रायपुर। भ्रष्टाचार के भू -पे को कोर्ट से तगड़ा झटका लगा है, भ्रष्टाचार के आरोपी पुत्र चैतन्य बघेल को अभी भी जेल में रहना होगा। उसकी जमानत याचिका खारिज हो गई है। ईडी विशेष कोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्री बघेल के पुत्र चैतन्य बघेल की जमानत याचिका खारिज कर दी है। दीपावली के बाद उसकी रिहाई के आसार जाहिर किये जा रहे थे, लेकिन जाँच एजेंसियों के पुख्ता सबूत अदालत में रंग लाए, अब साफ़ हो गया है, कि आगामी दिनों तक भी चैतन्य उर्फ़ बिट्टू को जेल में ही रहना होगा। शुक्रवार को उनकी जमानत सुनवाई के बाद कोर्ट ने आज सोमवार तक के लिए फैसला सुरक्षित रख लिया था। लिहाजा इसे आज सुना दिया गया है, चैतन्य की जमानत याचिका कोर्ट ने ख़ारिज कर दी है।
READ MORE : छुट्टी पर भेजें गए IG डांगी, पुलिस एकेडमी से PHQ अटैच करने की सुगबुगाहट तेज़…

उधर,अरमानों पर पानी फिरने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री का खेमा गहमा-गहमी में है। इसी खेमे से जैसी करनी वैसी भरनी जैसा स्वर भी सुनाई देने लगा है। दरअसल, बघेल ने मुख्यमंत्री की कुर्सी में बैठने के बाद सिर्फ भ्रष्टाचार को ही अंजाम दिया था। इसे उजागर करने वाले पत्रकारों समेत कई बेगुनाहों को प्रताड़ित करने में तत्कालीन मुख्यमंत्री ने कोई कसर बाकि नहीं छोड़ी थी। उन्होंने पत्रकारों द्वारा सार्वजानिक किये गए मामलो की जाँच पर जोर देने के बजाए पुलिस अधिकारियों के साथ मिलकर पत्रकारों को जेल में ठूंस दिया था। अब असलियत सामने आने के बाद बघेल गिरोह के पैरो तले ज़मीन खिसक गई है।

बता दें कि पूर्व मुख्यमंत्री के बेटे चैतन्य बघेल को प्रवर्तन निदेशालय ने मनी लॉन्ड्रिंग और शराब घोटाला मामले में 18 जुलाई को भिलाई निवास स्थान से गिरफ्तार किया था। तब से वे जेल की हवा खा रहे है। प्रवर्तन निदेशालय के मुताबिक चैतन्य बघेल ने 16 करोड़ 70 लाख रुपए की अवैध कमाई को अपने रियल एस्टेट प्रोजेक्ट मे इन्वेस्ट किया था।

एजेंसी का आरोप है कि यह पैसा नगद में ठेकेदारों को भुगतान फर्जी बैंक एंट्री और फ्लैट खरीदी के बहाने से उपयोग किया गया था । चार्जशीट के मुताबिक त्रिलोक सिंह ढिल्लो के साथ मिलकर विट्ठलपुरम नामक अपनी ही योजना में पूर्व मुख्यमंत्री के बेटे ने फर्जी फ्लैट खरीद की योजना बनाकर 5 करोड़ हासिल किये थे। इन फ्लैटों को त्रिलोक सिंह ढिल्लो के कर्मचारियों के नाम पर खरीदा गया था, लेकिन असली लाभार्थी चैतन्य ही थे।

जांच में यह भी पाया गया कि चैतन्य ने इस घोटाले से जुड़े 1000 करोड़ से अधिक की अवैध धनराशि को हैंडल किया गया था। घोटाले की रकम अनवर ढेबर और अन्य के माध्यम से छत्तीसगढ़ कांग्रेस के तत्कालीन कोषाध्यक्ष तक पहुंचाई गई थी। यह राशि पूर्व मुख्यमंत्री बघेल परिवार के अन्य लोगों द्वारा नंबर दो की रकम को नंबर एक में तब्दील करने की क़वायतो से भी जोड़कर देखी जा रही है। उधर, बेटे की जमानत रद्द होने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री बघेल हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाने में व्यस्त बताये जाते है। हालांकि प्रदेश की सरकारी तिजौरी पर हाथ साफ़ करने के मुद्दे पर पूर्व मुख्यमंत्री बघेल अब तक चुप्पी साधे हुए है।

वे जब भी मुँह खोलते है तो अपने गिरेबान में झांकने के बजाये बीजेपी IT -ED, ACB – EOW और CBI पर हमला करते है। कांग्रेस राज के 5 साल आखिर भ्रष्टाचार की भेंट क्यों चढ़ गए ? इसे लेकर बघेल कोई जवाब नहीं दे रहे है। गौरतलब है, कि कांग्रेस राज में तत्कालीन मुख्यमंत्री ने भ्रष्टाचार उजागर करने वाले कई पत्रकारों को फर्जी मामलो में नामजद कर जेल निरुद्ध किया था। लेकिन अब ऐसे प्रकरणों की असलियत जाँच एजेंसियां सामने ला रही है। उन पर कानूनी मुहर भी लग रही है।
