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मध्यप्रदेश में सडको पर जानवरो को लावारिश छोड़ने वालो पर जुर्माना ,अब गाय -गोबर पालने वालो के घरो में ,आम नागरिकों को बड़ी राहत, मुख्यमंत्री शिवराज ने जारी किया अध्यादेश

भोपाल : मध्य प्रदेश में गाय और गोबर को नियंत्रित करने के लिए जारी किए गए एक अध्यादेश से आम नागरिकों ने राहत की सांस ली है। अब गाय और गोबर को काबू में करने के लिए पशुपालन करने वालो को जिम्मेदारी उठानी पड़ेंगी। अन्यथा उन पर आर्थिक दंड किया जाएगा। यह दंड 1000 रुपये तक का हो सकता है। इससे सार्वजनिक स्थानों पर आवारा मवेशियों का विचरण रुकेगा|

मध्य प्रदेश में मवेशियों को सार्वजनिक स्थान पर खुला छोड़ना अब पशुपालक को महंगा पड़ेगा। गैर-जिम्मेदार  पशुपालक के खिलाफ कार्रवाई को लेकर नया अध्यादेश जारी हो गया है। इस अध्यादेश में नागरिको को राहत देते हुए पशुपालक पर आर्थिक दंड का प्रावधान किया गया है। नए अध्यादेश का असर प्रदेश की सड़कों,  सार्वजनिक स्थानों और गली चौराहो पर देखने को मिल सकता है।  

मध्य प्रदेश सरकार ने नगर पालिक निगम 1956 और मध्य प्रदेश नगर पालिका निगम 1961 में संशोधन किया है। मध्य प्रदेश के राज्यपाल के नाम से जारी अध्यादेश में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि यदि किसी भी सार्वजनिक स्थान या सड़क पर आवारा मवेशी पाया गया तो ऐसी स्थिति में पशुपालक के खिलाफ आर्थिक दंड किया जाएगा. यह दंड 1000 रुपये तक का हो सकता है। 

अध्यादेश में यह भी उल्लेखित किया गया है कि यदि किसी प्रकार की दुर्घटना, सार्वजनिक स्थान पर उत्पात या किसी प्रकार का संकट उत्पन्न होना और कोई लोक न्यूसेंस आवारा मवेशी के कारण फैलता है, तो पशुपालक पर कार्रवाई की जाएगी। अध्यादेश प्रकाशन के साथ ही मध्य प्रदेश के सभी नगर पालिका क्षेत्र में लागू कर दिया गया है। 

दरअसल,राज्य में गौ सेवा और पालन के नाम पर कई लोगो ने गाय तो पाली। लेकिन उसे पर्याप्त दाना-पानी देने के बजाए सडको पर खुला छोड़ दिया। इन गायो के चलते कई सड़क दुर्घटनाएं हो रही है। यातायात और आवागमन का अवरुद्ध होना आम नजारा होने के बाद लोगो ने सरकार की आलोचना शुरू कर दी थी। 

उधर इस बात से भलीभांति वाकिफ होने के बाद सरकार ने माना कि सार्वजनिक स्थानों पर आवारा मवेशियों के स्वच्छंद विचरण करने से कई प्रकार की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। आम लोगों को आवारा मवेशी चोटिल कर रहे हैं। यही नहीं इसके चलते सड़क दुर्घटनाओं में भी इजाफा हुआ है। लिहाजा इन सब तथ्यों का उल्लेख अध्यादेश में भी किया गया है। 

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