नई दिल्ली / राजनीति में शह और मात का खेल आम नजारा है | ना कोई स्थाई दोस्त और ना कोई स्थाई दुश्मन | भले ही विपक्षी दल के प्रतिद्वंदी नेता क्यों न हो | बताया जा रहा है कि राजस्थान में अंतिम सांसे ले रही है कांग्रेस की सरकार को जिन्दा बनाये रखने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया मैदान में डटी है | उन्होंने लगभग दो दर्जन कांग्रेसी विधायकों को पाला बदलने से रोके रखा है | इनमे से ज्यादातर विधायक वो है , जिनकी अपने कार्यकाल में उन्होंने काफी मदद की थी | हालांकि इनमे से कुछ विधायक सचिन पायलट गुट के है , तो कुछ गहलोत से नाराज होकर पायलट के साथ खड़े होने में दिलचस्पी दिखा रहे थे | बताया जाता है कि इन विधायकों की मजबूत घेराबंदी वसुंधरा राजे ने की है | इस समीकरण के खुलासे के बाद राजस्थान के बड़े नेताओं में से एक राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के सांसद हनुमान बेनीवाल ने अपनी ही सहयोगी पार्टी बीजेपी की वसुंधरा राजे के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है | उन्होने वसुंधरा पर बड़ा आरोप लगाया गया है |
सांसद हनुमान बेनीवाल ने कहा कि अगर राजस्थान में कांग्रेस की सरकार बची है तो ये अशोक गहलोत के साथ वसुंधरा राजे की भी कोशिश है | वसुंधरा राजे ने अशोक गहलोत के साथ मिलकर सरकार को बचाया | उनके मुताबिक यहां तक कि पूर्व सीएम वसुंधरा राजे ने मनाने के लिए कांग्रेस विधायकों को फोन तक किए |
सांसद हनुमान बेनीवाल केंद्र में बीजेपी का समर्थन कर रहे है | उनकी पार्टी एनडीए में शामिल है | हनुमान बेनीवाल के इस आरोप के बाद बीजेपी में सनसनी फैल गई है | हनुमान बेनीवाल ने इस मामले को लेकर ट्वीट भी किया है | ट्वीट में उन्होंने कहा कि राजस्थान में सीएम अशोक गहलोत और पूर्व सीएम वसुंधरा राजे का गठजोड़ जनता के सामने खुलकर आ गया है | दोनों ने मिलकर एक दूसरे के शासन में दोनों के भ्रष्टाचार पर पर्दा डाला है |
उन्होंने खुलकर कहा कि पूर्व सीएम वसुंधरा राजे ने अशोक गहलोत की अल्पमत वाली सरकार को बचाने का पुरजोर प्रयास किया और अभी भी कर रही हैं | प्रदेश व देश की जनता वसुंधरा-गहलोत के आंतरिक गठजोड़ की कहानी को समझ चुकी है | सांसद हनुमान बेनीवाल ने ट्वीट कर आरोप लगाया कि राजस्थान में सरकार के मंत्री व सत्ता पक्ष के कई विधायक सीएम अशोक गहलोत की बाड़ेबंदी में कैद है | कांग्रेस के शासन से जनता त्रस्त है , किसान टिड्डी से परेशान हो रहे हैं | लोगों के काम नहीं हो रहे हैं. यह लोकतांत्रिक व्यवस्था का अपमान है, जिसके जिम्मेदार स्वयं गहलोत है.उन्होंने यह भी कहा कि अल्पमत के कारण अशोक गहलोत ने अपने अवसाद को मीडिया पर थोप रहे है | बेहतर होगा कि वो अपने स्वास्थ्य को मद्देनज़र रखते हुए लोकतंत्र के सम्मान में स्वयं आगे आकर सीएम पद से त्याग पत्र दे दें |
उधर जयपुर हाईकोर्ट में गहलोत सरकार के नोटिस को लेकर सत्ता पक्ष और बागी सचिन पायलट गुट की याचिका पर प्राथमिक सुनवाई हो चुकी है | आज एक बार फिर इस मामले की सुनवाई होगी | सुनवाई के दौरान हरीश साल्वे ने कहा था कि सदन से बाहर की कार्यवाही के लिए विधानसभा अध्यक्ष नोटिस जारी नहीं कर सकते. नोटिस की संवैधानिक वैधता नहीं है. नोटिस को तुरंत रद्द कर इसे असंवैधानिक घोषित किया जाए. दूसरी तरफ कांग्रेस ने सचिन पायलट और उनके समर्थक 18 अन्य विधायकों के खिलाफ आरोप लगाते हुए कहा है कि इन्होंने व्हिप की अवहेलना की थी | कहा जाता है कि इस मामले में हाईकोर्ट का फैसला सचिन पायलट की अगली राह को निर्धारित करेगा |