रायपुर: बालोद की जिला एवं सत्र अदालत से अग्रिम जमानत ख़ारिज होने के बाद कांग्रेस सरकार के पूर्व मंत्री मोहम्मद अकबर की खोजबीन शुरू हो गई है ? क्या वाकई पुलिस उन्हें गिरफ्तार करने में जुटी है। रायपुर के मौदहापारा इलाके में यह चर्चा आम है। दरअसल इसी इलाके में पूर्व मंत्री का बंगला स्थित बताया जाता है। यह भी बताया जा रहा है कि बीते 3 दिनों से मोहम्मद अकबर ने आम कार्यकर्ताओं से दूरिया बना ली है।
उनके घर आवाजाही करने वाले कई कार्यकर्ता बैरंग लौट रहे है। उनके मुताबिक अकबर मियां घर पर नहीं है। हालांकि यह तस्दीक करने वालों की भी कोई कमी नहीं कि वे अग्रिम जमानत ख़ारिज होने के बाद कुछ खास लोगों से ही मेल-मुलाकात कर रहे है। इसमें परिजनों के अलावा विधि सलाहकर प्रमुख है। खबरों के मुताबिक गिरफ्तारी की लटकती तलवार के बीच पूर्व मंत्री के बंगले में चौकसी बढ़ा दी गई है।
बताते है कि निजी गार्ड के अलावा कुछ विश्वास-पात्र लोगों को बंगले के आस-पास चौबीसो घंटे की निगरानी के लिए तैनात किया गया है। उनके घर के आस पास होने वाली हर एक हलचल पर पैनी निगाह रखी जा रही है, पल-पल की सूचनाओं से पूर्व मंत्री जी को अवगत भी कराया जा रहा है। दरअसल बालोद में एक हेडमास्टर को आत्महत्या के लिए प्रेरित किये जाने के मामले में दर्ज अपराध के सिलसिले में छत्तीसगढ़ पुलिस को आरोपियों की तलाश है। इन आरोपियों में पूर्व मंत्री का नाम प्रमुख रूप से लिया जा रहा है।
बताया जाता है कि शिक्षा विभाग में भर्ती को लेकर पीड़ित हेडमास्टर से मोटी रकम उगाही गई थी। कांग्रेस राज में अंजाम दिए गए टीचर ट्रांसफर स्कैम की कड़ी भी इस मामले से जुड़ी बताई जाती है। जानकारी के मुताबिक पूर्व मंत्री अकबर ने राज्य की बीजेपी सरकार पर झूठा मामला दर्ज करने का आरोप लगाते हुए अदालत से अग्रिम जमानत की गुहार लगाई थी। निचली अदालत से मामला ख़ारिज होने के बाद पूर्व मंत्री की ओर से हाईकोर्ट का दरवाजा खट-खटाया गया है।
प्रकरण के जल्द सुनवाई के आसार भी व्यक्त किये जा रहे है। दूसरी ओर सबूतों और गवाहों को प्रभावित करने के अंदेशे के चलते अकबर की गिरफ्तारी का अंदेशा जाहिर किया जा रहा है। यह भी कहा जा रहा है कि कानून के तहत अकबर की गिरफ्तारी तय है। हालांकि यह भी दावा किया जा रहा है कि पूर्व मंत्री को हाईकोर्ट से राहत मिलने की उम्मीद जगी है, लिहाजा मंत्री जी ने राजनैतिक रणनीति कला कौशल का परिचय देते हुए मामले की सुनवाई तक पुलिस को टाल दिया है।
मोहम्मद अकबर की गिनती कांग्रेस के कद्दावर नेता के रूप में होती है। दलबल और प्रभाव से लैस अकबर, पूर्व मुख्यमंत्री बघेल के सबसे विश्वस्त साथियों में माने जाते है। कांग्रेस राज में वन विभाग, NRDA समेत कई विभागों के प्रभार वाले मंत्रालयों में बतौर मंत्री अकबर के घोटाले सुर्ख़ियों में रहे है। बताते है कि पूरे 5 वर्ष तक उनका कुनबा सरकारी तिजोरी को चट करते रहा था। उनकी देख रेख में राजधानी रायपुर की शान NRDA भी दिवालियां भी हो गया था।
यही हाल छत्तीसगढ़ हाउसिंग बोर्ड का था। उनके खिलाफ घोटाले की जांच के निर्देश राज्य की बीजेपी सरकार ने दिए थे। लेकिन 4 माह बीत जाने के बावजूद मंत्री जी की जोड़-तोड़ से जांच परवान नहीं चढ़ पाई। बताते है कि दफ्तरों से कई महत्वपूर्ण फाइल और रिपोर्ट का कोई अता-पता नहीं है। सतत जनता की सेवा में जुटे पूर्व मंत्री की चल-अचल संपत्ति भी 5 हज़ार करोड़ से ज्यादा की आंकी जा रही है।
इसमें कई बेशकीमती विवादित जमीने, भवन और ट्रस्ट की सम्पत्तियाँ भी गिनाई जा रही है। बहरहाल बतौर आरोपी अकबर सुर्ख़ियों में है, यह देखना गौरतलब होगा कि कानून के हाथ उनके गिरेबान तक कब और कैसे पहुंचते है। फ़िलहाल तो हेडमास्टर का पीड़ित परिवार प्रभावशील आरोपियों की तत्काल गिरफ्तारी की मांग कर रहा है।