
तिरुवनंतपुरम, केरल। स्थायी अपशिष्ट प्रबंधन (sustainable waste management) की दिशा में केरल ने एक अभूतपूर्व पहल की है। तिरुवनंतपुरम स्थित मुत्तथारा सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट में ₹36 करोड़ की लागत से एक ओमनी प्रोसेसर प्लांट बनाया जा रहा है। इस परियोजना का पूरा फंड बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन द्वारा दिया जा रहा है।
ओमनी प्रोसेसर की विशेषताएं
ओमनी प्रोसेसर मशीन ठोस और तरल अपशिष्ट दोनों को संसाधित कर सकती है। यह:
- रोगजनकों को नष्ट करती है,
- संसाधनों को पुनः प्राप्त करती है,
- बिजली उत्पन्न करती है,
- और स्वच्छ जल, आसुत जल व राख को उप-उत्पाद के रूप में प्रदान करती है।
एलएसजीडी मंत्री एम. बी. राजेश ने बताया कि यह संयंत्र अपनी पूरी 100% बिजली की जरूरतों को पूरा करेगा और सभी अवशिष्ट स्लज को हटा देगा।
तकनीकी प्रक्रिया और कार्यक्षमता
तिरुवनंतपुरम का यह प्लांट प्रतिदिन 5.5–6.5 करोड़ लीटर सीवेज का उपचार करता है और लगभग 90–100 ट्रक मल प्राप्त करता है। लिक्विड वेस्ट का ट्रीटमेंट एक्टिवेटेड स्लज प्रोसेस तकनीक से किया जाता है, जबकि ठोस स्लज प्रतिदिन 5–8 टन जमा होता था। ओमनी प्रोसेसर इसे बिजली और उप-उत्पाद में परिवर्तित करता है।
केरल में स्थापना का इतिहास
दिलचस्प बात यह है कि यह परियोजना मूल रूप से हैदराबाद के लिए थी। हालांकि, वाश संस्थान और स्वच्छ भारत मिशन के समर्थन से इसे तिरुवनंतपुरम में स्थापित किया गया। भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण द्वारा प्रारंभिक चिंता जताए जाने के बाद राज्य सरकार की लगातार पैरवी से परियोजना को हरी झंडी मिल गई। निर्माण अगले साल मार्च तक पूरा होने की उम्मीद है।