सुप्रीम कोर्ट में छत्तीसगढ़ के नान घोटाले की लिस्टिंग को लेकर छत्तीसगढ़ सरकार और ईडी के बीच तीखी नोकझोक,अब सुनवाई सोमवार को,आखिर किस जज की बेंच में हो सुनवाई ? विवाद गहराया

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दिल्ली :सुप्रीम कोर्ट में छत्तीसगढ़ के 36 हजार करोड़ के नान घोटाले को लेकर नया विवाद सामने आया है। आज सुनवाई के दौरान आरोपी अनिल टुटेजा के वकीलों ओर से किसी जस्टिस विशेष की बेंच में सुनवाई को लेकर गरमा गरम बहस हुई । बहस का लब्बो लुआब यही है की आरोपियों के वकील को क्योँ है,आपत्ति कि किसी विशेष जस्टिस की बेंच में ही हो सुनवाई।

आज कोर्ट रूम में वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल आरोपियों के पक्ष में कुछ खास बात पर जोर देते रहे ,उनकी दलीलों से यह तथ्य चर्चा में रहा कि आरोपियों को सुनवाई और न्याय से मतलब है या व्यक्तिगत पसंद के जस्टिस और बेंच से ? दरअसल कानून कहता है कि किसी भी आरोपी या प्रार्थी को अपनी पसंद का न्यायाधीश चुनने का कोई भी कानूनी प्रावधान नहीं है।

बावजूद इसके कपिल सिब्बल जोर देते रहे कि पूर्व बेंच के शेष दो जस्टिस ही मामले की सुनवाई करें? इस मामले को लेकर ईडी और बचाव पक्ष की ओर से जमकर दलीलें पेश की गई। छत्तीसगढ़ सरकार ने जस्टिस एमआर शाह की अगुवाई वाली बेंच के सामने इस मामले की सुनवाई करने पर आपत्ति जताई है।  

नागरिक पूर्ति निगम घोटाले को लेकर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा दायर याचिकाओं की लिस्टिंग ने एक विवाद पर कानूनी दांव पेंचो को लेकर दोनों पक्षों के बीच तीखी बहस हुई । पूर्व मुख्य न्यायाधीश यूयू ललित, जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस एस रवींद्र भट की पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही थी। ईडी द्वारा गंभीर आरोप लगाया गया था कि नान घोटाले के मुख्य आरोपी,छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री और हाईकोर्ट के एक न्यायाधीश के संपर्क में थे।

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने आरोपों की पुष्टि करने के लिए सीजेआई ललित की अगुवाई वाली बेंच को कुछ सीलबंद लिफाफे भी सौंपे थे। 20 अक्टूबर को, उक्त पीठ में समय की कमी के कारण मामले की सुनवाई नहीं हो सकी थी। मामले को 14 नवंबर को “उचित पीठ” के समक्ष सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया था । जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच के सामने 14 नवंबर को मामला सूचीबद्ध कर दिया गया था।

छत्तीसगढ़ शासन की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने आपत्ति जताई कि इस मामले की सुनवाई जस्टिस रस्तोगी या जस्टिस भट के नेतृत्व वाली पीठों द्वारा की जानी चाहिए, जो सीजेआई ललित की सेवानिवृत्ति के बाद पिछली पीठ के शेष सदस्य हैं। फिलहाल दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद  21 नवंबर तक के लिए स्थगित कर दी गई।