
दिल्ली / रायपुर : – देश में दिव्यांगों के कल्याण के लिए साधु – संतों से लेकर केंद्र और राज्य सरकार सालाना अरबो की रकम पानी की तरह बहा रही है। यही परोपकार की भावना छत्तीसगढ़ में सरकारी धन की लूट – डकैती का बड़ा आधार साबित हो रही है। राज्य में आल इंडिया कैडर के टॉप के नौकरशाहों के बीच अवैध रूप से धन कमाने की लालसा एवं अंधाधुंद प्रतिस्पर्धा से न केवल प्रदेश की आम जनता का दम निकल रहा है, बल्कि पीएम नरेंद्र मोदी का ”न खाऊंगा और न खाने दूंगा” जैसा नारा भी बीजेपी सरकार के कर कमलों में मुरझाने लगा है।

भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति पूर्ववर्ती कांग्रेस की भू -पे सरकार की तर्ज पर बेमानी साबित हो रही है। बीजेपी को वोट देने वाले मतदाता उसकी सरकार के मात्र डेढ़ साल के कार्यकाल को देखकर 2028 में होने वाले विधानसभा चुनाव के परिणाम का अंदाजा लगाकर हैरत में है। ”पुत के पाँव, पालने में” नजर आने से बीजेपी संगठन और आरएसएस के कई वरिष्ठ नेताओं की नींद उडी हुई है। दरअसल, प्रदेश की बीजेपी इकाई ने विधानसभा चुनाव 2023 में जिस महा भ्रष्ट नौकरशाह पूर्व चीफ सेक्रेटरी विवेक ढांड के खिलाफ आग उगली थी, वही नौकरशाह अब सरकार के कुछ चुनिंदा राजनेताओं की गोद में बैठ गया है।

नतीजतन, भ्रष्टाचार की उच्चस्तरीय जाँच का चुनावी वादा खुद बा खुद भ्रष्टाचार की भेट चढ़ गया है। पूरवर्ती कांग्रेस सरकार के गिरोहबाज नौकरशाहों की बीजेपी राज में भी ”पौ बारह” बताई जाती है। अब ऐसे सत्ता के सौदागरों को सबक सिखाने के लिए अदालत को हस्तक्षेप करना पड़ रहा है। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने भ्रष्टाचार के मामले में सीबीआई को 15 दिनों के भीतर वैधानिक कार्यवाही सुनिचित करने के निर्देश दिए है।

आप जानकार हैरत में पड़ जाएंगे कि 1981 बेच के IAS और पूर्व चीफ सेकेट्री विवेक ढांड और उसका गिरोह दिव्यांगों की सेवा योजना के नाम पर 1000 करोड़ से ज्यादा की रक़म अपनी जेब में डाल चूका है। छत्तीसगढ़ शासन को चूना लगाने की उसकी कार्यप्रणाली सिर्फ यही नहीं थमी बल्कि शहर के मुख्य मार्ग पर उसने लगभग 5 एकड़ सरकारी भूमि पर अवैध कब्ज़ा कर लगभग 500 करोड़ में डेढ़ एकड़ जमीन एक कारोबारी समूह को बेच डाली। जानकारों के मुताबिक जमीन के शेष हिस्से को भी ठिकाने लगाकर आरोपी विवेक ढांड विदेश भागने की तैयारी में है। प्रदेश के 3200 करोड़ के शराब घोटाले में नामजद आरोपी विवेक ढांड के खिलाफ वैधानिक कार्यवाही और गिरफ़्तारी का मामला बीजेपी सरकार के दरबार में हिलोरें मार रहा है।

जानकारी के मुताबिक समाज कल्याण विभाग घोटाले को रफा – दफा करने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री बघेल ने सरकारी संसाधनों और विधि विभाग का जमकर दुरुपयोग किया था। विवेक ढांड पूर्व मुख्यमंत्री के अवैधानिक मामलों के सलाहकार और घोटालों के गुरु के रूप में कुख्यात है। लगभग 5 वर्ष पूर्व छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने 1 हजार करोड़ के समाज कल्याण घोटाले की सीबीआइ जांच के निर्देश दिए थे। इसे आरोपियों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। लम्बे समय से क़ानूनी दांवपेचों के चलते मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित रहा। लेकिन अब आरोपियों के अरमानों पर पानी फिर गया है।

छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने इस प्रकरण को चालू रखने का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा है कि सीबीआइ पांच फरवरी 2020 को भोपाल में दर्ज एफआइआर के साथ आगे कार्रवाई करेगी। गौरतलब है कि तत्कालीन भू – पे बघेल सरकार द्वारा राज्य में सीबीआई जांच पर रोक लगाए जाने के कारण उक्त प्रकरण मध्य प्रदेश में दर्ज किया गया था। कोर्ट ने यह भी साफ़ कर दिया है कि यदि एफआइआर दर्ज नहीं की गई है तो सीबीआइ को एफआइआर दर्ज होने की तारीख से 15 दिनों के भीतर राज्यभर में संबंधित विभाग, संगठन और कार्यालयों से प्रासंगिक मूल रिकार्ड जब्त कर वैधानिक कार्यवाही करनी होगी। छत्तीसगढ़ में कई वर्षो तक समाज कल्याण विभाग में भ्रष्टाचार का खेल जारी रहा। जानकारी के मुताबिक तत्कालीन मुख्यमंत्री भू – पे बघेल ने ”खाओ और खाने दो” का नारा देकर नौकरशाहों को भ्रष्टाचार की खुली छूट प्रदान की थी। इस घोटाले के उजागर होने के बाद विवेक ढांड ने राज्य में सीबीआइ जांच पर रोक लगाए जाने का वैधानिक कारणों वाली नोट सीट दौड़ाकर कानून को रद्दी की टोकरी में डाल दिया था। हालांकि अदालत के निर्देशों का पालन करते हुए सीबीआई ने उक्त प्रकरण को मध्य प्रदेश में दर्ज किया था।

यह भी तथ्य सामने आया था कि विवेक ढांड ने समाज कल्याण विभाग के तत्कालीन प्रभावशाली अधिकारी राजेश तिवारी के माध्यम से दर्जनों NGO के नाम से विभिन्न बैंकों में खाते खोले थे। ऐसे NGO में बोगस कर्मियों का वेतन जमा कर पूरी रकम हड़प ली जाती थी। कागजों में लगभग एक हजार कर्मियों की नियुक्ति करने के उपरांत उनके बैंक दस्तावेज, चेक बुक – पासबुक राजेश तिवारी के कब्जे में रखकर पूरी रकम अपने कब्जे में रख ली जाती थी। यही नहीं शिकायती NGO की समाज कल्याण विभाग से जारी ग्रांट भी रोकने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी जाती थी। पीड़ितों के मुताबिक विवेक ढांड के निर्देश पर राजेश तिवारी ने NGO संचालको का मुँह बंद करने के लिए उनके खिलाफ बलात्कार की झूठी शिकायतें कर पुलिस तंत्र का दुरुपयोग भी किया था।

समाज कल्याण विभाग घोटाले ने प्रदेश भर के दिव्यांगों और पीड़ितों के अरमानों पर पानी फेर दिया है, इन पीड़ितों की अदालत ने सुध ली है। पीड़ितों ने उम्मीद जाहिर की है कि राज्य की विष्णुदेव साय सरकार सरकारी तिजोरी लूटने वालो के प्रति अब नरम नहीं बल्कि कड़ा रुख अपनाते हुए वैधानिक कार्यवाही पर जोर देगी। उधर, आरोपी विवेक ढांड अपना मोबाईल स्विच ऑफ कर रायपुर स्थित आवास से नदारद बताये जाते है। यह भी बताया जा रहा है कि उन्होंने दिल्ली में अपने किसी पुराने प्रभावशाली बेचमेंट के ठिकाने पर डेरा जमा लिया है। सूत्रों के मुताबिक इस रिटायर वरिष्ठ आईएएस अधिकारी की केंद्रीय गृह मंत्रालय में पहुंच ”ऊँची” और पकड़ ”मजबूत” बताई जाती है। फ़िलहाल, देखना गौरतलब होगा कि निशक्तजनो के अरमानो पर पानी फेरने वाले आरोपी कब धर दबोचे जाते है।