दिल्ली/रायपुर: छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में हालिया आयोजित 27वी अखिल भारतीय वन खेलकूद प्रतियोगिता में करीब साढ़े 9 करोड़ का बजट स्वीकृत होने के बावजूद बड़े पैमाने पर अवैध वसूली और प्रायोजकों को उपकृत करने का मामला सामने आया है। यह प्रतियोगिता हर्षोल्लास के साथ संपन्न तो हो गई, लेकिन DGF पद की लॉबिंग के लिए बजट के बेजा इस्तेमाल और स्पोर्ट्स प्रोटोकॉल के नियम तोड़ने को लेकर विवादों में है। यही नहीं दक्षिण के विभिन्न राज्यों से आमंत्रित अतिथियों में कुछ एक नक्सली थिंग टैंक माने जाने वाले अतिथियों के आमंत्रण को लेकर भी अच्छा खासा बवाल खड़ा हो गया है। कई वरिष्ठ अधिकारियों ने नामचीन होटलों में आयोजित सूरा-सुंदरी वाली महफ़िल में, ऐसे अतिथियों को शामिल देखकर हैरानी जताई है।
सवाल किया जा रहा है कि नक्सलवाद से सहानुभूति रखने वाले ऐसे विवादास्पद अतिथियों से वन विभाग का क्या नाता है ? आखिर किसके इशारे पर उन्हें ना केवल आमंत्रित किया गया, बल्कि होटलों में क्लास – 1 अधिकारियों के अतिथि कक्ष के इर्द-गिर्द स्थित कमरों में उन्हें क्यों रुकवाया गया ? एक शिकायत पत्र में मांग की गई है कि रायपुर की होटलों में, मेहमान-नवाजी करने वाले तमाम अतिथियों का वीडियो फुटेज सुरक्षित रखा जाये ? उनके द्वारा उपयोग किये गए वाहनों और अन्य जरुरी गतिविधियों की पड़ताल भी की जाये। स्पोर्ट्स मीट में शामिल कई अधिकारियों ने तय आमंत्रण सूची और प्रोटोकॉल तोड़े जाने को लेकर आयोजनकर्ताओं पर गंभीर आरोप और टिप्पणी भी की है।
सूत्रों द्वारा बताया जा रहा है कि इस आयोजन को शक्ति परीक्षण और जमावड़ा से बचाने का भरपूर प्रयास किया गया था। यह सब कुछ परंपरागत प्रोटोकॉल के तहत पूर्व निर्धारित था। लेकिन तय नियमों के तहत प्रत्येक राज्य से दो वरिष्ठ अधिकारियों को आमंत्रित करने के बजाय आयोजनकर्ताओं ने दक्षिण भारतीय राज्यों से ही अतिथियों की झड़ी लगा दी। उनके मुताबिक दक्षिण भारतीय गिने-चुने 3-4 राज्यों से ही दो-दो के बजाय दर्जनों अतिथियों को आमंत्रित कर स्टार होटलों में रुकवाया गया था। जबकि शेष राज्यों के कई अधिकारियों को उन स्टार होटलों के बजाय अन्यत्र होटलों में ठिकाने लगाया गया था। लिहाजा इस संवेदनशील मामले को लेकर शिकायत में होटलों के CCTV फुटेज सुरक्षित रखने की भी मांग की गई है।
फॉरेस्ट स्पोर्ट्स मीट में करोड़ो के बजट की स्वीकृति के बावजूद प्रायोजकों से सस्ते सौदे चर्चा का विषय बने हुए है। जानकारी के मुताबिक रायपुर के एक बड़े शराब ठेकेदार से लगभग 70 लाख की विलायती शराब की आपूर्ति कराई गई थी। ये शराब अतिथियों के कमरे में रोजाना 24X7 परोसी जा रही थी। इसके तहत प्रत्येक कमरों में महंगे ब्रांडेड स्कॉच की रोजाना 4 बोतले रखवाई जाती थी। शिकायत के मुताबिक मुफ्त में आपूर्ति की गई महँगी शराब के बारे में विभिन्न होटल में कार्यरत सेवा प्रदान करने वाले कर्मियों से तस्दीक भी की जा सकती है। सूत्र बता रहे है कि लगभग 4 दिनों तक कई होटलों में सूरा-सुंदरी की महफिले भी बे-रोक-टोक सजती रही।
सूत्र यह भी तस्दीक कर रहे है कि शराब आपूर्तिकर्ता ठेकेदार को आयोजनकर्ताओं ने भरोसा दिलाया है कि उनका ध्यान रखा जाएगा, उनकी डिस्लरी को पर्यावरण (Environment) संबंधी शिकायतों से राहत मिलेगी। वन एवं जलवायु विभाग के आयोजककर्ता इस मुखिया की कार्यप्रणाली सुर्ख़ियों में है। बताया जा रहा है कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में तत्कालीन वन मंत्री मोहम्मद अकबर की दिलचस्पी के चलते 1990 बैच के आईएफएस श्रीनिवास राव को PCCF बनाया गया था। फॉरेस्ट चीफ के पद के योग्य ना होते हुए भी नियम कायदों को तोड़ते हुए उन्हें इस पद से नवाजा गया था। इसके लिए आधा दर्जन से ज्यादा योग्य और दक्ष आईएफएस अधिकारियों की वरिष्ठता को नजरअंदाज कर तत्कालीन भूपे सरकार ने श्रीनिवास राव को PCCF पद पर नियुक्त किया था।
बताते है कि कांग्रेस राज की तर्ज पर वे बीजेपी सरकार के कार्यकाल में भी मनमानीपूर्ण कार्यप्रणाली का परिचय दे रहे है। स्पोर्ट्स मीट के आयोजन के लिए छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से आबंटित लगभग 7 करोड़ और केंद्र की ओर से 1 करोड़ 67 लाख के बजट की स्वीकृति के पीछे भी विवादों से घिरे PCCF का हाथ बताया जा रहा है। गौरतलब है कि इस भारी भरकम लगभग साढ़े 9 करोड़ के बजट के बावजूद आयोजनकर्ताओं ने कई ठेकेदारों और NGO से चंदे के नाम पर सस्ते सौदे भी किये थे। फ़िलहाल मामले की गूंज दिल्ली के वन एवं जलवायु भवन से लेकर रायपुर के अरण्य भवन तक सुनाई दे रही है।