रायपुर : छत्तीसगढ़ में IPS अधिकारियो के काले कारनामो से छत्तीसगढ़ पुलिस और उसका मुख्यालय राजनीति के नए दौर में है। खाकीवर्दी पहन कर कतिपय अधिकारी रोजाना नए-नए अपराधों को अंजाम दे रहे है। उनकी कार्यप्रणाली से न केवल पीड़ितों के परिजनों पर गैरकानूनी कार्यो के लिए दबाव बनाया जा रहा है, बल्कि सरकरी तंत्र अपनी गैर जिम्मेदारी वाली कार्यशैली से अदालतों को भी प्रभावित कर रहा है। सरकारी मशीनरी के जरिये आपराधिक तत्व अदालतों से मनचाहा ‘फरमान’ जारी करवाने में कामयाब हो रहे है।
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जबकि अदालते भी पूर्व नियोजित आदेशों-निर्देशों पर अपनी मुहर लगा कर पीड़ितों के अरमानो पर पानी फेर रही है। ताजा मामला रवि पटनायक के खिलाफ दर्ज फर्जी FIR और उसे अधिकतम दिनों तक जेल में निरुद्ध रखने से जुड़ा है। गौरतलब है कि IT-ED और CBI के कई आरोपियों के इशारे पर न्यायिक अधिकारी उनके हितो पर अपनी मुहर लगा रहे है। इससे जुडी चैट भी सामने आ रही है। इसी कड़ी में रवि पटनायक नामक एक पीड़ित का नाम भी जुड़ गया है।
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छत्तीसगढ़ में सरकारी तंत्र के दुरूपयोग की घटनाओ से निचली अदालतो के प्रभावित होने का दौर शुरू हो गया है। राज्य में बघेल सरकार के हितो को ध्यान में रख कर न्याय का फैसला करने वाले जजों की दास्तान सामने आने से जनता हैरत में है। न्याय पालिका के प्रति विश्वास कायम रखने के लिए ऐसे जजों के खिलाफ भी वैधानिक कार्यवाही करने के लिए अपीलीय न्यायलय को ठोस कदम उठाने होंगे, अन्यथा छत्तीसगढ़ में न्यायपालिका की साख पर बट्टा लगना लाजिमी है।
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छत्तीसगढ़ के सुपर सीएम के खास आर्थिक सहयोगी के जरिये केंद्रीय जाँच एजेंसियां उस शख्स के गिरेबान में हाथ डालने की कवायत में जुटी है, जो प्रदेश के गरीब आदिवासियों और आम नागरिको की गाढ़ी कमाई को अपनी तिजोरी में डालने में जुटा है। बताते है कि यह शख्स अपने गुर्गो के जरिये उस काले कारनामो के चमकते सबूतों को नष्ट करने में जुटा है, जो उसे भी जेल की सीखचों के भीतर पंहुचा सकते है। लिहाजा न्यायपालिका को हथियार बना कर यह शख्स अपने हितो को साधने में जुटा है। बताते है कि इसी चक्कर में IT-ED और CBI के आरोपियों ने अपने पुराने साथी पर शिकंजा कसा है। अब की बार उससे उन दो मोबाईल की मांग की जा रही है, जो वो ‘बॉस’ के साथ बातचीत में अक्सर इस्तेमाल किया करता था।
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बताते है कि रवि पटनायक नामक एक पूर्व OSD को मनी लांड्रिंग से जुड़े कई असली मामले में ED पूछताछ के लिए अपने कब्जे में लेती उससे पहले इस शख्स को एक-दूसरी राज्य स्तरीय एजेंसी ने धर दबोचा। बताते है कि रवि पटनायक ED के सामने अपना मुँह खोलता, उससे पहले बघेलखण्ड पुलिस ने उसे अपने कब्जे में ले लिया था। बताते है कि ED उसके जरिये साहब के सामने नई मुसीबत न खड़ी कर दे, इससे बचने के लिए रवि पटनायक को उसके मुफीद ठिकाने में भेजा गया है। बताते है कि रवि पटनायक पूर्ववर्ती रमन सिंह सरकार में कई मंत्रियो का OSD रह चूका है। यह भी बताया जाता है कि एक IPS अधिकारी के निर्देश पर उसका फर्जी आई कार्ड बनवाया गया था।
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छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से सरोकार रखने वाले किसी भी मामले के खुलासे के बाद बघेलखंड में तैनात IPS अधिकारी सबसे पहले उस शख्स का मोबाईल अपने कब्जे में लेने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा देते है। इसके लिए किसी निर्दोष व्यक्ति की बलि चढाने में भी परहेज नहीं करते। बताते है कि अनिल टुटेजा और सौम्या चौरसिया का प्रमुख राजदार और पूर्व OSD रवि पटनायक और उसका परिवार इन दिनों सरकारी जुल्मो सितम का शिकार हो रहा है। साहब के खाकी वर्दीधारी सरकारी लठैत रवि पटनायक के मोबाईल की जप्ती को लेकर जमकर हाथ-पैर मार रहे है। इसके लिए न्यायपालिका का भी हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है।
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बताते है कि पिछले लगभग तीन माह से रवि पटनायक रायपुर सेंट्रल जेल में बंद है। भूपेश बघेल सरकार ने उसे अवैध वसूली के आरोप में गिरफ्तार किया था। उधर रवि पटनायक की गिरफ़्तारी के बाद से अखिल भारतीय सेवाओं के कई अधिकारियो की सांसे फूली हुई है। ऐसे कुछ अफसर पटनायक के मोबाईल फ़ोन की जप्ती को लेकर बेचैन है। बताते है कि मोबाईल हाथ लगते ही उसके डाटा डिलीट करने को लेकर जूनियर IPS अधिकारियो ने अपनी कमर कसी हुई है। सूत्र बताते है कि इसके लिए विधि सचिव राम कुमार तिवारी और अनिल टुटेजा रायपुर जिला अदालत में पदस्थ कतिपय ऐसे जजों के संपर्क में है, जो बघेलखण्ड गिरोह के लिए न्याय का सौदा करता है।
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बताते है कि रवि पटनायक के मोबाईल में अनिल टुटेजा और सौम्या चौरसिया के गुनाहो के सबूतों के अलावा उनके ‘सरदार’ के काले कारनामो का डिजिटल डाटा मौजूद है। सूत्र बताते है कि रवि पटनायक मुख्यमंत्री कार्यालय में पदस्थ सौम्या चौरसिया के साथ कई बड़ी डिलिंग में शामिल था। उसने अपने आकाओ के लिए कई बड़े आर्थिक सौदों को अंजाम तक पहुंचाया था। सौम्या चौरसिया के ED के हत्थे चढ़ते ही रवि पटनायक बाजार से गायब हो गया था। बताते है कि रायपुर रेंज में पदस्थ IG शेख आरिफ और दुर्ग रेंज में कार्यरत IG आनंद छाबड़ा के मार्गदर्शन में रवि पटनायक को रायपुर सेंट्रल जेल में दाखिल कराया गया है।
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बताया जाता है कि सौम्या की गिरफ़्तारी के बाद से ED की निगाहे रवि पटनायक पर टिकी हुई थी। ED कुछ महत्वपूर्ण सौदों और उससे जुडी वसूली को लेकर रवि पटनायक से पूछताछ के प्रयास में जुटी हुई थी। सूत्र बताते है कि इसकी भनक लगते ही शेख आरिफ के प्लान के मुताबिक पुलिस ने रवि पटनायक के खिलाफ एक फर्जी प्रकरण दर्ज कर उसे गिरफ्तार कर लिया गया था। बताते है कि बघेलखण्ड पुलिस ने रवि पटनायक के खिलाफ नया रायपुर के राखी थाने में जो FIR दर्ज कराई है, उसकी किसी केंद्रीय एजेंसी से उच्चस्तरीय जाँच की आवश्यकता बताई जा रही है।
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सूत्रों के मुताबिक अनिल टुटेजा और रवि पटनायक के बीच आखिरी मुलाकात के बाद रातो रात उसे कब्जे में लेने की कवायत शुरू हो गई थी। बताते है कि उसके खिलाफ भी फर्जी प्रकरण दर्ज करने के लिए पहले शिकायतकर्ता, गवाह और जज का प्रबंध किया गया था। बताते है कि अदालती कार्यवाही के तहत रवि पटनायक को जेल दाखिल कराने के बाद अब उसके मोबाईल की जप्ती के प्रयास किये जा रहे है। सूत्रों के मुताबिक साजिश के सामने आने के बाद जेल में बंद रवि पटनायक पर अपना मोबाईल जप्त करवाए जाने को लेकर बघेलखण्ड पुलिस का दबाव बढ़ गया है।
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सूत्रों के मुताबिक कई अफसरों की मुश्किल इन दिनों ED ने बढ़ा दी है। बताते है कि बघेलखण्ड पुलिस की आधी-अधूरी आपराधिक दास्तान सामने आने के बाद ED भी रवि पटनायक के मोबाईल फोन और अन्य डिजीटल उपकरणों की वैधानिक जप्ती को लेकर सक्रीय है। बताते है कि एक IPS अधिकारी के माध्यमों की पड़ताल के बाद ED ने एक बार फिर बघेलखंड पर अपनी निगाहे इनायत की है। सूत्र बताते है कि रवि पटनायक के मोबाईल फ़ोन की जप्ती से जुड़े कुछ एक साजिशकर्ताओ की चर्चित कार्यप्रणाली पर ED की पैनी निगाहे बताई जाती है।
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बताते है कि जेल में बंद रवि पटनायक की पूरी सत्यकथा केंद्रीय जाँच एजेंसियों की फाइलों में कैद हो गई है। सूत्र बताते है कि रवि पटनायक की जमानत के लिए सौदेबाजी का दौर जारी है। बताते है कि एक ‘हाथ’ मोबाईल ‘दो’ दूसरे हाथ जमानत ‘लो’ के ऑफर से पीड़ित परिवार पसोपेश में है। सूत्र बताते है कि पीड़ितों ने ED को अपनी आपबीती सुनाई है, बताते है कि रवि पटनायक मामले की हकीकत से जाँच एजेंसियां दस्तावेजी प्रमाणों के साथ कुछ एक अफसरों पर अपना शिकंजा कस सकती है।