रायपुर/कोरबा/रायगढ़ – छत्तीसगढ़ के आधा दर्जन जिलों में गब्बर सिंह टेक्स को लेकर खलबली मची है | बताया जा रहा है कि कोयले की अफरा-तफरी में शामिल कई कारोबारी हर हफ्ते और महीने 25 रूपये टन के हिसाब से अपनी काली कमाई गब्बर सिंह के खजाने में भेज रहे है | यह रकम कालिया और सांभा के जरिये उस तिजोरी में पहुँच रही है | बताया जा रहा है कि कोल वाशरी से जुड़े कई कारोबारियों ने जुलाई और अगस्त माह का हिसाब किताब पूरा कर दिया है | जबकि कोयले का विधिवत कारोबार कर रहे ज्यादातर व्यापारियों और कारोबारियों ने गब्बर सिंह टेक्स देने से मना कर दिया है | इन कारोबारियों की दलील ही कि अवैध उगाही से इंकार करने पर उनके प्रतिष्ठानों पर पर्यावरण और श्रम विभाग की टीम भेजकर उनका कारोबार खत्म करने की धमकी दी जा रही है |
उनके मुताबिक कालिया और सांभा सरकारी मशीनरी का दुरूपयोग कर उनका कारोबार खत्म करने की खुलेआम धमकी दे रहे है | पीड़ितों की यह भी दलील है कि अखिल भारतीय सेवाओं के अफसरों के इस काले कारोबार में शामिल हो जाने से गब्बर सिंह टेक्स की अदायगी के लिए दबाव उन पर भारी पड़ रहा है | सरकारी अफसरो की कार्यप्रणाली पर सवालियां निशान लगाते हुए पीड़ितों की दलील है कि गब्बर सिंह गैंग के अलावा ऐसे अफसरों के खिलाफ भी कड़े वैधानिक कदम उठाने चाहिए | पीड़ितों ने केंद्र सरकार से तक मांग की है कि राज्य सरकार ने इस मामले को लेकर अपना मुंह मोड़ लिया है , ऐसे समय वैधानिक कार्रवाई किये जाने को लेकर केंद्र सरकार को आगे आना चाहिए |
दरअसल छत्तीसगढ़ के कोयला उत्पादक इलाकों में पिछले दो माह से जोर-जबरदस्ती गब्बर सिंह टेक्स वसूला जा रहा है | जबकि राज्य सरकार की ओर से इस टेक्स की वसूली को लेकर ना तो कोई सरकारी कायदे कानूनों का नोटिफिकेशन किया गया है और ना ही इस तरह का कोई नियम अस्तित्व में है | बावजूद इसके सरकारी मशीनरी का दुरूपयोग करते हुए कोयला कारोबारियों से प्रति टन 25 रूपये गुंडा टेक्स के रूप में वसूले जा रहे है | सूत्र बता रहे है कि प्रतिमाह इस तरह से गब्बर सिंह टेक्स के रूप में लगभग 100 करोड़ रूपये इक्क्ठा हो रहे है | पिछले दो माह से वसूली गई रकम का आंकड़ा लगभग 200 करोड़ के आसपास में बताया जा रहा है | सवाल यह उठ रहा है कि यह काली कमाई सार्वजिनक रूप से आखिर क्यों की जा रही है | इतनी मोटी रकम की अवैध उगाही आखिर किस विध्वंसक गतिविधि के लिए की जा रही है |
आमतौर पर वैधानिक कार्यों के लिए काली कमाई या ब्लैक मनी की जरूरत नहीं होती | यदि किसी राजनैतिक दल , राजनेता या संस्था को नगद रकम की जरूरत है तो इसे वैधानिक प्रक्रिया के रूप में अंजाम में लाया जा सकता है | गौरतलब है कि कोयला उत्पादक जिलों में गब्बर सिंह टेक्स नगद रूप से वसूला जा रहा है | इसके लिए चेक या ड्राफ्ट जैसी सुविधा और ऑनलइन प्रक्रिया के तहत भुगतान की प्रकिया दरकिनार कर दी गई है | साफ़ है कि ब्लैक मनी की जरूरत इस गिरोह को है | आखिर इतनी मोटी रकम की हर माह नगद जरूरत क्यों पड़ रही है , यह विचारणीय है | बताया जाता है कि हाल ही में दिल्ली दंगो और CAA के विरोध के लिए गुंडे बदमाशों और विध्वंसकारी तत्वों को ब्लैक मनी उपलब्ध कराए जाने के तथ्य एनआईए के सामने आये थे |
छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के अलावा नक्सली आंदोलन की जड़े मजबूत करने के लिए कई गैरकानूनी संगठन कार्यरत है | इन संगठनों के अलावा कई आतंकी संगठनों को 24×7 ब्लैक मनी की जरूरत होती है | ऐसे में छत्तीसगढ़ में इक्क्ठा किया जा रहा गब्बर सिंह टेक्स किसकी तिजोरी और किस विध्वंसक गतिविधियों में इस्तेमाल होगा | इसकी जांच बेहद जरुरी है | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेताओं खासतौर पर सोनिया गांधी और राहुल गांधी को इस मामले में संज्ञान लेना चाहिए | दरअसल कांग्रेस शासित इस राज्य में इस तरह की अवैध वसूली की कल्पना ना तो आम कांग्रेसियों ने की थी और ना ही मतदाताओं ने |
छत्तीसगढ़ के कोयला उत्पादक जिलों क्रमशः रायगढ़ , कोरबा , जांजगीर चांपा , सूरजपुर , बिलासपुर और अंबिकापुर में कोयला उत्पादकों और उस पर निर्भर उद्योग धंधों से जुड़े कारोबारियों से स्थानीय अफसरों की मदद से ब्लैक मनी वसूले जाने का कारोबार तेजी से फल फूल रहा है | हालांकि NMDC और SECL समेत कई बड़ी कंपनियों ने ब्लैक मनी के रूप में गब्बर सिंह टेक्स देने से हाथ खड़े कर दिए है | NMDC और SECL समेत कई बड़ी कंपनियों ने साफ कर दिया है कि जन कल्याण के कार्यों के लिए वे “मुख्यमंत्री राहत कोष” में वैधानिक रूप से आर्थिक सहायता देते है | ऐसे में उन पर ब्लैक मनी देने के लिए दबाव बनाना गैर क़ानूनी कार्य है |
निजी क्षेत्र की लगभग सभी कंपनियों ने भी यही दलील देते हुए राज्य और केंद्र सरकार से अपील की है कि फौरन गब्बर सिंह टेक्स पर रोक लगाई जाए | इसके चलते छत्तीसगढ़ में ना केवल आर्थिक और औद्योगिक गतिविधियां प्रभावित होंगी बल्कि राज्य में निवेश के लिए विचार कर रहे उद्योगपति भी हतोत्तसाहित होंगे |
देश में औदयोगिक गतिविधियों से जुड़े संगठनों खासतौर पर फिक्की , सीआईआई और ऐसोचैम ने छत्तीसगढ़ में गैरकानूनी ढंग से लाद दिए गए गब्बर सिंह टेक्स की तीखी निंदा की है | इन संगठनों के पदाधिकारियों ने राज्य के मुख्यमंत्री से फौरन हस्ताक्षेप की अपील भी की है | फ़िलहाल गब्बर सिंह टेक्स को लेकर राज्य का राजनैतिक-प्रशासनिक और औद्योगिक गलियारा गरमाया हुआ है | कारोबारियों से लेकर आम लोग ट्वीट कर सरकार के संज्ञान में यह तथ्य ला रहे है |