रिपोर्टर रफीक खांन
सुकमा – यूँ तो छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग में पत्रकारिता को लेकर राजधानी से लेकर दिल्ली तक तथा देश के अनेकों राज्यों के बुद्धिजीवी चुनौती पूर्ण मानते हैं । कारण यहाँ की भष्ट्राचारी,पुलिस माओवादियों की लड़ाई व अनेक विषयों के बीच निष्पक्ष पत्रकारिता करना हमेशा चुनौतीपूर्ण रहता है । तो वहीं बस्तर के आंचलिक अतिसंवेदनशील क्षेत्रों में ज्ञानता का आभाव भी पत्रकारों को परेशान करती है । बावजूद बस्तर के पत्रकार राज्य सहित देश के अनेकों हिस्सों तक बस्तर की दिशा और दशा पर अपनी पत्रकारिता करते हैं । संविधान के चौथे स्तम्भ होने के नाते बाकी सभी स्तम्भों के खबरों को अपने शब्दों से पिरोते हूए जन सरोकारों के साथ घटित घटनाएं क्षेत्र की समस्याओं को जन जन तक पहुँचाने का काम करते हैं । लोगों की जिज्ञासाओं को विपरित परिस्थितियों में जानने की कौशिश की जाती है । लेकिन अब ऐसा लगता है कि बावजूद किसी कारण के बस्तर के पत्रकार सुरक्षित नहीं हैं । बस्तर के दो पत्रकारों की माओवाद ने पूर्व में भी हत्या कराकर लोकतंत्र के इस स्तम्भ को सोचने समझने पर मजबूर कर दिया था । अपनी नकारात्मक सोच एवंम उससे बचने की कौशिश की थी । अब एक बार और पत्रकारों को निशाना बनाने की बात नक्सली संगठन ने कहा । जो कि निंदनीय के साथ एक असत्यता को दर्शाता है । इस को लेकर बस्तर के पत्रकारों में जबरदस्त रोष देखा जा रहा है । पत्रकार अपने शब्दों के साथ हमेशा लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ की दायित्व को भलीभांति निभानी जानती है और निभाती हैं ।
पत्रकारों पर आरोप लगाते हुए माओवाद संगठन ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कलमकारों को सोचने पर मजबूर कर दिया है । शांति की मांग करने वाले लेखक समाज सेवी शुभ्रांशु चौधरी व माओवादियों को ललकारनें वाले समाज सेवी पत्रकार फारूक़ अली सलवा जुडूम के समय सुर्खियों में रहे नेता पी. विजय के साथ बीजापुर व सुकमा जिला के दो नये नाम हरिभूमि ब्यूरो लीलाधर राठी गणेश मिश्रा का नाम उल्लेख करते हुए दक्षिण सब जोनल ब्यूरो ने पत्रकार व समाज सेवी के आड़ में कॉरपोरेट घरानों के सेवा में लगे होने का आरोप लगाते अपने कड़े शब्दों में निंदा की थी । माओवादी संगठन ने लोकतंत्रवादियों, बुद्धिजीवियों,सामाजिक संगठनों से अपील करते हुए कहा है कि स्वतंत्र और निष्पक्ष मीडिया के तरफ हमारी पार्टी हमेशा कड़ी रहती है । पत्रकारिता के नाम से कुछ लोग शोसक वर्गों के चापलूची काम कर रहे है । लोकतंत्र के लिए चौथी खम्भा कहलाने वाला मीडिया ऐसे दरीदों को अपने से दूर रखना चाहिए । कहते चेतावनी देते जनता द्वारा सजा देने की बात कही है । माओवादियों के इस तरह के प्रेस विज्ञप्ति से बस्तर सहित राज्य के अनेक पत्रकार संगठनों ने विरोध किया है । और लामबन्द होने की तैयारी में जुट गए हैं ।
आज इसके के विरोध में दक्षिण बस्तर के पत्रकार संगठनों ने दंतेवाड़ा जिला के बुरगुम गाँव में और बीजापुर के गंगालूर में दो अलग-अलग ग्रुपों मे बटकर अपना विरोध जताया । पत्रकारों पर इस तरह का आरोप लगाये जाने के बाद वही पुरे राज्य के पत्रकार संगठनों ने अपनी तीखी प्रतिक्रिया देते हुए । तत्काल माओवादी संगठन को अपने शब्द वापस लेने की मांग की है । आज के पत्रकारों विरोध धरना प्रदर्शन में अनेक वरिष्ठ पत्रकारों सहित अलग अलग जिलों के पत्रकार मोटर साइकिलों के जरिए नक्सल प्रभाव वाले इन क्षेत्रों में पहूंच। नक्सलियों की तर्ज पर अपना प्रेस का पोस्टर व नक्सली संगठन तक अपनी बात पहुंचाने अपनी बात लिख कर नक्सली संगठन पर प्रश्न चिह्न लगाया है और सवाल खड़ा किया है ।