दिल्ली/रायपुर: छत्तीसगढ़ के 36 हज़ार करोड़ के कथित नान घोटाले को लेकर नए तथ्य सामने आ रहे है। इस घोटाले को लेकर बिलासपुर से लेकर दिल्ली तक कानूनविदो की माथापच्ची जोरो पर है। दरअसल, मामला EOW की हाल ही में पंजीबद्ध उस FIR से जुड़ा है, जिसमे हाईकोर्ट से अग्रिम जमानत प्राप्त करने के लिए आरोपियों द्वारा जोड़-तोड़ और अदालत को गुमराह किये जाने से सम्बद्ध बताये जाते है।
अब एक एफिडेविट से खुलासा हुआ है कि पूर्ववर्ती बीजेपी सरकार के कार्यकाल में टुटेजा समेत कुछ चुनिंदा प्रभावशील आरोपियों को गिरफ्तारी से बचाने के लिए तत्कालीन चीफ सेक्रेटरी विवेक ढांड ने आपराधिक लापरवाही बरती थी। उन्होंने बतौर चीफ सेक्रेटरी अपने पद और प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए, घोटाले की जांच को ना केवल प्रभावित किया था बल्कि क़ानूनी प्रक्रिया के पालन को लेकर भी कोताही बरती थी। नतीजतन इस मामले को लेकर अब आरोपी आलोक शुक्ला ने अदालत में एक एफिडेविट दाखिल कर EOW में दर्ज FIR पर सवाल उठाये है।
उनका शपथ पत्र तस्दीक कर रहा है कि पहले पूर्ववर्ती मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के कार्यकाल में छत्तीसगढ़ शासन की आँखों में धूल झोंकते हुए प्रभावशील आरोपियों के खिलाफ जांच कमजोर की गई थी। इसके बाद कांग्रेस की भूपे सरकार के कार्यकाल में भी आरोपियों को बचाने के लिए कोर्ट को गुमराह किया गया, दस्तावेजों में जानबूझ कर गंभीर क़ानूनी त्रुटि बरती गई थी। इसका मकसद सिर्फ प्रभावशील और कुख्यात आरोपी अनिल टुटेजा को इस बड़े घोटाले को अंजाम देने के बावजूद अपराधों से सुरक्षित बाहर निकालना था। टुटेजा, पूर्व मुख्य सचिव के काफी करीबी और मौज-मस्ती के कई प्रकरणों में पार्टनर भी बताये जाते है। लेकिन अब आलोक शुक्ला का शपथ पत्र सामने आने के बाद घोटाले की सीबीआई जांच की मांग भी जोर पकड़ रही है।
छत्तीसगढ़ EOW ने हाल ही में रिटायर आईएएस द्वय क्रमशः अनिल टुटेजा और आलोक शुक्ला के खिलाफ अपराध पंजीबद्ध किया था। इस FIR के बाद आरोपियों की गिरफ्तारी को लेकर अटकलों का बाजार गर्म है। हालांकि पूर्व सुपर सीएम अनिल टुटेजा समेत उसके दर्जनों गुर्गे इन दिनों जेल की हवा खा रहे है। इस बीच आरोपी बनाये गए पूर्व खाद्य सचिव आलोक शुक्ला का एक एफिडेविट सामने आया है। इसमें उन्होंने ऐसे क़ानूनी सवाल खड़े किये है, जिसमें गिरफ्तारी के अलावा आरोपियों के खिलाफ दर्ज FIR को भी चुनौती दी गई है। अदालती गलियारे में यह एफिडेविट सुर्ख़ियों में है।
नान घोटाले की जांच प्रक्रिया को जानबूझ कर कमजोर किया गया था। इसमें मुख्य भूमिका विवेक ढांड ने निभाई थी। कांग्रेस सरकार के वर्ष 2018 लेकर 2023 तक के कार्यकाल में पूर्व मुख्य सचिव विवेक ढांड की ठीक वैसी ही तूती बोला करती थी, जैसे की बीजेपी सरकार के कार्यकाल में। लेकिन दोनों ही चुनी हुई सरकार को विवेक ढांड अपने तौर-तरीकों से हांक रहे थे। उनके बुने हुए जाल में कई कर्मचारी और अधिकारी कानून के शिकंजे में फंसते रहे। लेकिन टुटेजा और शुक्ला को समय पर गिरफ्तार कर अदालत में पेश करने के लिए तत्कालीन पुलिस के जिम्मेदार अधिकारियों के हाथ-पैर बांध दिए गए थे।
ऐसे हालात में पुलिस ने कोर्ट में नान घोटाले की सिर्फ चार्जशीट अदालत में पेश की थी। लेकिन प्रमुख आरोपियों टुटेजा एंड शुक्ला को गिरफ्तार करने में कोई रूचि नहीं दिखाई। अब इसी क़ानूनी पेंच की नई दास्तान आरोपी पूर्व आईएएस शुक्ला ने अदालत में पेश कर EOW की हालिया कार्यवाही को गैर-क़ानूनी करार दिया है। कानून के जानकार तस्दीक कर रहे है कि एफिडेविट के दाखिल होने के बाद पूर्व मुख्य सचिव ढांड की दागी कार्यप्रणाली उजागर हुई है।
अब उनके खिलाफ भी FIR दर्ज हो सकती है। दरअसल, सूत्र दावा कर रहे है कि तत्कालीन चीफ सेक्रेटरी ने नान घोटाले की चार्जशीट पेश करते वक़्त छत्तीसगढ़ पुलिस के कई जिम्मेदार अधिकारियों को प्रभावशील आरोपियों की गिरफ्तारी टालने के लिए दबाव डाला था।
जानकारी के मुताबिक रिटायर आईएएस आलोक शुक्ला ने नान घोटाले को लेकर अपने शपथ पत्र में कहा है कि वर्ष 2011 से लेकर 2014 तक घोटाले की जांच को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाये गए थे। इसके बाद अपराध क्रमांक 9/2015 दर्ज कर सिर्फ कुछ एक बिंदुओं पर विवेचना की गई थी। वर्ष 2018 में भी इसकी विवेचना पूरी होने के बाद जब अदालत में चार्जशीट पेश की गई तो उनके अलावा टुटेजा की भी गिरफ्तारी नहीं की गई थी।
यही नहीं वर्ष 2019 में अदालत से अग्रमि जमानत प्राप्त होने के पूर्व तक उन्हें गिरफ्तार नहीं किया गया था। इस शपथ पत्र में शुक्ला ने यह भी कहा कि 11 आरोपियों को जमानत का लाभ मिलने के बाद उन्हें अग्रिम जमानत प्राप्त हुई थी। ऐसे में उनके खिलाफ दर्ज FIR, बेबुनियाद तथ्यों पर आधारित है।
छत्तीसगढ़ के कथित नान घोटाले (नागरिक आपूर्ति निगम) को लेकर राजनैतिक गलियारा गरमाया हुआ है। इस मामले में एक नई FIR दर्ज होने के बाद आरोपियों की गिरफ्तारी को लेकर एक नई बहस छिड़ गई है। इस मामले में रिटायर आईएएस आलोक शुक्ला के शपथ पत्र से प्रशासनिक गलियारा गरमाया हुआ है। इस दौर में सिर्फ ढांड ही नहीं बल्कि कई और उन अधिकारियों का नाम सामने आ रहा है, जो घोटाले के लाभार्थी होने के बावजूद क़ानून को ठेंगा दिखा रहे थे। फ़िलहाल EOW की ओर से इस मामले को लेकर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं मिल पाई है। हालांकि सूत्र तस्दीक कर रहे है कि पूरी शिद्द्त के साथ EOW सरकार का पक्ष अदालत के समक्ष रख रहा है।