छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के सफाये के लिए पूर्व मुख्यमंत्री बघेल जिम्मेदार, नए नेतृत्व की मांग ने पकड़ा जोर, भूपे को ED का न्यौता जल्द, लटकी गिरफ्तारी की तलवार…… 

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रायपुर: छत्तीसगढ़ में लोकसभा चुनाव के परिणामों ने प्रदेश में कांग्रेस के सफाये की राह तय कर दी है। विधान सभा चुनाव की तर्ज पर लोकसभा में भी पूर्व मुख्यमंत्री भूपे बघेल को जनता ने नकार दिया है। राजनांदगांव में उनकी करारी हार को भ्रष्टाचार और राजनैतिक कुकर्मों से जोड़ कर देखा जा रहा है। कई कांग्रेसी तस्दीक कर रहे है कि नए नेतृत्व के बगैर पार्टी का कायाकल्प नहीं होगा। उनका मानना है कि भूपे और सौम्या के गठजोड़ से भुलाये ना भूलने वाले भ्रष्टाचार और अपराधों से कांग्रेस की हालत खस्ता है। 

विधान सभा में हार की समीक्षा नहीं हुई थी, क्योंकि ठीकरा भूपे पर फूटना तय था। लेकिन लोक सभा में भी पार्टी का प्रदर्शन बेहद ख़राब रहा। कई जमीनी कार्यकर्त्ता यही तस्दीक करते हुए, कहते है कि बगैर भूपे को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाए बगैर कांग्रेस की नैया पार नहीं हो सकती। उनके मुताबिक जनता ने बघेल का नेतृत्व ख़ारिज कर दिया है। लिहाजा आलाकमान को कांग्रेस की जिम्मेदारी नए हाथों को सौंपनी चाहिए। राज्य में लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को एकमात्र सीट कोरबा से ही संतुष्ट होना पड़ा है, जबकि 11 में से 10 सीटों पर बीजेपी का परचम लहरा रहा है।

कोरबा लोकसभा सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी ज्योत्सना महंत ने जीत दर्ज की है। ज्योत्सना ने भाजपा प्रत्याशी सरोज पांडेय को 40 हजार से ज्यादा वोट से मात देकर लगातार दूसरी बार सांसद बनी है। जबकि राजनांदगांव सीट से भूपे बघेल को करीब 45 हज़ार वोटों से करारी हार का सामना करना पड़ा है। अंदेशा जाहिर किया जा रहा है कि पूर्व मुख्यमंत्री भूपे बघेल के जेल जाने पर कांग्रेस की स्थिति और ख़राब होगी। उनके भ्रष्टाचारों से पार्टी को किनारा करना भी भारी पड़ेगा।

दरअसल भूपे ने छत्तीसगढ़ सरकार की तिजोरी को कांग्रेस का एटीएम बना दिया था। बड़े पैमाने पर सुनियोजित भ्रष्टाचार को अंजाम देने के चलते भूपे ब्रिगेट सुर्ख़ियों में है। आईटी, ईडी, सीबीआई और EOW जैसी कई एजेंसिया भूपे सरकार के काले कारनामों की जांच में जुटी है। बघेल के कई करीबी नौकरशाह और कारोबारी संगी – साथी इन दिनों जेल  की हवा खा रहे है। सूत्र बताते है कि अब बारी भूपे बघेल की है। कई गंभीर आर्थिक अपराधों को लेकर एजेंसियों का शिकंजा उन पर कस सकता है।

यह भी बताते है कि ED जल्दी ही भूपे और उनके पुत्र बिट्टू को अपनी गिरफ्त में ले सकती है। महादेव ऐप्प, शराब और कोल खनन परिवहन घोटाले में बघेल सीधे तौर पर लिप्त बताये जाते है। तमाम घोटालों और अपराधों को बतौर मुख्यमंत्री बघेल का संरक्षण प्राप्त बताया जाता है। राजनीति के जानकार तस्दीक कर रहे है कि लोकसभा चुनाव परिणामों के बाद बघेल की राजनीति हासिये पर आ गई है। प्रदेश की जनता ही नहीं बल्कि कांग्रेस के भीतर भी उन्हें खलनायक के रूप में देखा जा रहा है। उन्हें पार्टी के लिए खतरा भी बताने वाले कार्यकर्ताओं की कोई कमी नहीं है।

बताते है कि मौजूदा दौर की राजनीति में अपनी अस्मिता खो चुके बघेल के राजनैतिक भविष्य पर विराम लग गया है। उनकी गिरफ्तारी को लेकर भी अटकले तेज हो गई है। जानकारी के मुताबिक बीते 5 सालों में बघेल एंड कंपनी का इतना विकसित हुआ है कि उनके नए ठिकाने दुबई और खाड़ी देशों तक बन गए है। इन देशों में छत्तीसगढ़ की तिजोरी से हाथ साफ की गई भारतीय मुद्रा को डिजिटल करेंसी में तब्दील कर दुबई भेजे जाने के कई सुराग एजेंसियों को हाथ लगे है।

सूत्रों के मुताबिक ढेबर बंधू, भिलाई के भाटिया ब्रदर्स और टुटेजा एंड कंपनी समेत कई कारोबारियों ने बघेल की बेनामी सम्पत्तियों को ठिकाने लगाने के लिए कई नए अपराधों को अंजाम देने के मामले में कोई कसर बाकि नहीं छोड़ी है। एजेंसियों की विवेचना में यही तथ्य सामने आ रहा है। सूत्रों के मुताबिक दुबई में बड़े पैमाने पर चल – अचल संपत्ति ख़रीदे जाने को लेकर भूपे बघेल से भी कड़ाई से पूछताछ हो सकती है। जल्द ही उन्हें ED का न्यौता मिल सकता है। सूत्रों के मुताबिक चुनाव में व्यस्त बघेल अब फुर्सत में है। देश  – विदेश में हवाला करने के साथ – साथ बैंको से भी डिजिटल करेंसी के माध्यम से भारतीय मुद्रा को इधर से उधर करने के मामले में ढेबर बंधुओं की तर्ज पर उनसे भी पूछताछ हो सकती है।

छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के परिणाम अब सबके सामने हैं। राज्य की 90 विधानसभा सीटों में से 54 पर बीजेपी ने जीत दर्ज कर ली है। कांग्रेस पार्टी को 35 सीटें मिली, जबकि GGP भी एक सीट जीतने में सफल रही। बात अगर वोट शेयर की करें तो राज्य में बीजेपी को 46.27% वोट मिले जबकि कांग्रेस पार्टी 42.23% वोट हासिल कर पाई थी। बीएसपी को 2.05% वोट मिले जबकि 1.26% लोगों ने नोटा पर भरोसा जताया।

बताते है कि लोकसभा चुनाव में जनता के बीच गए कई विधायकों ने पूर्व सीएम बघेल को लेकर कई शिकवा – शिकायते की थी। इसके चलते पूर्व मंत्री और अच्छे उम्मीदवारों को हार का सामना करना पड़ा है। नाम ना छापने की शर्त पर कई कांग्रेसी नेता तस्दीक करते है कि आने वाले लगभग साढ़े चार साल पार्टी पर भारी गुजरेंगे। राज्य की विष्णु देव सरकार ने भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति अपनाई हुई है। वैसे ही हमारे आधे नेता और अधिकारी जेल में है, खुद बघेल बेल में है, ऐसे में जनता के बीच मुँह तक दिखाना मुश्किल हो रहा है।