रायपुर/दिल्ली: छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपे बघेल की राजनीति हासिये पर आने के बाद कई कांग्रेसी नेताओं ने उनसे किनारा कर लिया है। मामला बाप बड़ा ना भईया सबसे बड़ा रुपैया से जुड़ा है। यही नहीं मुँह में राम और बगल में छुरी लहराने वाले नेता जी सत्ता के नशे में इतना डूब चुके थे कि उन्हें इंसान और भगवान में कोई फर्क नजर नहीं आता था। वो भगवान को ही क़ानूनी नोटिस भेज कर अपना दब-दबा कायम रखना चाहते थे। लेकिन भला हो जनता का, समय पर सचेत होकर उसने नेता जी के सिर पर सवार भूत को उतार दिया। नेता जी अब भूतपूर्व हो गए है, लेकिन उनके अभूतपूर्व काले कारनामों का दंश आज भी प्रदेश की जनता भोग रही है। इतिहास में दर्ज होगा कि छत्तीसगढ़ में किसी मुख्यमंत्री ने सार्वजनिक और जनहितेषी योजनाओं के शिलान्यास के साथ – साथ महिलाओं की सूनी गोद भी भरी थी।
उनकी पांडुलिपियां भी सुर्ख़ियों में है। इस मामले में बच्चों के नैसर्गिक माता पिता की पहचान रहस्मय बनी हुई है, उनके डीएनए टेस्ट की मांग ने जोर पकड़ लिया है। हालांकि राजनीति के जानकार तस्दीक करते है कि पूर्व मंत्री के पिता का रुख ब्राह्मण और सनातन विरोधी रहा है। जबकि बेटा एक कदम और आगे बढ़कर हिंदू देवी – देवताओं के नाम से सट्टे का कारोबार तक संचालित करने में शर्म महसूस नहीं करता था। नजर दौड़ाये तो वर्ष 2001 से लेकर 2003 तक प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने स्वर्गीय नंदकुमार बघेल द्वारा रचित ‘ब्राह्मण कुमार रावण को मत मारो’ नामक पुस्तक के वितरण पर रोक लगाई थी। इससे साम्प्रदायिक सौहाद्र बिगड़ने के आसार बढ़ गए थे। इसके बाद एक बार फिर वर्ष 2018 से 2023 तक पुत्र भूपे बघेल के मुख्यमंत्री बनने से स्वर्गीय नंदकुमार बघेल ने सनातन धर्म और ब्राह्मणों के खिलाफ जमकर आग उगली थी।
इस दौर में मुख्यमंत्री की कुर्सी पर पुत्र के बैठ जाने से स्वर्गीय नंदकुमार बघेल को भरपूर सरकारी संरक्षण भी मिला था। छत्तीसगढ़ से लेकर उत्तर प्रदेश तक पूर्व मुख्यमंत्री के पिता ने कई आपत्तिजनक बयान सार्वजनिक तौर पर दिए थे। इस दौरान बघेल यूपी में चुनाव प्रभारी भी बनाये गए थे। बाप – बेटे की जुगलबंदी से सामाजिक ताना बाना बिगड़ने भी लगा था। नतीजतन बघेल के निर्देश पर छत्तीसगढ़ पुलिस ने उनके पिता के खिलाफ सुविधाजनक अपराध पंजीबद्ध कर उनकी गिरफ़्तारी भी की थी। हालांकि कांग्रेस को मिलने वाले राजनैतिक फायदे और जातिगत रणनीति के मद्देनजर तत्कालीन मुख्यमंत्री ने बेहद सामान्य धाराओं में अपराध दर्ज करवा कर अपने पिता को रायपुर सेंट्रल जेल में दाखिल कराया था।
उन्हें यहाँ पूरी VIP सुविधा उपलब्ध कराई गई थी। आरोपी पिता के स्वर्ग सिधारने के बाद पुत्र बघेल ने सनातन और हिंदुत्व पर हमले का बीड़ा अपने कंधों पर उठा लिया है। अब इसकी गूंज संसद में भी सुनाई देने लगी है। यहाँ हिंदू देवी – देवताओं की तस्वीरें हाथों में थामकर कांग्रेसी नेता राहुल गांधी हिंदुत्व पर हमला कर रहे है। जबकि पूर्व मुख्यमंत्री बघेल भगवान भोले नाथ के नाम पर ‘महादेव ऐप्प सट्टा’ कारोबार में लिप्त पाए गए है। राजनांदगांव के सांसद संतोष पांडे ने पूर्व मुख्यमंत्री के असली चेहरे को बेनकाब कर राजनीति गरमा दी है। मौजूदा सियासी दौर में पूर्व मुख्यमंत्री के सनातन प्रेम और हिंदुत्व की गहराइयों का अध्ययन लाजिमी है।
वरिष्ठ पत्रकार सुनील नामदेव ने पूर्व मुख्यमंत्री की ‘कथनी और करनी’ के साथ – साथ उनकी कार्यप्रणाली का जायजा लिया। इसमें कई चौकाने वाले तथ्य सामने आये है। भूपे के बतौर मुख्यमंत्री 5 वर्ष के कार्यकाल, राजनीतिक फैसलों और गतिविधियों पर नजर रखने वाले तस्दीक करते है कि छत्तीसगढ़ी भाषा में बनने वाली फिल्म ‘बाप नंबरी , बेटा 10 नंबरी’ का जल्द ही प्रीमियर भी होगा। फ़िलहाल बघेल के सनातनी प्रेम और हिंदुत्व पर कई तथ्य गौरतलब है।
छत्तीसगढ़ में एक ओर जहाँ मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय समेत बीजेपी का हिंदुत्व और सनातनी प्रेम अपना परचम लह – लहा रहा है, वही दूसरी ओर पूर्व मुख्यमंत्री बघेल का सनातनी और हिंदुत्व का दावा भी सुर्ख़ियों में है। यह जनता की नज़रों में कसौटी पर कसा भी जा रहा है। संसद में कांग्रेस नेता राहुल गांधी का हिंदुत्व को लेकर दिए गए बयान ने राजनीति गरमा दी है। बीजेपी ने इस मुद्दे पर कांग्रेस की घेराबंदी कर राहुल गांधी से समस्त हिंदू समुदाय से माफ़ी मांगने की मांग की है।
वही प्रदेश में बघेल के हिंदुत्व और सनातनी प्रेम ही नहीं बल्कि संसद में बीजेपी नेता संतोष पांडे के बयानों से राजनैतिक पारा उफान पर है। संसद में पांडे ने पूर्व मुख्यमंत्री बघेल का नाम तक लेने से परहेज करते हुए उनके हिंदुत्व पर तीखा हमला बोला है। राहुल गांधी समेत अन्य कांग्रेसी नेताओं से भरी संसद में बीजेपी नेता संतोष पांडे ने पूर्व मुख्यमंत्री की कलई खोलकर रख दी है। सदन में टकटकी लगाए राहुल भी उनका वक्तव्य गौर से सुनते रहे। सांसद पांडे ने सदन को बताया था कि पूर्व मुख्यमंत्री, महादेव ऐप्प सट्टे का संचालन कर रहे थे। उनके संरक्षण में ही पुलिस के कई आलाधिकारी किसी गिरोह के भांति इस कारोबार में जुटे हुए थे।
पांडे ने राहुल पर भी तंज कसते हुए कहा कि सदन में वे भोलेनाथ की तस्वीर लेकर सत्ताधारी दल पर कटाक्ष कर रहे थे। जबकि छत्तीसगढ़ में कांग्रेस का मुख्यमंत्री ‘महादेव ऐप्प सट्टा कारोबार’ का संचालन कर रहा था। सांसद संतोष पांडे ने पूर्व मुख्यमंत्री को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि विधानसभा चुनाव में प्रदेश की जनता ने और लोकसभा चुनाव में उन्हें राजनांदगांव की जनता ने निपटा दिया है।
पूर्व मुख्यमंत्री के कारनामों को लेकर पांडे ने कांग्रेस पर भी जमकर हमला बोला। इससे गरमाई राजनीति अब फिर करवट लेने लगी है। उधर बगैर देर किये बघेल ने भी आनन – फानन में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर राज्य की विष्णुदेव साय सरकार पर तीखा हमला बोला था। उन्होंने ने दावा किया कि महादेव ऐप्प घोटाले में उनकी सरकार के रहते 70 से अधिक FIR दर्ज हुई थी। बघेल ने बीजेपी सरकार पर कई गंभीर आरोप लगाए।
उन आरोपों की सच्चाई की भी पड़ताल न्यूज़ टुडे छत्तीसगढ़ ने की। इसमें पाया कि बघेल एक बार फिर अपनी काली करतूतों का ठीकरा बीजेपी पर फोड़ रहे है। उनके दावे पर तथ्य सुर्ख़ियों में है। 6 हज़ार करोड़ के महादेव ऐप्प घोटाले में दर्ज FIR में पूर्व मुख्यमंत्री का नाम प्रमुख आरोपियों में शामिल है। जबकि ED इन मामलों को लेकर बघेल की राह तक रही है। मामले की जारी विवेचना के बीच यह मामला दिल्ली से लेकर रायपुर तक सुर्ख़ियों में है। सांसद पांडे के बयानों के बाद पूर्व मुख्यमंत्री बघेल और उनके परिवार का हिंदुत्व और सनातन प्रेम कसौटी पर है, जनता पूर्व मुख्यमंत्री के हिंदुत्व का गहराई से बखूबी आंकलन कर रही है। बताते है कि हिंदुत्व और सनातन का विरोध करना ही नहीं बल्कि इसकी तोड़ – मरोड़ कर व्याख्या करना बघेल का खानदानी रोग है। बताते है कि इस बीमारी से उनके स्वर्गीय पिता नंदकुमार बघेल भी ग्रसित थे।
बाप – बेटे के हिंदुत्व और सनातनी हमलों से साफ़ होता है कि उनका जनता की भावनाओं से कोई लेना देना नहीं है। जानकार तस्दीक करते है कि स्वर्गीय नंदकुमार बघेल तह उम्र सनातन धर्म, हिंदुत्व और ब्राह्मणों के खिलाफ आग उगलते रहे। छत्तीसगढ़ और उत्तरप्रदेश में ब्राह्मणों के खिलाफ कई बार अनर्गल बयानबाजी कर उन्होंने जातिगत समीकरणों को प्रभावित करने का कार्य किया था। बताते है कि अब यह जिम्मा खुद भूपे ने उठा लिया है। वे अपने पिता के कदमों पर तेजी से कदम बढ़ा रहे है। कांग्रेस संगठन से लेकर नौकरशाही में बतौर मुख्यमंत्री बघेल ने ब्राह्मणों को बाहर का रास्ता दिखा दिया था। यदाकदा ही कोई ब्राह्मण नेता या नौकरशाह बघेल के इर्द – गिर्द मंडराता नजर आता था। राजनीति के जानकारों के मुताबिक पूर्व मुख्यमंत्री ने कई योग्य नौकरशाहों को सिर्फ इसलिए उनके पदों से दरकिनार कर दिया था, क्योंकि वे ब्राह्मण थे।
बताते है कि ब्राह्मण वर्ण से नफरती शिक्षा – दीक्षा बघेल को अपने पिता से ही मिली थी। भूपे के मुख्यमंत्री की कुर्सी में बैठने के बाद रायपुर से लेकर लखनऊ तक स्वर्गीय नंदकुमार बघेल ने ब्राह्मणों के खिलाफ एक अभियान चलाया था। इसे भरपूर सरकारी संरक्षण भी मिला था। सीनियर बघेल के वक्तव्यों से रोजाना कई ब्राह्मण आहत होते रहे। उनके इंसाफ की आवाज को भी दबा दिया गया था। पिता – पुत्र ने राजनैतिक फायदे के लिए सामाजिक ताना बाना बिखेरने और तनाव निर्मित करने में भी कोई कसर बाकि नहीं छोड़ी थी। उनके पिता के भड़काऊ भाषणों का लाभ भीतर ही भीतर कांग्रेस को मिल रहा था। पूर्व मुख्यमंत्री ने भी राजनैतिक कला कौशल के जरिये ना केवल ऐसे भड़काऊ भाषणों का लाभ उठाने का भरपूर प्रयास किया, बल्कि अपने पिता कों ब्राह्मणों और हिंदुत्व के खिलाफ जिहाद छेड़ने का खुला लाइसेंस भी दे दिया था।
सीनियर बघेल आये दिन सार्वजनिक मंचों से भड़काऊ भाषण देते लेकिन ना तो पुलिस उनके खिलाफ कार्यवाही के लिए तैयार होती थी और ना ही शासन – प्रशासन ब्राह्मणों की सुध लेता था। राजनीति के जानकारों के मुताबिक लगभग 4 साल तक बघेल पिता – पुत्र अपने फायदे के लिए सनातनी परम्पराओं पर सवालियां निशान लगाते रहे। जब बारी सीनियर बघेल के खिलाफ क़ानूनी कार्यवाही की आई तो तत्कालीन मुख्यमंत्री ने अपने पिता के खिलाफ सामान्य धाराओं में आपराधिक प्रकरण दर्ज करवाया था। ताकि ब्राह्मण समुदाय को उनके प्रभाव का एहसास हो सके। हालांकि ब्राह्मणों के स्थान पर जिस किसी भी समुदाय के नौकरशाह की नियुक्ति की जाती थी, वह भी बगैर लेन – देन के नहीं होती थी। भूपे के कांग्रेस राज में चपरासी से लेकर कलेक्टर और सिपाही से लेकर एसपी के पदों तक का रेट फिक्स था।
निर्माण से जुड़े विभागों में होने वाली नियुक्तियों का तो क्या कहना ? ट्रांसफर – पोस्टिंग के भाव आसमान छूने लगे थे। कुल मिलाकर नौकरशाहों की योग्यता और CR धरी की धरी रह जाती थी। बोलबाला नगद नारायण का ही था। इसकी झलक पूर्व मुख्यमंत्री के हिंदुत्व पर भी दिखाई देती है। राजनीति के जानकारों के मुताबिक मुम्बईया फिल्म ‘बाप नंबरी बेटा 10 नंबरी’ फिल्म का चित्र – चित्रण भूपे की राजनीति का खास हिस्से के रूप में दिखाई देता है। वे कहते है कि ‘पुत्र’ भूपे तो अपने पिता से एक कदम और ज्यादा आगे निकालता नजर आ रहा है। उसने तो, भगवान भोले नाथ का ही सौदा कर डाला था। महादेव ऐप्प घोटाले कों सुनियोजित रूप से संचालित कर इसने तो सनातन धर्म और हिंदुत्व पर ही बट्टा लगाने की ठान ली थी।
बताते है कि इस अवैध कारोबार के संचालन के दौरान नगदी स्वीकार करते वक्त, महादेव ऐप्प का नाम सुनते ही पूर्व मुख्यमंत्री का चेहरा खिल – खिला उठता था, उनके मुँह से हंसी के फव्वारे छूट पड़ते थे। भूलकर भी वे इस नाम को बदलने की सलाह अपने कारोबारी साथियों को नहीं देते थे। राजनीति के जानकार यह भी तस्दीक करते है कि गांधी परिवार की नजरों में खरा उतरने के लिए बाप के बाद बेटे ने हिंदुत्व और ब्राह्मणों के खिलाफ ‘जिहाद’ जारी रखी थी।
भूपे के कांग्रेस राज में सनातन धर्म की जड़ों में मठ्ठा डालने का कार्य भी योजनाबद्ध तरीके से संचालित करने का जिम्मा बाप – बेटे ने अपने हाथों में थामा हुआ था। बताते है कि इस दौर में बिलासपुर और अंबिकापुर संभाग के कुछ जिलों में स्थित मंदिरों को नहीं बल्कि वहां स्थापित भगवान, देवी – देवताओं के नाम से बे दखली की प्रक्रिया से जुड़े सरकारी नोटिस तामील कराये गए थे।
राज्य के जांजगीर-चांपा जिले के सिंचाई विभाग द्वारा भगवान शंकर को नोटिस जारी किया गया था। यहाँ के कार्यालय अनुविभागीय अधिकारी जांजगीर-शाखा नहर उपसंभाग क्रमांक-1 से नवंबर-2021 में भगवान शिव को नोटिस जारी किया गया था। नोटिस में किसी ट्रस्ट या समिति के नाम का उल्लेख नहीं किया गया था। इसके पूर्व रायगढ़ में ऐसी घटना दोहराई गई थी। रायगढ़ में नगर निगम ने हनुमान जी के नाम पर वाटर टैक्स की वसूली के लिए नोटिस जारी कर दिया है। इस अजीबोगरीब नोटिस में उनका लिंग परिवर्तन कर श्रीमती बजरंग बली के नाम पर 400 रुपए वाटर टैक्स चुकता करने का नोटिस भेजा गया था। दरअसल रायगढ़ में अवैध कब्जे और निर्माण को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी। इसी मामले में रायगढ़ तहसील कोर्ट ने सीमांकन दल गठित कर जांच कराई थी।
अधिकारी ने भगवान को आरोपी बनाकर कोर्ट में पेश होने का नोटिस जारी किया था, जिसके काफी हंगामे के होने पर प्रशासन ने अपनी गलती मानकर सुधार किया था। एक अन्य घटना में यहाँ नायब तहसीलदार विक्रांत राठौर ने मंदिर के पुजारी या प्रबंधन के बजाय सीधे मंदिर को ही नोटिस भेज दिया था। अधिकारी ने भगवान को आरोपी बनाकर कोर्ट में पेश होने का नोटिस जारी किया था, और नहीं पेश होने पर 10 हजार रुपए जुर्माना लगाने की बात कही थी। दरअसल रायगढ़ में अवैध कब्जे और निर्माण को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी। इसी मामले में रायगढ़ तहसील कोर्ट ने सीमांकन दल गठित कर कौहाकुंडा गांव में जांच कराई थी। बताते है कि भूपे सरकार में हिंदू देवी – देवताओं और मंदिरों को एक ओर जानबूझ कर निशाना बनाया जाता था।
वही दूसरी ओर कांग्रेसी नेता रायपुर से सटे चंदखुरी में माता कौशल्या के मंदिर में भक्ति भाव के साथ कतार में खड़े नजर आते थे। यहाँ भूपे सरकार का फोटो सेशन ऐसा होता था, जैसे कोई सनातनी नेता जमीन पर उतर आया हो। फूलों के हार से लदे नेता जी फूल कर गुप्पा हो जाते थे। हिंदुत्व की ध्वज पताकाओं के बीच राजनीति के गिरगिट गली मोहल्लों में जनता की आँखों में धूल झोंकने के लिए नई – नई तिकड़में करते। भूपे का ऐसा हिंदुत्व उन लोगों को खूब भाता, जो मुँह में राम और बगल में छुरी रखकर राजनीति के मैदान में बिसाद बिछाते। ऐसा हिंदुत्व शायद ही कही देखने को मिलेगा।
बहरहाल छत्तीसगढ़ के 6 हज़ार करोड़ के महादेव ऐप्प घोटाले में भूपे बघेल के खिलाफ नामजद FIR दर्ज है। EOW ने उन्हें घोटाले का मुख्य आरोपी बनाया है। इस मामले को लेकर संसद में मचे घमासान के बीच बघेल ने लोकसभा अध्यक्ष को पत्र लिखकर अपना पक्ष रखने का ऐलान किया है। यह देखना गौरतलब होगा कि एक आरोपी अपनी सफाई में लोकसभा अध्यक्ष के समक्ष कैसी गुहार लगाता है। फ़िलहाल तो भूपे की राह सौम्या के ठिकाने की ओर है। माना जा रहा है कि दर्जनों घोटालों को लेकर उनका रैन बसेरा, रायपुर सेन्ट्रल जेल में जल्द नजर आ सकता है।