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एक हजार करोड़ के घोटाले में पूर्व चीफ सेक्रेटरी विवेक ढांड मास्टर माइंड ?  सप्तऋषि और भगवान भी मुख्य भूमिका में , सीबीआई जांच में आईएएस अधिकारियों के अलावा कई और के भी नपने के आसार ,जल्द कसेगा शिकंजा

रायपुर / आप ये जानकर हैरत में पड़ जायेंगे कि राज्य में समाज कल्याण विभाग में हुए घोटाले में शामिल सप्तऋषि और भगवान के मुखिया और कोई नहीं बल्कि पूर्व चीफ सेक्रेटरी विवेक ढांड ही थे | दस्तावेजी प्रमाण मिलते ही सीबीआई अधिकारियों ने उन अधिकारियों पर भी अपना शिकंजा कसना शुरू कर दिया है जो अदालत में खुद को बेकसूर बता रहे थे | अदालत ने 7 आईएएस अधिकारियों समेत एक दर्जन से ज्यादा अफसरों को घोटाले के लिए पार्टी बनाया था | याचिकाकर्ता ने भी इन अधिकारियों जिम्मेदार ठहराया था | दरअसल सीबीआई की एक टीम ने घोटाले से जुड़े दस्तावेजों की जब पड़ताल शुरू की तो उनकी आंखे भगवान और सप्तऋषि पर आकर टिक गई | दरअसल अज्ञात अफसरों के खिलाफ FIR दर्ज होने के बाद सीबीआई ने जब्त दस्तावेजों को खंगालना शुरू किया है | जांच पड़ताल के दौरान यह तथ्य सामने आया है कि एक हजार करोड़ से ज्यादा का घोटाला पूर्व चीफ सेक्रेटरी विवेक ढांड के इर्द गिर्द ही घूम रहा है | दस्तावेजों से प्रमाणित हो रहा है कि वे ही इस घोटाले के केंद्र बिंदु है , और सप्तऋषि व भगवान उनके निर्देश पर ही घोटाले की रकम को इधर से उधर कर रहे थे | दस्तावेज बताते है कि एनजीओं राज्य स्रोत संस्थान निःशक्तजन का गठन अक्टूबर 2004 में नगरीय प्रशासन विभाग के तत्कालीन सचिव विवेक ढांड के निर्देशन में गठित हुआ था | समाज कल्याण विभाग के तत्कालीन सचिव अथवा प्रमुख सचिव का नगरीय प्रशासन समाज के सचिव से किस तरह का लेनादेना था , इसकी पड़ताल की जा रही है | सीबीआई ने इस घोटाले मुख्य आरोपी और सह-आरोपियों की तलाश शुरू कर दी है | शुक्रवार को सीबीआई ने समाज कल्याण विभाग में दस्तक देकर कई दस्तावेज जब्त किये थे | इसके अलावा याचिका में संलग्न दस्तावेज सीबीआई के हाथों में है | सीबीआई ने अपने जांच बिंदु निर्धारित कर घोटाले की तह तक जाने का फैसला किया है | 

भारत सरकार द्वारा प्रतिवर्ष समाज कल्याण विभाग को दिव्यांगों और जरूरतमंदों के कल्याण के लिए करोड़ो की रकम आवंटित की जाती है | लेकिन छत्तीसगढ़ में कुछ चुनिंदा अफसर इस रकम को निर्धारित कार्यों में ना खर्च करते हुए अपनी तिजोरी में भरने का काम कर रहे थे |  दस्तावेजों से साफ़ हो रहा है कि विवेक ढांड ने ही इस फर्जीवाड़े को “सबका साथ सबका विकास” की तरह पर अंजाम दिया | उन्होंने अपने पद पर रहते समाज कल्याण विभाग में एक एनजीओं का गठन किया | जबकि इस एनजीओं के गठन का ना तो कोई औचित्य था और ना ही केंद्र सरकार द्वारा इसके गठन के लिए कोई दिशा निर्देश जारी किये गए थे | समाज कल्याण विभाग से जब्त दस्तावेजों की पड़ताल से सीबीआई अधिकारियों के संज्ञान में यह तथ्य आया है कि प्रथम दृष्टया  इस एनजीओं का गैर-क़ानूनी रूप से गठन किया गया था | गठन का मकसद गरीब दिव्यांगों के कल्याण के लिए आने वाले सरकारी रकम की बंदरबाट कर उस रकम को केवल अपने गिरोह में शामिल सदस्यों की तिजोरी में डालना था | बताया जाता है कि भारत सरकार दिव्यांगों के कल्याणार्थ सालाना करोडो रूपये छत्तीसगढ़ शासन के समाज कल्याण विभाग को आवंटित करती है | दस्तावेज बताते है कि  इस रकम को हड़पने के लिए विवेक ढांड ने एनजीओं का गठन कर एक नया उपक्रम खोला | इसके लिए सुनियोजित रूप से एनजीओं का राज्य के विभिन्न बैंकों में खाता खुलवाया गया | इन खातों में सरकारी रकम की जमा निकासी होती रही | आपराधिक षड्यंत्र को अंजाम देने के लिए जिला स्तरों के एनजीओं केंद्रों के बैंक खातों में जो भी सरकारी रकम  स्थानांतरित होती उसे राजेश तिवारी , अशोक तिवारी पंकज वर्मा एवं अन्य अपने पक्ष में नकद निकासी किया करते थे | इस रकम की निकासी के लिए बैंको के खाते खुलवाने से लेकर केंद्र आवंटित रकम के व्यव के लिए अफसरों ने ज्यादातर कार्य कागजी खानापूर्ति के जरिये किया था | दस्तावेज बताते है कि बैंको से नकद रकम की निकासी  विवेक ढांड के संज्ञान में लाकर बंदरबाट की जाती थी | 

जानिए कौन है सप्तऋषि और भगवान :

समाज कल्याण विभाग में अरबों के घोटाले की रकम की सप्तऋषियों और भगवान की तिजोरी में नियमित रूप से आवाजाही होती रही | सप्तऋषियों में वो सात आईएएस अधिकारी शामिल है , जिन्हे अदालत ने पार्टी बनाया है | इसमें पूर्व सीएस सुनील कुजूर, एसीएस एमके राउत , बीएल अग्रवाल , आलोक शुक्ला , पीपी सोती , हरमन खलखो और राजेश तिवारी शामिल है | सप्तऋषियों की सहयोगी टोली में सतीश पांडेय, अशोक तिवारी, एमएल पांडेय और पंकज वर्मा शामिल थे | इसके अलावा एक नाम “भगवान” का भी है | समाज कल्याण विभाग और एनजीओं में स्वघोषित भगवान को हर एक कर्मचारी और अधिकारी अच्छे से जानता पहचानता है | सीबीआई जल्द ही इस भगवान की शिनाख्ती कर उसका भी पर्दाफाश करेगी | 

खुद को बेगुनाह बताने वाले अफसर इस तरह से शामिल थे घोटाले में :

इस घोटाले में अपना नाम घसीटे जाने से अदालत का दरवाजा खटखटाने वाले अफसर असल में टेबल के नीचे से रकम का लेनदेन करते थे | कई अफसर समाज कल्याण विभाग में पदस्थ नहीं रहे | लेकिन इस घोटाले में बराबर के भागीदार थे | दरअसल राज्य का वित्त विभाग , आदिवासी विकास और कल्याण , श्रम , महिला एवं बाल विकास विभाग व अन्य सरकारी विभाग समाज कल्याण विभाग की कई योजनाओं को अपने विभाग के अंतर्गत क्रियान्वित करते थे | इन विभागों के प्रमुखों और कागजी एनजीओं के पदाधिकारियों का विवेक ढांड से जबरदस्त तालमेल था | इन सप्तऋषियों ने सरकारी रकम हड़पने के लिए यह पहले से ही तय कर रखा था कि उनके प्रभार वाले विभाग किसी भी सूरत में इस एनजीओं की गतिविधियों पर किसी भी तरह की आपत्ति दर्ज नहीं करेंगे | नतीजतन समाज कल्याण विभाग से लाभांवित होने वाले अन्य सरकारी विभागों के प्रमुख केंद्र प्रदत्त योजनाओं को लेकर आँख मूंदे रहे | बदले में घोटाले की रकम का नियोजित हिस्सा उनकी तिजोरी में जमा होते रहा | बताया जाता है कि सप्तऋषियों के साथ समाज कल्याण विभाग में तैनात   भगवान तालमेल का काम करता था | 

सीबीआई ने जब्त दस्तावेजों की प्राथमिक पड़ताल में नजर दौड़ाई है , उससे इतना तो खुलासा हुआ है कि समाज कल्याण विभाग को ये एनजीओं रिमोट कंट्रोल की तर्ज पर संचालित करता था | इसके गठन का मकसद केंद्र से मिलने वाली भारी भरकम रकम को एक सुनियोजित माध्यम से सप्तऋषियों एवं अन्य लाभार्थियों की तिजोरी तक पहुँचाना था | फिलहाल सीबीआई को उन तमाम आईएएस और गैर-आईएएस अधिकारियों के खिलाफ पर्याप्त सबूत प्राप्त हो गए है जिन्हे अदालत ने पार्टी बनाया था | माना जा रहा है कि जल्द ही वो उन अफसरों को FIR में नामजद करने की प्रक्रिया शुरू करेगी | गौरतलब है कि एक हजार करोड़ से ज्यादा के घोटाले की जांच के लिए सीबीआई भोपाल ने अज्ञात अफसरों के खिलाफ अपराध क्रमांक 222-2020 A 0001 IN AC IV BRANCH के तहत आईपीसी की धारा 420, 409 , 467 ,468 ,471 ,120 बी , U/S 13(2) 13(1) (D) भ्रष्ट्राचार निरोधक अधीनियम में मामला दर्ज किया है | 

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