कोहराम: रायपुर सेंट्रल जेल में पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा का तांडव, 24 घंटे में कई बार पारा गर्म, ED के आरोपियों की ‘मौजा ही मौजा’ से जेलों में तनाव के हालात…  

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रायपुर: छत्तीसगढ़ में ईडी के तमाम आरोपियों की ‘पौ-बारह’ है। उन्हें जेल का एहसास ही नहीं हो रहा है, VIP सुविधाओं के साथ यहाँ भी उनकी शान-शौकत बरक़रार बताई जाती है। आरोपियों की लंबी फेहरिस्त में सिर्फ पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा का हाल-बेहाल बताया जाता है। उनकी हालत देखते ही बन रही है। कभी अल सुबह तो कभी आधी रात वो अचानक बिफर कर उठ पड़ते है, फिर पूर्व मुख्यमंत्री बघेल को देर रात तक फटकारते है, कई मौकों को याद कर गाली-गलौज पर उतर आते है। उनकी जुबान पर अक्सर-‘मरवा दिया रे’ MC—BC ने, सुनकर जेल प्रहरी भी हैरत में पड़ जाते है।

सूत्र बताते है कि सेंट्रल जेल के विशेष सेल में कैद कवासी लखमा अपने बैरक में अकेले वक़्त गुजार रहे है, जबकि शेष आरोपियों की सुविधा संपन्न बैरकों में मेहमान नवाजी जोरो पर है। सूत्र तस्दीक करते है कि जेल की काल-कोठरी लखमा पर भारी गुजर रही है। कई मौकों पर रासायनिक क्रिया समपन्न होने के बावजूद उनका वक़्त काटे नहीं कट रहा है। उनके स्वास्थ्य और सुविधाओं को लेकर जेल प्रशासन सतर्क बताया जाता है। रायपुर के मेकाहारा अस्पताल में 3 दिन पूर्व कवासी लखमा के स्वास्थ्य की जांच-पड़ताल कराई गई है, उनका हार्ट-मष्तिक, पेट, आंख, मुँह, नाक तमाम अंगों का डॉक्टरों ने जायजा लेकर मेडिकल रिपोर्ट  प्रशासन को सौंप दी है।

सूत्र तस्दीक करते है कि समुचित इलाज, दवा-दारू के प्रबंध के बावजूद लखमा के सिर सिर्फ भूपे का भूत सवार है, चीख-चीख कर वे पूर्व मुख्यमंत्री को, कोस रहे है, अपनी इस हालत की जिम्मेदारी उनके माथे मढ़ रहे है। उधर पूर्व मुख्यमंत्री भूपे बघेल की निलंबित उपसचिव सौम्या चौरसिया की भी VIP सुविधाओं में कटौती का सरकारी दावा भी जेल के भीतर दम तोड़ता नजर आ रहा है। उनकी पाँचों उँगलियाँ घी में और सिर कढ़ाई में बताया जाता है।

कई मौकों पर तो मैडम की उँगलियों में मोबाइल नुमा व्यक्तिगत उपयोग का सामान भी मनुष्य की तरह बोलने वाले यंत्र के रूप में दिखाई देता है, नजारा देखने के बाद कई महिला प्रहरी अपना मुँह तक मोड़ लेते है, शायद उन्हें बुरा मत देखों, बुरा मत सुनों और बुरा मत कहो ? जैसे गाँधीवादी दर्शन से अवगत करा दिया गया हो। सूत्र तस्दीक करते है कि पूर्व मुख्यमंत्री बघेल समय-समय पर अपनी संगी-साथियों की सुध ले रहे है। दावा किया जा रहा है कि कृपा यही से होकर आ रही है।

कैदियों के बीच आरोपी ताल ठोक कर दावा कर रहे है कि बीजेपी के शासन में काबिज होने के बावजूद, अभी भी उनकी तूती बोल रही है। सूत्र तस्दीक कर रहे है कि ईडी के तमाम प्रभावशील आरोपियों का विभिन्न जेलों में स्थानांतरण सिर्फ खानापूर्ति साबित हो रहा है। नए ठिकानों में उनकी निगरानी लगभग शून्य हो चुकी है। 700 करोड़ के कोल खनन परिवहन घोटाले में जेल में निरुद्ध आरोपी कोल माफिया सूर्यकान्त तिवारी, अनिल टुटेजा, समीर विश्नोई, रानू साहू, समेत अन्य घोटालेबाजों की VIP सुविधाओं में बढ़ोत्तरी के चर्चे जेल में आम हो गए है।

सूत्रों के मुताबिक रायपुर सेन्ट्रल जेल में एक बार फिर प्रभावशील विचाराधीन बंदियों का जमावड़ा लग गया है, यहाँ जेल मैनुअल के विरुद्ध उपलब्ध कराई गई VIP सुविधाओं को लेकर कैदियों में लगातार असंतोष फ़ैल रहा है। कई मौकों पर तनाव की स्थिति निर्मित हो रही है। आम कैदी भी स्वयं के लिए इसी तर्ज की सुविधाओं की मांग कर रहे है। उनके मुताबिक अस्पताल परिसर पर ईडी के ज्यादातर आरोपियों ने अपना कब्ज़ा जमा लिया है। यहाँ उनके खान-पान की विशेष व्यवस्था भी उपलब्ध कराई गई है। जबकि आम बंदियों का इलाज तो दूर उन्हें देखते ही भगा दिया जाता है। उनकी माने तो सिर्फ कैदियों को जेल एक्ट के पालन के लिए झोंक दिया गया है। 

रायपुर सेंट्रल जेल में प्रभावशील आरोपियों की सुविधाओं से खिन्न कैदियों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है, ज्यादातर बैरकों में ईडी के आरोपियों की मेहमान नवाजी को लेकर झड़प के आसार बढ़ गए है। सूत्र यह भी तस्दीक करते है कि कई मौकों पर कारोबारी अनवर ढेबर ने आपसी वाद-विवाद सुलझा कर मामला शांत भी किया है। बावजूद इसके तनाव के हालात दूर नहीं हुए है। बैरकों में आम कैदियों और ईडी के आरोपियों के बीच लगातार खाई खींचते जा रही है।

कोल खनन परिवहन घोटाले के अलावा महादेव ऐप सट्टा घोटाला, शराब घोटाला, PSC घोटाला, चावल घोटाला, DMF घोटाला समेत अन्य मामलों में ईडी और EOW के आरोपियों का रायपुर सेंट्रल जेल में तांता लगा हुआ है। हाल ही में ईडी के कई आरोपियों को क़ानूनी प्रक्रिया के तहत रायपुर सेंट्रल जेल से प्रदेश की विभिन्न सेंट्रल जेलों में स्थानांनतरित किया गया था। बताते है कि इसी क़ानूनी प्रक्रिया के दांवपेचों के चलते कई प्रभावशील आरोपियों की पुनः रायपुर जेल में वापिसी हो गई है। लिहाजा, जेल प्रशासन भी हैरान-परेशान बताया जाता है। 

उधर मुख्यमंत्री के कार्यालय और पीएमओ में भेजी गई एक शिकायत में ईडी के आरोपियों को प्राप्त मोबाइल-फ़ोन समेत VIP सुविधाओं का जिक्र करते हुए ऐसे बैरकों में विशेष निगरानी रखने की मांग की गई है। शिकायत में बताया गया है कि ईडी के ज्यादातर आरोपियों पर जेल एक्ट लागू नहीं है। यहाँ तक कि CCTV कैमरों से भी उन्हें दूर रखा गया है, जबकि आम कैदियों पर कायदे-कानून लाद दिए गए है।

इस शिकायत में यह भी दावा किया गया है कि ईडी के आरोपियों की मौज-मस्ती के जायजे के लिए गोपनीय आकस्मिक निरीक्षण कर हकीकत पता की जानी चाहिए। इधर न्यूज़ टुडे छत्तीसगढ़ को अपनी प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए रायपुर सेन्ट्रल जेल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने दावा किया है कि तमाम कारगर में जेल मैनुअल का पालन सुनिश्चित किया गया है। उनका दावा है कि जेल एक्ट के तहत ही बंदियों को सुविधाएं प्रदान की गई है, VIP सुविधा जैसा कोई मामला अभी सामने नहीं आया है, ना ही कोई शिकायत लंबित है।