंद्रमा के दर्शन करना शुभ नहीं माना जाता है। 22 तारीख को रात्रि में चंद्रमा के दर्शन करने से मिथ्या कलंक लग सकता है।