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डिफाल्टरों के कर्ज माफ़ी को लेकर पूर्व वित्तमंत्री पी चिदंबरम की दलील : भगोड़ों के संदर्भ में कर्ज को बट्टे खाते में डालने का नियम लागू नहीं होना चाहिए

दिल्ली वेब डेस्क / देश में डिफाल्टरों और भगोड़ों के कर्जमाफ़ी को लेकर बहस छिड़ गई है | कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरमने कहा है कि सरकार को नीरव मोदी, मेहुल चोकसी और विजय माल्या जैसे भगोड़े कारोबारियों के संदर्भमें कर्ज को बट्टे खाते में डालने का नियम लागू नहीं करना चाहिए।

उन्होंने यह टिप्पणी उसवक्त की है जब कांग्रेस के एक आरोप को लेकर पलटवार करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि जानबूझ कर ऋण नहीं चुकाने वाले यूपीए सरकार की ‘फोनबैंकिंग’ के लाभकारी हैं | सीतारमण ने यह भी कहा कि मोदी सरकार उनसे बकाया वसूली के लिए उनके पीछे पड़ी है। चिदंबरम ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से संवाद दाताओं से कहा, ‘कोई इस बात से इनकार नहीं कर रहा है कि जानबूझ कर कर्ज अदा नहीं करने वालों पर कर्ज बट्टे खाते में डालने वाला नियम लागू नहीं होना चाहिए । परंतु हम इन भगोड़ों के बारे में सवाल कर रहे हैं। वे देश छोड़कर भाग चुके हैं। आप यह नियम नीरव मोदी, मेहुल चोकसी और विजय माल्याके लिए लागू क्यों कर रहे हैं।’

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पूर्व वित्त मंत्री चिदंबरम ने कहा कि भगोड़े लोगों के मामले में तकनी की नियम लागू नहीं होना चाहिए। दरअसल, कांग्रेस का दावा है कि ‘24 अप्रैल को आरटीआई के जवाब में रिजर्व बैंक ने सनसनीखेज खुलासा करते हुए 50 सबसे बड़े बैंक घोटाले बाजों का 68,607 करोड़ रुपया ‘माफ करने’ की बात स्वीकार की । इनमें भगोड़े कारोबारी चोकसी, नीरव मोदी और माल्या के नाम भी शामिल हैं।’

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