छत्तीसगढ़ में पूर्व मुख्यमंत्री बाप-बेटे का जांच में असहयोग, गिरफ्तारी के आसार, नोटिस के बावजूद ईडी दफ्तर में अब तक नहीं कराई उपस्थिति दर्ज, असलियत पर पर्दा डालने के लिए झूठ का सहारा, जानिए हकीकत….

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दिल्ली/रायपुर: छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री बघेल के पुत्र चैतन्य बघेल ने आय के स्रोतों का जवाब देने के लिए लंबे वक़्त की मांग की है। 19 मार्च को तलब किये जाने के दौरान चैतन्य बघेल ने अपने वकीलों के जरिये ED से मोहलत मांगी है। हालांकि यह पता नहीं चल पाया है कि एजेंसियों ने अगली तिथि कब निर्धारित की है ? बताते है कि चैतन्य बघेल को प्रवर्तन निर्देशालय के कार्यलय में उपस्थित होने के लिए लगातार सूचित किया जा रहा है। लेकिन वे स्वयं अपनी मौजूदगी दर्ज ना कराते हुए वकीलों को आगे कर रहे है। पूर्व मुख्यमंत्री के पुत्र की ED दफ्तर से बनी दूरी का मामला जांच में असहयोगात्मक रवैये से जोड़ कर देखा जा रहा है। जबकि पूर्व मुख्यमंत्री बघेल ने हालिया दावा किया था कि उनके पुत्र को ED की ओर से कोई समन जारी नहीं किया गया है।

सूत्र तस्दीक करते है कि असलियत उजागर होने के बाद फेस सेविंग में जुटे पूर्व मुख्यमंत्री ने उनके ठिकानों में छापेमारी के बाद ED की कार्यवाही को लेकर झूठे दावे किये थे। उन्होंने लोगों को गुमराह करते हुए दावा किया था कि ED का कोई नोटिस नहीं मिला है। आय से अधिक संपत्ति और छापेमारी में जब्त नगदी की जवाबदेही को लेकर अब पूर्व मुख्यमंत्री का कुनबा खूब सुर्खियां बटोर रहा है। छत्तीसगढ़ में पूर्व मुख्यमंत्री करप्शन बघेल और उनके पुत्र की गिरफ्तारी को लेकर क़ानूनी दांवपेचों का दौर जोरो पर है। ‘तू डाल-डाल, तो मैं पाद-पाद’ की तर्ज पर जांच एजेंसियों और पूर्व मुख्यमंत्री बघेल और उनके पुत्र चैतन्य बघेल के बीच आंख मिचौली का खेल जारी है।

ED की टीम ने पूर्व मुख्यमंत्री के पुत्र के कई ठिकानों पर हालिया छापेमारी की थी। इस दौरान करोड़ों की चल-अचल संपत्ति के अलावा 33 लाख की नगदी जब्त होने की खबर सुर्ख़ियों में रही है। इसके बाद खुद के बचाव में जुटे पूर्व मुख्यमंत्री बघेल ने दावा किया था कि ED की ओर से तलब किये जाने का अभी कोई नोटिस प्राप्त नहीं हुआ है। उन्होंने एजेंसियों की छापेमारी पर एतराज जताते हुए केंद्र और राज्य सरकार पर राजनैतिक हमले भी किये थे। लेकिन अब हकीकत सामने आ रही है। सूत्र तस्दीक करते है कि 19 मार्च 2025 को चैतन्य बघेल को ED ने दोबारा तलब किया था। लेकिन वे उपस्थित नहीं हुए थे। अलबत्ता उनकी ओर से पेश क़ानूनी सलाहकारों ने अपरिहार्य कारणों का हवाला देते हुए चैतन्य की व्यक्तिगत उपस्थिति को लेकर समय की मांग की थी। बताते है कि संदेहियों के आवेदन के बाद एजेंसियों ने नई तिथि में उपस्थित सुनिश्चित कराने के लिए क़ानूनी प्रक्रिया शुरू कर दी है।

जांच में सहयोग नहीं कर रहे पूर्व मुख्यमंत्री पिता-पुत्र
जानकारी के मुताबिक ED की छापेमारी के बाद जब्त नगदी के स्रोतों को लेकर जांच-पड़ताल जारी है। बताते है कि चैतन्य बघेल के आय के स्रोतों की जारी जांच में उस समय अवरोध पैदा हो रहा है, जब दोनों ही संदेही (पिता-पुत्र) एजेंसियों द्वारा मांगी गई जानकारी उपलब्ध कराने में हीला- हवाली बरत रहे है। सूत्र तस्दीक करते है कि छापेमारी के दौरान जब्त रकम को लेकर संदेही कोई संतोषजनक जवाब अभी तक उपलब्ध नहीं करा पाए है। गौरतलब है कि ED ने इसी छापेमारी में जब्त सामग्री को लेकर अभी तक कोई आधिकारिक जानकारी नहीं दी है।जबकि पूर्व मुख्यमंत्री बघेल ने दावा किया था कि ED की टीम ने 33 लाख की रकम जब्त की है।

उनके आवास में बुलाई गई नोट गिनने की मशीन को लेकर भी बघेल ने आपत्ति जाहिर की थी। एजेंसियों के गलियारे में चर्चा है कि लाखों की जब्त रकम के स्रोत एवं आय के अन्य स्रोतों को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री पिता-पुत्र की ओर से कोई ठोस जवाब-प्रमाण नहीं दिया गया है। इसे उपलब्ध कराने के बजाय पूर्व मुख्यमंत्री जहाँ एजेंसियों पर हमलावर रुख अपना रहे है, वही उनके पुत्र चैतन्य बघेल ने भी ED दफ्तर से दूरियां बना ली है। सूत्रों के मुताबिक चैतन्य बघेल की ओर से पेश आवेदन पर गौर फरमाते हुए एजेंसियों ने हफ्तेभर की मोहलत दी थी। उसकी म्याद भी जल्द ख़त्म होती बताई जा रही है।

यह भी बताया जाता है कि जांच में सहयोग करने के बजाय पूर्व मुख्यमंत्री और उनके पुत्र भाग खड़े हुए है, क़ानूनी दांवपेचों का सहारा लेकर उनके द्वारा पूछताछ की प्रक्रिया टाली जा रही है। ED सूत्रों के मुताबिक जांच में असहयोगात्मक रवैया अपनाने के हथकंडों से वाकिफ एजेंसी अब अपनी क़ानूनी शक्ति के उपयोग को लेकर माथापच्ची कर रही है। जांच में सहयोग नहीं करने के प्रकरणों में ED को संदेहियों की गिरफ्तारी का कानूनन अधिकार प्राप्त है। माना जा रहा है कि एजेंसियां सबूतों के आधार पर अब पूर्व मुख्यमंत्री और उनके पुत्र के खिलाफ वैधानिक कार्यवाही करने पर विचार कर रही है।

पूर्व मुख्यमंत्री बघेल के आवास में ED की छापेमारी के दौरान जब्त लाखों की रकम के स्रोतों को लेकर जांच में गतिरोध कायम बताया जाता है। बताते है कि जांच में सहयोग नहीं करने के चलते विवेचना बाधित हो रही है, ऐसी स्थिति में एजेंसियां संदेहियों की गिरफ्तारी की ओर अपने कदम बढ़ा सकती है। जानकार तस्दीक करते है कि चैतन्य बघेल को अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए अंतिम मौका दिया गया है। नई तिथि पर भी उनकी उपस्थिति दर्ज नहीं होने के बाद एजेंसियां सख्त कदम उठा सकती है। इसे लेकर गहमा-गहमी देखी जा रही है।

जानकारी के मुताबिक बघेल के ठिकानों से जब्त नगद रकम के स्रोतों की पुख्ता जानकारी मुहैया नहीं कराये जाने का मामला गंभीर बताया जाता है। ED के बार-बार जानकारी मांगे जाने के बावजूद आय के स्रोतों की मूल जानकारी देने के मामले में पूर्व मुख्यमंत्री पिता-पुत्र सदमे में बताये जाते है, पूरे परिवार के चुप्पी साध लेने के चलते संदेहियों पर एजेंसियों का शक लगातार गहराते जा रहा है। जब्त रकम की बैंक अथवा अन्य स्रोतों से आहरण-निकासी की जानकारी छिपाने का मामला मनी लॉन्ड्रिंग के दायरे में बताया जाता है।

यह भी बताया जा है कि कृषि आय साबित करने का संदेहियों का पैतरा भी काम नहीं आया है। बताते है कि सरकारी योजनाओं के तहत धान की खरीदी-बिक्री का ब्यौरा बाकायदा डिजिटल प्रणाली के अंतर्गत क्रियान्वित होता है, इसके तहत पूर्व मुख्यमंत्री के पारिवारिक सदस्यों की कृषि आय और ऋण समेत फसलों की बिकवाली का पूरा ब्यौरा बैंकों और सरकार की विभिन्न सहकारी संस्थाओं के अभिलेखों में दर्ज है। ऐसी स्थिति में नगद रकम का हिसाब-किताब देना संदेहियों के लिए टेढ़ी खीर साबित हो रहा है, 33 लाख के आय के स्रोतों की समुचित जानकारी देने तक में पूर्व मुख्यमंत्री पिता-पुत्र के पसीने छूट रहे है। जानकारों के मुताबिक 33 लाख की नगदी को कृषि आय साबित करने में संदेही नाकाम नजर आ रहे है।

पूर्व मुख्यमंत्री बघेल की करीबी उपसचिव सौम्या चौरसिया ने अपनी अवैध आमदनी छिपाने के लिए कृषि आय का सहारा लिया था। करोड़ों की अर्जित संपत्ति की खरीदी में आय के स्रोतों को कृषि से होने वाली आमदनी दर्शाई गई थी। इसमें सौम्या चौरसिया का करीबी दीपेश टोंक की भी महत्वपूर्ण भूमिका सामने आने के बाद एजेंसियों ने उसके खिलाफ वैधानिक कार्यवाही की थी। बताते है कि भ्रष्टाचार की आय छिपाने के ऐसे ही मामले में इन दिनों सौम्या चौरसिया जेल की हवा खा रही है। आर्थिक अपराधों के जानकारों के द्वारा यह भी बताया जाता है कि पिता के रसूख के चलते चैतन्य बघेल ने मात्र 5 वर्ष के भीतर अरबों की संपत्ति अर्जित की थी। उनके ठिकानों से जब्त लाखों की नगदी के आय के स्रोत शराब घोटाले से जोड़ कर देखे जा रहे है।

जानकारों के मुताबिक नियमों के तहत कारोबारियों, उद्योगपतियों और अन्य लोगों को 20 हज़ार की नगद रकम एक मुश्त रखने और बैंकों के जरिए रोजाना 2 लाख से तक की रकम के आहरण-भुगतान का प्रावधान है। विशेष परिस्थितियों में आयकर के नियमों की पालन प्रक्रिया के तहत ही मोटी रकम सहेज कर रखी जा सकती है। पूर्व मुख्यमंत्री के ठिकाने से बरामद रकम के स्रोत सामने नहीं आने से माना जा रहा है कि बघेल एंड कंपनी अभी भी गोलमाल में जुटी है। फ़िलहाल, संदेहियों का इंतज़ार ED दफ्तर में पलक पावड़े बिछाकर हो रहा है। वही दूसरी ओर पूर्व मुख्यमंत्री और उनके पुत्र मामले को रफा-दफा करने के लिए जी-जान से जुटे बताये जाते है।