पूर्व मुख्यमंत्री बघेल को अभयदान, अब नहीं होंगे गिरफ्तार ? सुशासन के लाभार्थियों पर एक नजर….
छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री बघेल के दिशा निर्देशों के तहत कामकाज निपटाने वाले दागी अधिकारियों और कारोबारियों को अदालत से जमानत का लाभ प्राप्त हुआ है। गुणदोष के आधार पर शीर्ष अदालत ने तमाम आरोपियों की सशर्त जमानत स्वीकार की है। उनकी रिहाई के बाद पूर्व मुख्यमंत्री बघेल को प्राप्त अभयदान की चर्चा भी जोरो पर है। राजनैतिक गलियारों से जारी होने वाले बुलेटिन में दावा किया जा रहा है कि पूर्व मुख्यमंत्री की गिरफ्तारी का योग टल गया है। उनके गिरोह के सदस्यों को जमानत का लाभ प्राप्त होने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री के दोनों हाथ का पंजा ‘घी’ में और सिर कढ़ाई में बताया जाता है। यह भी बताया जाता है कि अब बघेल के सिर से संकट रफू चक्कर हो चूका है। दावा किया जा रहा है कि बीजेपी सरकार ने उन पर झूठे लांछन लगाए थे। पूर्व मुख्यमंत्री ने प्रदेश में ना तो कोई घोटाला किया और ना ही किसी भी घोटालेबाज को संरक्षण प्रदान किया था। नतीजतन, आम पीड़ित जनता की तर्ज पर पूर्व मुख्यमंत्री को भी सुशासन का लाभ प्राप्त हुआ है। भूपे गिरोह की तस्दीक कर रहे जानकार यह भी बताते है कि भूपे ‘सोने की चिड़िया’ पर सवार है, वो इतनी आसानी से भगवा ब्रिगेट के शिकंजे में नहीं फंसने वाला। बहरहाल, पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार भले ही घोटालों की भेट चढ़ गई हो, लेकिन उसका सरताज बीजेपी के गलियारों में अपने ही पंजे पर कमल खिला रहा है। इसके दूरगामी परिणाम सत्ताधारी दल के पक्ष में आएंगे या फिर विरोधी दल फिर मारेगा बाजी ? फ़िलहाल तो सौम्या की रिहाई के बाद भूपे के हौसले बुलंद बताये जाते है।

मन की बात ट्विटर से जाहिर करेंगे पूर्व मुख्यमंत्री….
मन की बात ट्विटर से ? X पोस्ट पर पूर्व मुख्यमंत्री जोर-शोर से अपना गुबार जाहिर करते है, लेकिन इस मामले में उनकी बोलती बंद है। छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री बघेल के X पोस्ट पर विरोधियों की गतिविधियों और मंशा से रूबरू कराया जाता है। इधर घटना-दुर्घटना हुई उधर पूर्व मुख्यमंत्री X पोस्ट पर अपने मन की बातें करते है। राजनीति और प्रशासन में घालमेल उनके खास विषय होते है। लेकिन प्रदेश के एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम पर पूर्व मुख्यमंत्री ने अभी तक अपना ज्ञान नहीं उड़ेला है। सौम्या चौरसिया सशर्त जमानत पर अपने ठिकाने पहुँच गई, उसने उन दो शावकों को गोद में उठा लिया, जिन्हे राजपुत्रों का दर्जा प्राप्त है। सूर्या अपार्टमेंट में जिस किसी ने भी इस नज़ारे को देखा उनकी आंखे पिता के ऐसे ही प्यार को लेकर नम पड़ गई। कहते है कि सौम्या जेल परिसर में ही लोगों को हकीकत से वाकिफ कराना चाहती थी। राजपुत्रों का अवतरण कैसे हुआ ? उस विचित्र टेक्नोलॉजी को आम लोगों से साझा करना चाहती थी। लेकिन जेल के कतिपय अफसरों ने सौम्या के अरमानों पर पानी फेर दिया। बताया गया कि अब ‘दाऊ’ ही संतानों के मालिकाना हक़ का निर्धारण करेंगे ? भ्रष्टाचार के महारानी के पूर्व मुख्यमंत्री के आवास की ओर बढ़ते क़दमों को थाम दिया गया है, करीबियों को X पोस्ट पर मंशा जाहिर करने की बात कही गई है। फ़िलहाल, साहब के X पोस्ट का बेसब्री से इंतजार हो रहा है। सौम्या और उसके कब्जे में अठखेलियां कर रहे बच्चों को उनके पिता का प्यार मिलेगा या नहीं ? इस ओर साहब के ख्यालातों का इंतजार किया जा रहा है।

सदगति को प्राप्त हुआ बीजेपी का सुशासन….
जनता से यारी, अभियुक्तों से वफ़ादारी, तभी तो चलेगी सरकार हमारी ? छत्तीसगढ़ में बीजेपी सरकार का सुशासन जबरदस्त रंग ला रहा है। पीड़ितों को न्याय मिल रहा है और लूटेरों को संरक्षण। प्रदेश के कुख्यात घोटालेबाजों को अब सबक मिलेगा या नहीं ? यह तो तय नहीं है, लेकिन विष्णु राज में बीजेपी का सुशासन सदगति को जरूर प्राप्त हो रहा है। वंचितों और पीड़ितों को न्याय प्रदान करने की सरकारी प्रक्रिया पर देश की शीर्ष अदालत की मुहर भी लग गई है। बीजेपी सरकार की दस्तावेजी अदालती प्रक्रिया और कार्यवाही का सकारात्मक परिणाम सामने आया है। सब का साथ, सब का विकास, मंशा इसकी तस्दीक भी कर रही है। इधर न्याय के सिद्धांत को दृष्टिगत रखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने उन अभियुक्तों की रिहाई सुनिश्चित कर दी है, जिन्हे धर दबोचने के लिए आईटी-ईडी ने दिन रात एक कर दिया था। छत्तीसगढ़ सरकार और जांच एजेंसियों द्वारा अदालत में प्रस्तूत दस्तावेज कितने कारगर साबित हुए, इसकी बानगी देखने को मिली है। देश की शीर्ष अदालत में करीब दो सालों तक चली क़ानूनी जंग के बाद पूर्व मुख्यमंत्री बघेल की उपसचिव सौम्या चौरसिया, कोयला माफिया सूर्यकांत तिवारी और उनके तमाम संगी साथी अधिकारियों को जमानत का लाभ प्राप्त हुआ है, तमाम अभियुक्तों की रिहाई सुर्ख़ियों में है।

इसके साथ ही बीजेपी सरकार के सुशासन की तारीफ भी खूब हो रही है। लेकिन इस कवायत को ‘नूरा कुश्ती’ करार देने वालों की भी कोई कमी नहीं है। प्रदेश में 2200 करोड़ का शराब घोटाला, 700 करोड़ का कोल परिवहन लेव्ही घोटाला, 15 हज़ार करोड़ का महादेव सट्टा ऐप घोटाला और 500 करोड़ के DMF घोटाले में आरोपियों से सरकारी धन की लूट की वसूली-जब्ती का आंकड़ा महज 300 करोड़ के भीतर ही सिमट कर रह गया है। सरकारी तिजोरी में बंद प्रदेश की आम जनता की गाढ़ी कमाई को सरेराह लूटने वालों से सत्ताधारी दल की सहानुभूति किसी से छिपाये नहीं छिपी है। बीजेपी सरकार राज्य में जिस तेजी से विकास के कदम आगे बढ़ा रही है, उतनी ही तेजी से जेल में बंद कुख्यात आरोपियों की रिहाई भी सुनिश्चित हो रही है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपे गिरोह के लड़ाके आसानी से आजाद किये जा रहे है। जेल में VIP सुविधाओं का भोग-विलास कर लौटने वालों की जल्द ही सरकारी सेवा में वापसी भी सुनिश्चित मानी जा रही है। कई गंभीर मामलों के अभियुक्तों का सलाखों के भीतर से बाहर आने की आसानी-सहज प्रक्रिया को कानून के जानकार ‘सरकार’ की कृपा ही मान रहे है। उनके मुताबिक भूपे की इस कुख्यात टोली को जमानत के लिए तमाम आवश्यक सामग्री सत्ता के गलियारों से ही होकर गुजर रही है। उनकी माने तो ‘नूरा कुश्ती’ की इस ट्रिक में जनता के अरमान भले ही धरे के धरे रह जायें, लेकिन राजनीति का भी तो अपना तकाज़ा है, पंडित जी बताते है कि जनता से वफ़ादारी और अभियुक्तों से यारी, फिर कैसे नहीं चलेगी सरकार हमारी ? यह तो सत्ता के गलियारे का मूल मंत्र है, इसमें सुशासन का तड़का, सबका साथ, सबका विकास भी अपना रंग दिखा रहा है।

सेंट्रल जेल से रिहाई के बाद अफसरों के बंगले में ख़ुशी की लहर….
छत्तीसगढ़ में विभिन्न घोटालों में जमानत पर रिहा हुए अभियुक्तों ने अपने-अपने घरों का रुख कर लिया है। इसके साथ ही उनके नए रैन-बसेरे को लेकर कवायतें जोरो पर बताई जा रही है। जानकारी के मुताबिक जेल से रिहा होते ही पूर्व मुख्यमंत्री बघेल की निलंबित उपसचिव भिलाई स्थित सूर्या अपार्टमेंट पहुंची। उनके यहाँ आमद दरज करने पर पड़ोसियों ने हैरानी जताई। माना जा रहा था कि बच्चों संग सौम्या अपने पति परमेश्वर श्रीमान जी के निवास-स्थान पर डटेंगी। लेकिन फिर उनके अरमानों पर पानी फिर गया। हालांकि विघ्नं टल गया है, भूपे खेमे द्वारा यही दावा किया जा रहा है। फ़िलहाल, बकरे के अब्बा कब तक खैर मनाएंगे ? राजनैतिक गलियारों में चर्चा लोगों की जुबान पर है। उधर रायगढ़ की पूर्व कलेक्टर रानू साहू भी अपने IAS पति जय प्रकाश मौर्य के रायपुर स्थित सरकारी बंगले में पहुंची। रानू साहू, जल्द ही दूसरे राज्य में शिफ्ट होंगी, यहाँ बताया जा रहा है।

यही हाल खनिज विभाग के निलंबित पूर्व सचिव समीर विश्नोई का बताया जाता है। उन्होंने भी रायपुर में अपने सरकारी बंगले में दस्तक दी है। जानकारी के मुताबिक अभियुक्तों के कंपाइल केस की तर्ज पर उनके ठिकाने भी पड़ोसी राज्यों की सरहद पर अस्तित्व लेते बताये जा रहे है। राजनांदगांव-कवर्धा से सटे मध्यप्रदेश के बालाघाट और शहडोल से सटे अमरकंटक में उपयुक्त स्थलों की तलाश अंतिम चरणों में बताई जाती है। सूत्र तस्दीक करते है कि अभियुक्तों में एकता बरक़रार रही तो सभी का ठिकाना ही नहीं बल्कि लंगर भी साथ-साथ नजर आएगा।