पटना/ गया वेब डेस्क – भारत में नदियों का पानी भले ही प्रदूषित हो सकता है | लेकिन उसमे कोरोना वायरस की मौजूदगी नहीं हो सकती | पहले ऐसे माना जाता था | लेकिन अब यह दौर गुजर चूका है | देश की प्रसिद्ध नदियों में कोरोना वायरस फैलने की आशंका इसलिए बढ़ गई क्योंकि अस्पताल में इस्तेमाल संक्रमित वस्तुए नदी किनारे फेकीं जा रही है | इसमें से कई वस्तुए नदी के पानी में बह रही है, तो कई आवारा पशुओं का आहार बन रही है |
मामला बिहार का है | वैसे ही राज्य में कोरोना वायरस के इलाज की व्यवस्था को लेकर स्वास्थ्य विभाग सवालों के घेरे में हैं, और अब उसका वो काला कारनामा सामने आया है, जो पर्यावरण ही नहीं बाकि देश की जनता के लिए खतरनाक साबित हो सकता है | संक्रमण के जरिए फैलने वाली इस कोरोना महामारी को लेकर गया जिले में घोर लापरवाही सामने आई है | यहाँ फल्गु नदी के किनारे कोरोना मरीजों के इलाज के दौरान इस्तेमाल किए गए ग्लब्स, पीपीई किट, मास्क और शव बॉक्स को रोजाना फेंका जा रहा है |
आपराधिक लापरवाही का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता हैं कि जिन लोगों की कोरोना से मौत हो गई है उनके शव बॉक्स को भी नदी किनारे खुले में फेंका गया | हॉस्पिटल वेस्ट भी यहाँ फेंका जा रहा है | इससे पूरे इलाके में संक्रमण फैलने की आशंका बढ़ गई है | उधर खुले में इस तरह कोरोना के मेडिकल कचड़े को फेंकने की वजह से आसपास के इलाके के लोग भी दशहत में हैं | उन्हें संक्रमित होने का भय सताने लगा है |
नदी किनारे जिस स्थान पर मेडिकल वेस्ट फेंका गया है, वहां लावारिश पशुओं का रेला लगा है | अपनी भूख प्यास बुझाने के लिए ये पशु इसी स्थान पर आते है | फल्गु नदी के किनारे जहां कोरोना बीमारी से जुड़ा ये मेडिकल कचड़ा फेंका जा रहा है वहीं पर आम श्मशान घाट भी है | यहाँ कई धर्मों और समुदाय के लोग शवों के दाह संस्कार के लिए आते है |
बताया जाता है कि कोरोना संक्रमित मरीजों की मौत के बाद उनके शव को जलाने के लिए फल्गू नदी के दूसरे छोर पर कोविड -19 श्मशान घाट बनाया गया है | लेकिन नियमों को ताक में रखकर इसी घाट पर एंबुलेंस कर्मी शव बॉक्स, ग्लब्स, पीपीई किट, मास्क और मेडिकल वेस्ट फेंककर जा रहे हैं |
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बताया जाता है कि बारिश के कारण नदी किनारे फेंका गया पीपीई किट और ग्लब्स नदी में बह कर एक जगह से दूसरे जगह जा रहा हैं| इसके चलते गया नदी के किनारे स्थित घाटों और बस्तियों में संक्रमण का खतरा बढ़ता जा रहा है | उधर स्थानीय लोगों ने मामले की शिकायत कलेक्टर और पर्यावरण मंत्रालय से की है | लेकिन कोई ठोस हल नहीं निकल पाया | इस मामले को लेकर गया के जिलाधिकारी अभिषेक सिंह ने कहा कि नगर निगम को कोविड -19 के तहत व्यवस्था करने के निर्देश दिए गए है |