छत्तीसगढ़ में सरकारी शराब कारोबार से खदेड़े गए पूर्व मुख्यमंत्री बघेल के समर्थक, खरोरा-भाटापारा से दर्जनों की छुट्टी, हिसाब-किताब में गड़बड़ी और कैश पर हाथ साफ, सुर्ख़ियों में आबकारी महकमा…..

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रायपुर: छत्तीसगढ़ का आबकारी महकमा सुर्ख़ियों में है। प्रदेश में अब शराब के शौंकीनों को लगभग 300 ब्रांड 24X7 उपलब्ध होंगे। नई आबकारी नीति के तहत ऐसे ही कई दावे किये जा रहे है। महँगी शराब के बावजूद देशी-विदेशी शराब की ब्रिकी में आई तेजी से सरकारी तिजोरी में आवक भी जोरो पर बताई जा रही है। इस बीच पूर्व मुख्यमंत्री भूपे बघेल के राइट-लेफ्ट माने जाने वाले कांग्रेसी नेता गिरीश देवांगन के दर्जनों सहभागियों को सरकारी दुकानों से जुड़े समस्त कार्यों से खदेड़ दिया गया है। बताया जाता है कि स्टॉक, हिसाब-किताब और लेन-देन में गोलमाल पाए जाने के बाद रायपुर के आबकारी अमले ने ऐसे कई कर्मियों को विभाग से बाहर का रास्ता दिखा दिया है।

सरकारी शराब दुकानों में ओवर रेटिंग कराये जाए की घटना सामने आने के बाद जांच में सामने आया था कि खदेड़े गए कर्मियों को खरोरा में निवासरत एक स्थानीय कांग्रेसी नेता का ही संरक्षण प्राप्त था। आबकारी विभाग से जुड़ी कई गतिविधियों में पूर्व सरकार द्वारा नियुक्त सैकड़ों कर्मियों की तैनाती अभी भी जारी रहने से बताया जाता है कि शराब तस्करी की घटनाये बढ़ने के साथ-साथ ओवर रेटिंग के मामले सामने आ रहे है।

इन कार्यों में कांग्रेसी नेताओं के समर्थकों का बोलबाला बताया जाता है। कांग्रेसी कार्यकाल में खरोरा-भाटापारा के अलावा अन्य स्थानों में भी नियुक्त कर्मियों की निष्ठा को लेकर विभाग में गतिरोध देखा जा रहा है। सूत्र तस्दीक करते है कि शराब की खरीद-फरोख्त से लेकर उसके परिवहन से जुड़े तमाम कार्यों में बहुतायत उन कारोबारियों और कर्मियों की संलिप्ता देखी जा रही है, जिसे पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने उपकृत किया था।

यह भी बताया जाता है कि राज्य सरकार की मौजूदा आबकारी नीति को फेल करने के लिए विरोधियों का धड़ा जोर-शोर से जुटा हुआ है। इस कवायत के बीच खरोरा-भाटापारा से राजनैतिक दल से सबंद्ध कर्मियों की छुट्टी चर्चा का विषय बनी हुई है। विभागीय सूत्र तस्दीक कर रहे है कि 70 से अधिक ऐसे और कर्मी है, जिनके खिलाफ ब्लैक लिस्ट किये जाने के बाद उनके खिलाफ FIR की कार्यवाही अभी लंबित बताई जाती है।

उधर आबकारी उपायुक्त विकास गोस्वामी ने न्यूज़ टुडे छत्तीसगढ़ से चर्चा करते हुए बताया कि तय दर से अधिक कीमत पर शराब बिक्री के प्रकरण सामने आने पर वैधानिक कार्यवाही की जा रही है। एक सवाल के जबाव में उन्होंने कहा कि विभाग को राजनीति और किसी नेताओं से कोई लेना-देना नहीं है, शिकायत मिलने पर जांच के उपरांत दंडनीय कार्यवाही की जाएगी। इधर शराब के शौंकीन तस्दीक करते है कि रायपुर आउटर से जुड़ी ज्यादातर दुकानों में ओवर रेटिंग आम बात है, दुकान खोलने के कुछ देर तक ही तय दरों पर सेल्स मैन शराब की बिक्री करते है, लेकिन अधिकारीयों के निरीक्षण की संभावना नजर नहीं आने पर, अधिक कीमत पर बिक्री की जाती है।

पीड़ित यह भी बताते है कि ज्यादातर दुकानों के CCTV कैमरे या तो बंद है, या फिर उसका फोकस बाधित कर दिया गया है। इससे विभाग हकीकत से बेखबर है। बहरहाल, खरीद-फरोख्त पर चौकसी बरते जाने के साथ-साथ अवैध शराब की तस्करी रोकने के लिए चलाया जा रहा विभागीय अभियान सुर्ख़ियों में है। एका एक विभागीय सक्रियता से तस्करों की असलियत उजागर हो रही है।

आबकारी विभाग ने मंदिर हसौद क्षेत्र में एक तस्कर को 9 राज्यों की प्रीमियम ब्रांड 3 लाख की महंगी शराब के साथ रंगे हाथों गिरफ्तार किया है। आरोपी दंतेवाड़ा जिले का रहने वाला है, जो पेशे से अवैध शराब का कारोबारी बताया जाता है। दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, गोवा, महाराष्ट्र, उत्तरप्रदेश, राजस्थान, कर्नाटक एवं मध्यप्रदेश राज्यों की प्रीमियम ब्रांड की 64 बोतल शराब बरामद की गई है। बताते है कि तस्कर का सीधा कनेक्शन कुछ कांग्रेसी नेताओं के साथ पाया गया है। एक अन्य घटना में शंकर नगर क्षेत्र के कचना मार्ग पर एक नैनों कार की तलाशी लेने पर उसमे से 60 हज़ार कीमत की शराब बरामद की गई है।

इस कार से 230 नग केन बीयर और विशेष ब्रांड की 7 बोतल शराब बरामद की गई है। हालांकि कार चालक ने अपने आका का नाम नहीं उगला है। आरोपी के तार पूर्व मुख्यमंत्री भूपे के गृह नगर दुर्ग स्थित कई होटल-बार से लिंक पाए गए है। इसी प्रकार तिल्दा में भी अलग-अलग जगह से दो तस्करों से कुल 210 लीटर शराब से भरी बोलते जब्त की गई है। विभाग के मुताबिक इन तीनों प्रकरण में आरोपियों को कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया गया है।